29 दिसंबर को बतौर मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल का एक साल पूरा करनेवाले हेमंत सोरेन को इस दौरान विपक्ष के कई हमले झेलने पड़े। पर उन्होंने न सिर्फ विपक्ष के हमलों का करारा जवाब दिया बल्कि उन आरोपों को ढाल बनाकर बढ़ चले। विपक्ष के हमलों का जवाब देते हुए भी उन्होंने अपने विरोधियों पर कभी व्यक्तिगत आरोप नहीं लगाये। राजनीति मेें मर्यादा का न सिर्फ ध्यान रखा बल्कि शालीनता से अपने विरोधियों को परास्त भी किया। बतौर दक्ष राजनीतिज्ञ उनकी कार्यशैली पर नजर डालती दयानंद राय की रिपोर्ट।
वाकया 11 नवंबर का है। झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र मेें सरना धर्म कोड पर बहस चल रही थी। सरना आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित होनेवाला था कि विपक्ष ने इसपर गहन चर्चा कराने की मांग कर दी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जैसे विपक्ष के इस हमले का अंदाजा था। वे अपनी सीट से उठ खड़े हुए और कहा कि यह अच्छी बात है कि इस प्रस्ताव की गंभीरता का अंदाजा सदन के सदस्यों को है। पर इसमें राजनीति नहीं होनी चाहिए। फिर बोले, विधानसभा में राजनीतिक दलों के सदस्य बैठते हैं ऐसे मेें इसपर राजनीति न हो यह भी संभव नहीं है। इस पर गहन चर्चा होनी चाहिए। इसके बाद सदन मेें सरना धर्म कोड पर गहन चर्चा हुई और बिल पास हो गया। इससे पहले जब भाजपा नेता नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि भाजपा आदिवासियों के हितों की बात करती है पर प्रस्ताव में आदिवासी/सरना कोड डाला गया है उससे कई तरह की शंकाएं पैदा हो रही हैं। यह आॅब्लिग हटना चाहिए। तब भाजपा इसका समर्थन करेगी। भाजपा की इस रणनीति का मुख्यमंत्री को बखूबी अंदाजा था। इसलिए विधानसभा में चर्चा के दौरान संशोधन के जरिये आॅब्लिग हटा लिया गया। पर ऐसा करके उन्होंने न सिर्फ राज्य की आदिवासी जनता का दिल जीता बल्कि भाजपा को भी सरकार के प्रस्ताव का समर्थन करने पर मजबूर कर दिया। यह तो सिर्फ एक वाकया है, मुख्यमंत्री के तौर पर हेमंत सोरेन ने कई दफा यह साबित किया है कि राजनीतिक हमले को ढाल बनाने की कला उन्हें बखूबी आती है। जब राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा ने सरकार पर आरोप लगाया कि एक साल के कार्यकाल में सरकार ने एक भी काम नहीं किया तो हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झामुमो ने बकायदा सरकार की उपलब्धियों की सूची जारी कर भाजपा को जवाब दिया। केंद्र सरकार ने कोरोना काल में जब झारखंड पर जब अपनी विशेष नजरें नहीं इनायत की, तो हेमंत सोरेन यहां भी जवाब देने में नहीं चूके। बेरमो सीट पर उपचुनाव के दौरान दुग्दा में चुनावी सभा में उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण देश में अचानक लॉकडाउन लगा दिया गया। केंद्र से झारखंड को तनिक भी मदद नहीं मिली। झारखंड के बैंक खाते से भारत सरकार ने डीवीसी को डेढ़ हजार करोड़ दे दिया। यह तानाशाही है। केंद्र यह नहीं भूले कि झामुमो के लोग तानाशाही पर उतर गये तो पूरे देश को अंधकार में डाल देंगे। एक किलो कोयला भी झारखंड से बाहर नहीं जायेगा। ऐसे ही कार्यों के कारण झारखंड में भाजपा का धीरे-धीरे सफाया हो रहा है। पूर्व की सरकार ने गलत तरीके से बहाली की थी। इस वजह से कोर्ट ने बहाली रद्द कर दी। शिक्षकों की नौकरी बचाने के लिए उनकी सरकार सुप्रीम कोर्ट गयी है। गरीबों के दस लाख राशन कार्ड रद्द कर दिये गये थे। कोरोना काल में उनकी सरकार ने 15 लाख परिवारों को दस-दस किलो अनाज दिया। सामुदायिक किचन और दीदी किचन नहीं चलाया जाता तो लाखों मजदूर भूखे मर जाते।
दोहरी चुनौती का दक्षता से करते हैं सामना
झारखंड की राजनीति के जानकारों का कहना है कि बतौर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सामने चुनौतियां दोहरी हैं। उन पर राजनीतिक हमले न सिर्फ केंद्र से हो रहे हैं बल्कि प्रदेश भाजपा भी उन पर हमलावर है। वे चाहे भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी हों या पार्टी के राष्टÑीय उपाध्यक्ष रघुवर दास या फिर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश। वे केंद्र और प्रदेश भाजपा के राजनीतिक हमलों का बखूबी सामना कर रहे हैं साथ ही तर्कसंगत जवाब भी दे रहे हैं। बोकारो में तो उन्होंने अपने एक बयान में कहा कि नेतृत्व विहीन विपक्ष के सवालों का जवाब देना मैं उचित नहीं समझता। ऐसे समय में जब केंद्र के साथ प्रदेश भाजपा कृषि कानूनों की खूबियां गिनाने में व्यस्त है 25 दिसंबर को शहीद निर्मल महतो की 70वीं जयंती पर उन्होंने जमशेदपुर में केंद्र को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि केंद्र किसानों की पहचान मिटाने की कोशिश कर रहा है। ठंड से अन्नदाता मर रहे हैं पर प्रधानमंत्री उनकी समस्याओं के समाधान के लिए तैयार नहीं हैं।
शालीनता से देते हैं विरोधियों को जवाब
राजनीतिक विरोधियों को जवाब देने की उनकी शैली की बाबत झामुमो महासचिव विनोद पांडेय कहते हैं कि राजनीति उन्हें विरासत में मिली है। इसलिए राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को जवाब देने की कला उन्हें बखूबी आती है। पर विरोधियों को जवाब देते समय वे शालीनता का ध्यान रखते हैं। झामुमो संघर्ष से उपजी पार्टी है और उन्होंने राजनीति के संघर्ष को बखूबी देखा है। ऐसे में राजनीतिक आरोपों का जवाब देने की उनकी परिपक्वता भी बखूबी देखी जा सकती है।