आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। झारखंड में इस बार भी सरकार खरमास में बनेगी। हिंदू मान्यता के अनुसार खरमास में शुभ कार्य वर्जित है। इसे अच्छा नहीं माना जाता है। पंडित रामदेव के अनुसार खरमास में सूर्य वृहस्पति की राशि धनु में एक महीने के लिए चले जाते हैं। सूर्य को राजा और वृहस्पति को आचार्य माना गया है। जब राजा आचार्य अर्थात गुरु की शरण में चला जाये, तो दूसरे काम स्थगित हो जाते हैं। इसी मान्यता और ज्योतिषीय गणना के तहत खरमास की व्याख्या की गयी है। इस बार भी 15 दिसंबर की रात्रि से खरमास शुरू हो गया है। यह 14 जनवरी खत्म होगा। 15 जनवरी से फिर शुभ कार्य शुरू हो जायेंगे। यहां झारखंड के वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल पांच जनवरी को समाप्त हो रहा है। विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने से पूर्व नयी विधानसभा का गठन आवश्यक हो जाता है। अगर वर्तमान विधानसभा विघटित हो जायेगी और नयी का गठन नहीं होगा, तो राज्य में राष्ट्रपति शासन की अनिवार्यता होगी। हालांकि 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद 28 दिसंबर 2014 को रघुवर दास ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। यह अवधि भी खरमास की थी। खरमास में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद भी उन्होंने पांच साल तक सरकार चलायी। राजनीतिक विरोधों के अलावा सरकार के संचालन में उन्हें किसी तरह की बाधा उत्पन्न नहीं हुई।
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