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    Home»Top Story»चुनौतियों के पहाड़ को अवसरों में बदलने का माद्दा रखते हैं हेमंत
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    चुनौतियों के पहाड़ को अवसरों में बदलने का माद्दा रखते हैं हेमंत

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskDecember 25, 2019No Comments5 Mins Read
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    राजीव
    रांची। कभी खादी का लंबा कुर्ता और जींस। कभी साधारण हाफ शर्ट-पैंट। चेहरे पर मुस्कान। चुनौती को अवसर में बदलने का माद्दा। विषयों पर विचार मंथन करना और धैर्य के साथ फूंक-फूंक कर कदम रखना। हेमंत सोरेन की कुछ ऐसी ही पहचान है। एक बार फिर हेमंत सोरेन सत्ता के शिखर पर आसीन होने जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव, जम्मू कश्मीर में उमर अब्दुल्ला के बाद युवा मुख्यमंत्रियों की सूची में हेमंत का नाम भी शुमार हो गया। हेमंत सोरेन को जाननेवाले बताते हैं कि हेमंत सोरेन चुनौतियों के पहाड़ को अवसरों के आसमान में बदलने की माद्दा रखते हैं।
    हेमंत सोरेन बहुत धैर्य बहुत रखते हैं। जल्दी घबराते नहीं हैं। घर पर आने वाले बड़े-बुजुर्गों का खयाल भी रखते हैं। हमेशा कहते भी हैं कि चुनौती का सामना करना ही असली जिंदगी है। झारखंड को अलग राज्य बने 19 साल हो चुके हैं। हेमंत सोरेन के नेतृत्व में ये 11वीं सरकार बनने जा रही है। हेमंत सोरेन झारखंड के दिशोम गुरु शिबू सोरेन के पुत्र हैं। झारखंड आंदोलन और महाजनी प्रथा के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़नेवाले शिबू को गुरुजी भी कहा जाता है। तीन बार वह झारखंड के मुख्यमंत्री बने। जाहिर है, राजनीति का ककहरा सीखने के लिए उन्हें कहीं बाहर नहीं जाना पड़ा। पिता का आंदोलनों और संघर्षों से गहरा वास्ता रहा। इस वजह से परिवार के समक्ष कई बार प्रतिकूल परिस्थितियां आयीं। इन सबके बीच हेमंत पले-बढ़े और संघर्ष का सबक सीखा।

    इंजीनियरिंग छोड़ राजनीति में
    हेमंत सोरेन का जन्म 10 अगस्त 1975 को रामगढ़ जिले के सुदूर नेमरा गांव में हुआ था। लिहाजा वह गांव का दर्द और मर्म भी समझते हैं। माता रूपी सोरेन चाहती थीं कि बेटा पढ़ लिखकर बड़ा इंजीनियर बने, लेकिन हेमंत ने 12वीं तक ही पढ़ाई की। बोकारो, पटना और दिल्ली में पढ़े। फिर बीआइटी मेसरा में इंजीनियरिंग में दाखिला लिया, लेकिन बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी। इस वक्त परिवार मुसीबत से घिर आया था। भाई दुर्गा सोरेन की मृत्यु हो गयी। पिता भी अदालतों का चक्कर लगा रहे थे। इस कारण हेमंत सोरेन ने राजनीतिक विरासत को संभालना ही बेहतर समझा। हेमंत सोरेन के दो पुत्र हैं नितिन और विश्वजीत। फुर्सत के क्षण बच्चों के संग खेलना उन्हें खूब भाता है। पत्नी कल्पना सोरेन निजी स्कूल का संचालन करती हैं और घर का भी काम संभालती हैं।हेमंत बचपन में खेलकूद में आगे रहते थे। वह बच्चों को लीड करते थे, यानी लीडरशिप का विकास उसी दौर से आरंभ हो गया था। आज वही हेमंत सोरेन दूसरी बार झारखंड का नेतृत्व करने जा रहे हैं।

    दोस्तों के साथ मस्ती करना भी हेमंत को पसंद
    हेमंत सोरेन के बारे में कहा जाता है कि वह बोकारो सेक्टर-4 स्थित सेंट्रल स्कूल में जब पढ़ा करते थे, उस दौरान भी दोस्तों के साथ वह खूब मस्ती किया करते थे। अपने ग्रुप का वह लीडर होते थे। बाइक की सवारी भी खूब किया करते थे। मौका मिलते ही वह बोकारो की सड़कों पर बेपरवाह साइकिल का पैडल मार इस सेक्टर से उस सेक्टर का चक्कर काटा करते थे। सेक्टर छह स्थिति शॉपिंग सेंटर के नुक्कड़ में हेमंत का दोस्तों के साथ मजमा लगता था। यह बात उनके साथियों को आज भी याद है। कई साथी आज बोकारो में नहीं हैं, पर जब भी आते हैं, हेमंत से मिलना नहीं भूलते। हेमंत भी यदि बोकारो में रहते हैं, तो एक गेट टू गेदर हो ही जाती है। 1989 में हेमंत सोरेन ने पटना के एमजी हाइ स्कूल में 10वीं कक्षा में दाखिला लिया। पटना से ही उन्होंने मैट्रिक की पढ़ाई की। इसके बाद बोकारो के दोस्तों का साथ भी छूटता गया। 1990 में उन्होंने बोर्ड की परीक्षा पास की। इसके बाद पटना विश्वविद्यालय से आइएससी 1994 में किया। इसके बाद हेमंत ने बीआइटी मेसरा में इंजीनियरिंग में दाखिला लिया। बीआइटी मेसरा के अनुशासन का पालन करते थे। उन्होंने कभी जाहिर नहीं होने दिया कि झारखंड की मांग करने वाले एक शक्तिशाली नेता शिबू सोरेन के वह पुत्र हैं। सादगी से ही रहते थे। छुट्टियों में जरूर किसी रेस्त्रां में जाते थे या फिल्म देखते थे। फिल्में सुजाता सिनेमा या उपहार सिनेमा में ही देखते थे। हेमंत को गाना सुनना पसंद है।

    लांग ड्राइव पर गाना सुनना पसंद
    हेमंत सोरेन जब भी लांग ड्राइव पर जाते हैं, तो गाना सुनना न भुलते थे। हेमंत को गाड़ियों का भी शौक है। गाड़ियों को मेंटेंन रखना उनकी आदत में है। पुरानी गाड़ी को भी चकाचक रखते हैं। इसके लिए वह खुद मेहनत करते हैं। पिछली बार मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए भी हेमंत सोरेन अक्सर खुद ही ड्राइव कर प्रोजेक्ट भवन जाया करते थे।

    हेमंत सोरेन का परिचय
    नाम : हेमंत सोरेन
    जन्मतिथि : 10 अगस्त 1975
    जन्मस्थान : नेमरा, रामगढ़
    पिता : शिबू सोरेन
    माता : रूपी सोरेन
    पत्नी : कल्पना सोरेन
    दो पुत्र : नितिन और विश्वजीत
    किस-किस पद पर रहे : मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष, उपमुख्यमंत्री, वित्त मंत्री, नगर विकास, आवास, पेयजल, नागर विमानन, खान।
    पसंदीदा लेखक : प्रेमचंद
    आदर्श : शिबू सोरेन
    पसंदीदा खेल : बैडमिंटन और फुटबॉल
    रुचि-फोटोग्राफी, पेंटिग्स और ड्राइविंग

    Hemant has the potential to turn a mountain of challenges into opportunities
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