वाशिंगटन। चेन्नई के कंप्यूटर प्रोग्रामर और मैकेनिकल इंजीनियर शनमुगम सुब्रह्मण्यम द्वारा दिये गये सबूतों पर रिसर्च करने के बाद अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने विक्रम लैंडर का मलबा मिलने की पुष्टि कर दी। इसे इसरो से इसका संपर्क टूटने के 87 दिन बाद तलाशा गया। नासा ने अपने आॅर्बिटर एलआरओ से ली गयी तस्वीरें जारी की हैं। इनमें विक्रम के टकराने की जगह और बिखरा हुआ मलबा दिखाया है। नासा ने खोज में मदद के लिए सुब्रह्मण्यम को धन्यवाद दिया है।
सात सितंबर को चांद की सतह पर क्रैश हुआ था
चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की सात सितंबर को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करायी जानी थी। हालांकि, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने से 2.1 किमी पहले ही इसरो का लैंडर से संपर्क टूट गया था। विक्रम लैंडर 2 सितंबर को चंद्रयान-2 के आॅर्बिटर से अलग हुआ था।
भारतीय प्रोग्रामर से सबूत मिलने के बाद नासा ने खोज की
तस्वीर में ग्रीन डॉट्स से विक्रम लैंडर का मलबा रेखांकित किया गया है। वहीं ब्लू डॉट्स से चांद की सतह में क्रैश के बाद आये फर्क को दिखाया गया है। ‘एस’ अक्षर के जरिये लैंडर के उस मलबे को दिखाया गया है, जिसकी पहचान वैज्ञानिक शनमुगम सुब्रह्मण्यम ने की। अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक सुब्रह्मण्यम भारतीय कंप्यूटर प्रोग्रामर और मैकेनिकल इंजीनियर हैं।
नासा ने दिया था चैलेंज
नासा ने बयान जारी कर कहा कि उसने 26 सितंबर को एलआरओ से जारी कुछ तस्वीरें पोस्ट की थीं। इनमें लोगों को चांद की सतह पर क्रैश से पहले और क्रैश के बाद की स्थिति की तुलना के लिए कहा गया, ताकि लैंडर का सही पता लगाया जा सके। शनमुगम सुब्रह्मण्यम ने चांद की सतह पर मलबे की पहचान करने के बाद ही नासा के एलआरओ प्रोजेक्ट से संपर्क किया। उनके दिये सबूतों के आधार पर एलआरओ टीम ने चांद की सतह की क्रैश के पहले और बाद की फोटो का विश्लेषण किया। यहीं से पुष्टि हुई कि चांद पर पड़ा मलबा चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का है।
लैंडर की आखिरी ज्ञात गति से लगाया मलबे का पता
शनमुगम सुब्रह्मण्यम ने अखबार से कहा, विक्रम लैंडर की क्रैश लैंडिंग ने मेरे अंदर चांद को लेकर रुचि जगायी। अगर विक्रम ठीक तरह से लैंड होकर कुछ तस्वीरें भेजता, तो शायद हमने इतनी रुचि न दिखायी होती, लेकिन पिछले कुछ दिनों में मैंने चांद की सतह की फोटो स्कैन कीं और इनमें मुझे कुछ सकारात्मक चीजें दिखीं। शनमुगम के मुताबिक, विक्रम लैंडर की आखिरी ज्ञात गति (वेलोसिटी) और स्थिति (पोजिशन) की समीक्षा के बाद उन्होंने मलबे को ढूंढ़ने का क्षेत्र बदला। जहां चंद्रयान-2 की हार्ड लैंडिंग की उम्मीद लगायी जा रही थी, वहां से कुछ ही दूरी पर एक सफेद बिंदु दिखाई दिया। पहले की कुछ तस्वीरों में यह बिंदु साफ नहीं था। हो सकता है कि लैंडर सतह से टकराने के बाद उसके अंदर घुस गया हो।
नासा ने चंद्रयान-2 की खोज के लिए शनमुगम को श्रेय दिया
शनमुगम ने अपनी खोज को नासा के वैज्ञानिकों के साथ साझा किया। अमेरिकी एजेंसी ने अपने एलआरओ के कैमरे के जरिये कुछ तस्वीरें ली थीं। वैज्ञानिकों ने जब लैंडर के क्रैश होने के बाद ली गयी कुछ तस्वीरों की 11 नवंबर की ताजी तस्वीरों के साथ तुलना की, तो उन्हें इनमें फर्क समझ आया। इसी आधार पर वैज्ञानिक यह पता लगाने में कामयाब रहे कि विक्रम लैंडर लैंडिंग साइट से करीब 2500 फीट दूर गिरा और उसका मलबा आसपास के इलाके में फैल गया।
इसरो ने कहा, नो कमेंट आॅन दिस आॅफर
नासा द्वारा लैंडर के मलबे को खोज लेने की तस्वीर जारी करने के बाद इसरो चेयरमैन की ओर से कोई जवाब नहीं मिला। हालांकि, इसरो के आधिकारिक प्रवक्ता ने एसएमएस के जरिये कहा कि वी हैव नो कमेंट आॅन दिस आॅफर, यानी इस बारे में हमारी कोई प्रतिक्रिया नहीं है।