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    Home»Jharkhand Top News»हेमंत सरकार के एक साल,  सत्ता पक्ष और विपक्ष ठोक रहे ताल 
    Jharkhand Top News

    हेमंत सरकार के एक साल,  सत्ता पक्ष और विपक्ष ठोक रहे ताल 

    azad sipahi deskBy azad sipahi deskDecember 8, 2020No Comments6 Mins Read
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    अच्छा रिसीवर वही होता है जो कमजोर सिग्नल भी मजबूती से पकड़े। और झारखंड में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बयानों से जो सिग्नल मिल रहा है, उससे साफ है कि राज्य की हेमंत सरकार के एक साल पूरे होने पर मुख्य विपक्षी दल भाजपा सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़नेवाली। इसका रिहर्सल भाजपा ने पहले से ही करना शुरू कर दिया है। वहीं, विपक्ष की इस कवायद को भांपकर गठबंधन सरकार ने भी विपक्ष को जवाब देने की पूरी तैयारी कर ली है। राज्य की हेमंत सरकार के 29 दिसंबर को एक साल पूरे हो जायेंगे। ऐसे में इस दिन जहां भाजपा सरकार की विफलताओं पर आरोप पत्र जारी करेगी। वहीं, सरकार की ओर से एक साल की उपलब्धियों का रिपोर्ट कार्ड जारी किया जायेगा। झारखंड में हेमंत सरकार के एक साल पूरे होने से पहले सत्ता पक्ष और विपक्ष की रंस्साकशी पर नजर डालती दयानंद राय की रिपोर्ट।

    वर्ष 2019 की सर्दियों में 29 दिसंबर को मोरहाबादी मैदान में जब हेमंत सोरेन ने राज्य के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी, तो यह दिन झारखंड में वर्ष 2014 में शुरू हुए रघुवर राज का अंत और हेमंत युग के शुभारंभ का दिन था। सत्ता संभालने के बाद अभी सरकार ने जनता की उम्मीदों के अनुरूप काम करना शुरू ही किया था कि मार्च में कोरोना की लहर ने झारखंड को अपने आगोश में ले लिया। खतरा जबर्दस्त था, इसलिए सरकार को अपनी प्राथमिकताएं भी बदलनी पड़ीं और बदली हुई परिस्थितियों में भी सरकार ने न सिर्फ हरेक झारखंडी के भोजन का इंतजाम किया, बल्कि लेह-लद्दाख और अंडमान से मजदूरों को एयरलिफ्ट कराकर शानदार काम किया। इससे पूर्व सत्ता संभालते ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को यह एहसास हो गया कि पूर्व की डबल इंजन की सरकार से उन्हें खाली खजानेवाला राज्य मिला है और उन्हें केंद्र के असहयोग के बावजूद झारखंड की जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना है। ऐसे में हेमंत सरकार ने दूरदर्शिता पूर्ण निर्णय लेते हुए राज्य की स्थिति पर श्वेत पत्र जारी कर जनता के सामने राज्य की स्थिति रख दी।

    राज्य का खजाना खाली करने का आरोप जब पूर्व की भाजपा सरकार पर लगा, तो पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश, भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने डैमेज कंट्रोल की जिम्मेवारी संभाली। जब भाषणों से काम नहीं चला, तो वित्तीय मामलों के जानकार तथा हजारीबाग से सांसद जयंत सिन्हा ने मोर्चा संभाला। 24 नवंबर को प्रदेश भाजपा कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में जयंत सिन्हा ने कहा कि हेमंत सरकार की गलत नीतियों के कारण राज्य का खजाना खाली हुआ है। हेमंत सरकार के गठन के समय राज्य का खजाना भरा हुआ था, पर सरकार ने न तो अवांछित खर्च पर रोक लगायी और न आंतरिक कर संग्रह में सुधार किया। इससे राज्य का खजाना खाली हो गया। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र से आर्थिक सहयोग न मिलने का सरकार का भी आरोप गलत है। बजट में पहले जहां केंद्रीय हिस्सेदारी 23 हजार करोड़ हुआ करती थी, वह दोगुना होकर 41 हजार करोड़ हो गयी है। जब जयंत सिन्हा ने आंकड़ों की बाजीगरी दिखायी और बतायी तो झामुमो पीछे कैसे रहता। झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने पलटवार करते हुए कहा कि हम तो समझते थे कि विदेश में पढ़े-लिखे लोग ज्यादा समझदार होते हैं पर ऐसा है नहीं। जयंत सिन्हा तो भाजपा के फैलाये भ्रम में आहूति डाल रहे हैं। पूर्व की भाजपा सरकार का कच्चा चिट्ठा खोलते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में सिर्फ विज्ञापनों पर 400 करोड़ खर्च किये गये। वर्ष 2014 में जब हेमंत सरकार ने सत्ता छोड़ी थी, तो राज्य की विकास दर 12.5 फीसदी थी, पर जब 2019 के अंत में रघुवर सरकार ने सत्ता छोड़ी, तो विकास दर घटकर  5.7 फीसदी रह गयी थी। अब बारी भाजपा की ओर से प्रदेश के सह प्रभारी तथा बांकुड़ा से सांसद डॉ सुभाष सरकार के हमले की थी। तीन दिसंबर को उन्होंने कहा कि भाजपा अपने आरोप पत्र में पूर्व की रघुवर सरकार की उपलब्धियों और सरकार की नाकामियों का तुलनात्मक ब्योरा प्रस्तुत करेगी। हेमंत सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर है और बिचौलिये हावी हैं। इसका जवाब चार दिसंबर को सुप्रियो भट्टाचार्य ने दिया। सुप्रियो ने कहा कि 25 विधायकों वाली जो पार्टी अपना नेता नहीं चुन पाती है, वह बांकुड़ा सांसद को बुलाकर अपना विरोध दर्ज कराती है। सरकार जिस वादे के साथ सत्ता में आयी है उसे पूरा करेगी। भाजपा जो आरोप पत्र जारी करेगी उसका जवाब जनता आक्रोश से देगी।

    सरकार को दबाव में रखना चाहता है विपक्ष

    झारखंड की राजनीति के जानकारों का कहना है कि विपक्ष में रहने पर भाजपा की पूरी कवायद गठबंधन सरकार को दबाव में रखने की है। और यह स्वभाविक भी है। दो सीटों पर हुए उपचुनाव में मिली हार और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी के नेता प्रतिपक्ष न बन पाने का मलाल भी पार्टी को है। इसी की अभिव्यक्ति विपक्षी दल के मुख्य सचेतक के रूप में राज्य स्थापना दिवस के दिन भाजपा विधायक  विरंची नारायण ने की। उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष सदन का शृंगार होता है और स्थापना दिवस कार्यक्रम में नेता प्रतिपक्ष के रूप में बाबूलाल मरांडी होते तो अच्छा होता। वहीं, हेमंत सरकार भाजपा की इस रणनीति को भांपकर हर कदम फूंक-फूंककर रख रही है। कोरोना संकट और केंद्र के असहयोग के बावजूद हेमंत सरकार ने गरीबों के हित में कई योजनाएं चलायी हैं और विपक्ष के आरोपों का डटकर जवाब दिया है। केंद्र की नीतियों के खिलाफ वे मुखर रहे हैं। कामर्शियल माइनिंग का विरोध तथा उपचुनाव में भाजपा को हराकर उन्होंने अपना दबदबा साबित किया है। पर 29 दिसंबर को तो भाजपा राज्य सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़नेवाली, लिहाजा सरकार ने 29 दिसंबर को कई योजनाएं लांच करने की तैयारी की है। सरकार के एक साल पूरे होने पर 29 दिसंबर को होटल अशोका का पर्यटन विभाग द्वारा अधिग्रहण और इको सर्किट प्रोजेक्ट की लांचिंग इसी की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। इसके अलावा नयी खेल नीति, सीधी नियुक्ति के तहत चयनित खिलाड़ियों को नियुक्ति पत्र और खिलाड़ियों तथा शोधकर्ताओं के लिए खेल पुस्तकालय का शुभारंभ भी सरकार करेगी। वहीं, राज्यभर में चयनित 15 स्कूलों में नये हॉकी एस्ट्रो टर्फ के निर्माण का शिलान्यास भी सरकार करेगी। जाहिर है पक्ष और विपक्ष दोनों ही 29 दिसंबर के लिए तैयार हैं, अब यह देखना दिलचस्प होगा कि 29 दिसंबर की किसकी तरकश से कितने तीर निकलते हैं।

    One year of the Hemant government the ruling party and the opposition are beating
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