रांची। दलबदल मामले में विधानसभा अध्यक्ष द्वारा बाबूलाल मरांडी के खिलाफ की जा रही सुनवाई पर 13 जनवरी 2021 तक रोक लग गयी है। झारखंड विधानसभाध्यक्ष द्वारा दल-बदल मामले में बाबूलाल मरांडी को शो-कॉज नोटिस देने और स्वत: संज्ञान लेने के अधिकार को चुनौती देनेवाली बाबूलाल मरांडी की याचिका पर झारखंड हाइकार्ट ने अपना फैसला सुनाया है। हाइकोर्ट ने बाबूलाल मरांडी को अंतरिम राहत देते हुए दल बदल मामले में विधानसभध्यक्ष द्वारा जारी किये गये नोटिस पर रोक लगा दी। इससे विधानसभा अध्यक्ष द्वारा बाबूलाल मरांडी पर दलबदल मामले में की जा रही कार्यवाही पर स्वत: रोक लग गयी है। हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने 13 जनवरी तक विधानसभा अध्यक्ष की कार्यवाही को अगले आदेश तक के लिए स्थगित कर दिया है। मामले में कोर्ट ने विधानसभाध्यक्ष और राज्य सरकार को जवाब दायर करने का निर्देश दिया है। वहीं महाधिवक्ता को नोटिस जारी किया है। बुधवार को कोर्ट ने मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।
बुधवार को भाजपा और बाबूलाल मरांडी की ओर से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता आर वेंकटमरमणी ने कोर्ट को बताया था कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने उत्तर प्रदेश के राजेंद्र सिंह राणा बनाम स्वामी प्रसाद मौर्य के मामले में फैसला दिया है। इसमें कहा गया है कि संविधान की 10वीं अनुसूची में विधानसभा अध्यक्ष को स्वत: संज्ञान लेने का पॉवर नहीं है। दलबदल मामले में विधानसभाध्यक्ष के पास शिकायत आने पर ही वे कोई कार्रवाई कर सकते हैं। इस मामले में बाबूलाल मरांडी के खिलाफ दलबदल मामले में किसी ने शिकायत नहीं की है। इसलिए उनके खिलाफ विधानसभाध्यक्ष द्वारा दल बदल का मामला दर्ज करते हुए कार्यवाही चलाया जाना गलत है। वहीं महाधिवक्ता राजीव रंजन ने विधानसभा की ओर से पक्ष रखते हुए कोर्ट को बताया था कि विधानसभा नियमावली के तहत विधानसभाध्यक्ष को स्वत: संज्ञान लेने का पावर है, यह उनका विशेषाधिकार है। हाइकार्ट को पॉवर नहीं है कि वह विधानसभाध्यक्ष के बीच की प्रोसिडिंग में हस्तक्षेप करे। इसलिए उनके द्वारा जो दलबदल मामले में बाबूलाल मरांडी को नोटिस दिया गया है, वह सही है।