केंद्र सरकार ने नए कृषि कानूनों को हटाए जाने को लेकर आंदोलनरत किसानों को उनकी मांगों पर कुछ लिखित सुझाव भेजे हैं। अब किसान नेता इन सुझावों के मसौदे पर विचार कर आगे की रणनीति तय करेंगे।

केंद्र सरकार और आंदोलनरत किसानों के बीच अब तक पांच दौर की वार्ता हो चुकी है। पिछली बैठकों में भी सरकार की ओर से किसानों को सुझाव दिए गए थे, हालांकि किसान तीनों कृषि कानूनों को पूरी तरह से हटाए जाने की मांग पर अब तक अड़े हुए हैं।

किसानों को भेजे गए कृषि कानूनों में सुधार संबंधी मसौदे में सबसे महत्वपूर्ण यह है कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को जारी रखने संबंधी लिखित आश्वासन देगी। इसके अलावा कृषि मंडियों (एपीएमसी) से जुड़े प्रावधानों में बदलाव किया जाएगा। खरीद करने वाले निजी प्लेयर्स को पंजीकरण कराना जरूरी होगा। अनुबंध के माध्यम से कृषि कराने के दौरान किसानों को न्यायालय तक जाने का अधिकार मिलेगा। इसके अलावा अलग से फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन किया जाएगा। प्राइवेट प्लेयर्स पर टैक्स लगाया जाएगा।

सरकार की ओर से 13 आंदोलनरत किसान संगठनों को भेजे गए 20 पेज के प्रस्ताव में किसानों की विभिन्न शंकाओं का समाधान करने की भी कोशिश की गई है।

सरकार की ओर से आज भी किसानों से बातचीत के लिए बैठक आयोजित की गई थी। हालांकि किसान नेताओं ने बैठक में शामिल होने से इंकार कर दिया था। सरकार ने प्रस्ताव भेज किसान संगठनों से आंदोलन त्यागने की अपील की है।

इसी बीच केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि किसानों के साथ बातचीत अंतिम दौर पर हैं। उन्होंने किसानों को भेजे गए प्रस्तावों के बारे में टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि इस समय इस पर रनिंग कमेंट्री नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के मुद्दों को लेकर संवेदनशील है, इसी के चलते सरकार ने 6 बार उनसे बातचीत की है।

इस बीच भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष राकेश टिकैत ने कहा है कि किसान अपने मुद्दों को लेकर पीछे नहीं हटेंगे। उल्लेखनीय है कि मंगलवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कुछ किसान नेताओं से वार्ता की थी। इसमें तय हुआ था कि सरकार आज एक प्रस्ताव देगी। वहीं सरकार का कहना है कि वह कृषि कानून वापस नहीं लेगी।

Share.

Comments are closed.

Exit mobile version