उज्जैन। महाकालेश्वर मंदिर में कोरोना काल के 21 महीने बाद सोमवार सुबह जब गर्भगृह में भक्तों को प्रवेश दिया गया तो श्रद्धालु निहाल हो गए। पूजा के साथ शिवलिंग को स्पर्श करने की अनुमति तथा जल चढ़ाने के चलते भक्तों की लम्बी कतार सुबह से शाम तक लगी रही। मंदिर में रोजाना की अपेक्षा दो गुने भक्त पहुंचे। सोमवार का दिन होने के कारण शहरवासी भी बड़ी संख्या में मंदिर पहुंचे।

अलसुबह भस्मार्ती के बाद प्रशासक गणेश धाकड़ एवं पण्डे-पुरोहितों ने बाबा महाकाल का पूजन किया और इसके साथ ही गर्भगृह में भक्तों का नि:शुल्क प्रवेश प्रारंभ हो गया। भक्त इतने उतावले दिखे कि हर किसी को यही इच्छा थी कि गर्भगृह तक दर्शन करने पहुंच जाए। यहां तक जाने के लिए कोटितीर्थ परिसर से होकर पूर्व की भांति प्रवेश करवाया गया। हालांकि भस्मार्ती में भक्तों के प्रवेश पर प्रतिबंध लागू रखा गया।

श्रद्धालु असुविधा से बचें
बाहर से आने वाले श्रद्धालु किसी भी प्रकार की असुविधा से बचने के लिए शंख द्वार से फेसिलिटी सेन्टर, मंदिर परिसर, कार्तिकेय मण्डपम् से रैंप उतरकर गणेशमण्डपम् की बैरिकेट्स से नंदीमण्ड्पम से होते हुए गर्भगृह में प्रवेश करेंगे व दर्शन उपरान्त निर्गम रैंप से प्रस्थान करेंगे। प्रवेश बंद के दौरान 1500 रुपये की रसीद पर 02 श्रद्धालु, लघु रूद्र की रसीद पर 03 श्रद्धालु और महारूद्र की रसीद पर 05 श्रद्धालु गर्भगृह से दर्शन कर सकेंगे। इस दौरान श्रद्धालु भगवान का केवल जलाभिषेक ही कर सकते हैं। यदि श्रद्धालु के परिवार के तीन सदस्यों को गर्भगृह में जल अर्पित करना है तो उन्हें 1500 रुपये की एक रसीद के अलावा 1000 रुपये की एक अतिरिक्त रसीद कटवाना होगी।

मंदिर गर्भगृह में अभिषेक, आरती इत्यादि किया जाना तथा दूध, फूल-प्रसाद या किसी भी प्रकार की पूजन सामग्री ले जाने पर प्रतिबन्ध रहेगा। रसीदधारी श्रद्धालु महाकालेश्वर मंदिर के द्वार क्रमांक 04 से प्रवेश कर विश्राम धाम से सभा मण्डप, चॉदी द्वार से गर्भगृह दर्शन हेतु प्रवेश करेंगे। कोविड-19 महामारी हेतु जारी गाइडलाइन का पालन किया जाना अनिवार्य होगा।

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