रांची। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के अध्यक्ष की कुर्सी रामचंद्र प्रसाद (आरसीपी) सिंह को सौंप दी है। पटना में जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की मीटिंग में रविवार को नीतीश ने आरसीपी सिंह के नाम का एलान किया। नीतीश कुमार ने मीटिंग में आरसीपी सिंह के नाम की घोषणा के साथ ही उनके पक्ष में नारे लगवा दिये। इसके साथ ही जदयू से राज्यसभा सांसद आरसीपी सिंह के केंद्र में मंत्री बनने का रास्ता भी बंद हो गया। अब ललन सिंह और संतोष कुशवाहा केंद्र में मंत्री बन सकते हैं।
सीएम नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय परिषद की बैठक में खुद आरसीपी सिंह के नाम का प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा कि मैं दो पदों की जिम्मेदारी एक साथ नहीं संभाल सकता। नीतीश के प्रस्ताव पर परिषद् के सभी सदस्यों ने मुहर लगा दी।
बैठक में अरुणाचल का मुद्दा भी उठा
जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शामिल होने के लिए तमिलनाडु, केरल, बंगाल और झारखंड के प्रतिनिधि भी पहुंचे हैं। बैठक से पहले जदयू महासचिव संजय झा ने कहा कि बैठक में अरुणाचल के मुद्दे पर भी बात होगी। जदयू नेता संजय झा ने यह भी कहा कि अरुणाचल में हमारे विधायक सरकार को समर्थन दे रहे थे। इसके बाद भी उन्हें क्यों तोड़ा गया, ये मंथन का विषय है। उन्होंने दावा किया कि सरकार पांच साल तक चलेगी। बैठक में पहुंचे पूर्व केंद्रीय मंत्री अली अशरफ फातमी ने बताया कि अरुणाचल में जो हुआ, वह दुखद है।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से पहले पश्चिम बंगाल के प्रभारी गुलाम रसूल बलियावी बंगाल चुनाव को लेकर चर्चा करते दिखे। बलियावी के साथ पश्चिम बंगाल के प्रदेश अध्यक्ष अशोक कुमार दास नजर आये। बंगाल चुनाव को भी जदयू काफी अहम मान कर चल रही है।
नीतीश कुमार के खास हैं आरसीपी सिंह
आरसीपी सिंह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खास माने जाते हैं और साये की तरह उनके साथ रहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि नीतीश कुमार बिना आरसीपी की सलाह के कोई फैसला नहीं लेते हैं। आरसीपी केवल नीतीश के राजनीतिक, रणनीतिकार और सियासी सलाहकार ही नहीं हैं, बल्कि उन्हीं के कुर्मी समुदाय से भी आते हैं।
आरसीपी सिंह का सियासी सफर
बिहार के नालंदा जिले के मुस्तफापुर में छह जुलाई 1958 को आरसीपी सिंह का जन्म हुआ था। उनकी शुरुआती शिक्षा हुसैनपुर, नालंदा और पटना साइंस कॉलेज से हुई। बाद में वे जेएनयू में पढ़ाई करने के लिए दिल्ली आ गये। राजनीति में शामिल होने से पहले वे प्रशासनिक सेवा में रहे। सिंह उत्तर प्रदेश कैडर से आइएएस रहे। वे रामपुर, बाराबंकी, हमीरपुर और फतेहपुर के जिलाधिकारी रह चुके हैं।
कहा जाता है जदयू का ‘चाणक्य’
आरसीपी सिंह पार्टी के अध्यक्ष बनने से पहले पार्टी में नंबर दो की हैसियत रखते थे। चुनावों में रणनीति तय करना, प्रदेश की अफसरशाही को नियंत्रित करना, सरकार के लिए नीतियां बनाना और उनको लागू करने जैसे सभी कामों का जिम्मा उनके कंधों पर रहा है। इसी कारण उन्हें जदयू का ‘चाणक्य’ भी कहा जाता है।
नीतीश ने संगठन का काम आरसीपी सिंह को सौंपा
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