आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। आंदोलन की आग से तप कर निकले। संघर्षों की पृष्ठभूमि। समाज सेवा के लिए बैंक आॅफिसर की नौकरी छोड़ने के बाद इस आदिवासी युवा नेता को पग-पग पर कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। बावजूद इसके उन्होंने हार नहीं मानी और हौसलों से तमाम कठिनाइयों को पार करते गये। आज इसी का नतीजा है कि जनता के दिल में एक बार फिर जगह बनाने में कामयाब रहे। जी हां, हम बात कर रहे हैं बंधु तिर्की की। अभी मांडर विधानसभा से जीत का परचम लहराया है। आदिवासियों की मुखर आवाज के रूप में माने जानेवाले बंधु तिर्की को भाजपा का कट्टर विरोधी भी माना जाता है। इसी के चलते भाजपा ने मांडर से कांग्रेस नेता देवकुमार धान को शामिल कराकर टिकट दिया, लेकिन जनता ने अपने बंधु का साथ दिया। संघर्ष का परिणाम है कि बहुत ही कम समय में बंधु तिर्की झारखंड का जाना-पहचाना नाम बन गये। हाल के वर्षों में कानून व्यवस्था के पचड़ों में भी इन्हें खूब खींचा गया, आलम यह रहा कि चुनाव के ऐन वक्त पर इन्हें जेल भेज दिया गया। प्राथमिकी में नाम नहीं होने के बावजूद अप्राथमिकी अभियुक्त के रूप में नाम जोड़ कर जेल भेज दिया गया। बंधु तिर्की ने जेल से ही नामांकन किया। शुक्र है कि देश में कानून व्यवस्था का ताना-बाना सुंदर है, इसी कारण उन्हें जमानत मिल गयी। इसके बाद मांडर की जनता ने भी बंधु पर अपार स्रेह लुटाया ।

बेबाक बोल के लिए जाने जाते हैं बंधु’

जमानत मिलने के बाद पूर्व मंत्री बंधु तिर्की 85 दिनों के बाद बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा होटवार से बाहर निकले थे। बंधु तिर्की ने एसीबी को चुनौती दी थी कि उनके पास कोई अवैध संपत्ति या अतिरिक्त बैंक बैलेंस नहीं है। अगर एसीबी में हिम्मत है, तो उनके विरुद्ध सबूत जुटाये और न्यायालय में साबित करे। अगर ऐसा हुआ तो वे आजीवन जेल में रहेंगे और जमानत याचिका भी दायर नहीं करेंगे। बंधु की यह खासियत है कि खुल कर कहीं भी अपनी बात रखने में नहीं हिचकते हैं। मांडर के हर क्षेत्र में वह समान रूप से लोकप्रिय हैं। यही वजह है कि एक बार फिर जनता ने बंधु के सिर पर ही मांडर का सेहरा बांधा।

बंधु की फिरकी में उलझे विरोधी
मांडर विधानसभा सीट से झारखंड विकास मोर्चा के उम्मीदवार बंधु तिर्की ने शानदार जीत दर्ज की है। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के उम्मीदवार देव कुमार धान को बड़े फासले से पराजित किया। बंधु तिर्की के लिए ये जीत संजीवनी से कम नहीं, क्योंकि उन्हें हाल में 34वें राष्ट्रीय खेल घोटाला और पत्थलगड़ी के मामले में जमानत मिली थी। इसी साल सितंबर में एंटी करप्शन ब्यूरो ने उन्हें रांची के सिविल कोर्ट परिसर में उस वक्त गिरफ्तार कर लिया था, जब वह सीबीआइ कोर्ट में हाजिरी देने पहुंचे थे। हालांकि एसीबी की विशेष अदालत से ही उन्हें विधानसभा चुनाव लड़ने की इजाजत भी मिली। मांडर विधानसभा सीट से बंधु तिर्की इसके पहले भी दो बार विधायक रह चुके हैं। शिक्षा मंत्री तक बने। हालांकि साल 2014 में उन्हें बीजेपी की गंगोत्री कुजूर से हार का सामना करना पड़ा था। इसके पहले साल 2009 में बंधु तिर्की ने झारखंड जनाधिकार मंच के टिकट पर चुनाव जीता था। उससे पहले 2005 में भी चुनाव जीते थे। बंधु तिर्की सेंट जेवियर्स कॉलेज से 1982 में इंटरमीडिएट पास कर चुके हैं, तो रांची के सेंट जेवियर्स कॉलेज से ग्रेजुएशन किया है।

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version