विधानसभा में कोर्ट फीस (संशोधन) विधेयक पास

रांची। झारखंड विधानसभा शीतकालीन सत्र के पांचवें दिन बुधवार को सदन में कोर्ट फीस (संशोधन) विधेयक, 2021 पास किया गया। माले विधायक विनोद सिंह ने इस विधेयक को प्रवर समिति को भेजे जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि जल्दबाजी में विधेयक बनते है और तीन साल तक उसकी नियमावली नहीं बनती है। पिछले पांच साल में कई विधेयक पास हुए, जिनकी अबतक नियमावली नहीं बन पायी है। इस पर संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर ने कहा कि झारखंड बनने के बाद से अब तक एक बार भी कोर्ट फीस नहीं बढ़ा है। इसलिए इस विधेयक को स्वीकृति किया जाये।

नीलकंठ ने विधानसभा में उठाया राशन का मामला
खूंटी के विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने बुधवार को विधानसभा में आंगनबाड़ी केंद्रों में छह महीने से पोषण आहार उपलब्ध कराने का मामला उठाते हुए सरकार से पूछा कि आंगनबाड़ी केंद्रों को कब तह इसे उपलब्ध कराया जायेगा। तारांकित प्रश्न के तहत विधायक मुंडा ने पूछा कि क्या यह सही है कि राज्य में टेक होम राशन योजना अंतर्गत गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं और छह माह से तीन वर्ष तक के बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से पोषण आहार उपलब्ध कराया जाता है। विधायक ने पूछा कि क्या टेक होम राशन योजना बंद और यदि बंद है, तो कब तक पोषण आहार उपलब्ध कराया जायेगा।

इस पर सरकार की ओर से बताया गया कि लाभुक वर्ग को मशनीकृत रूप से परिष्कृत टेक होम राशन उपलब्ध कराने के लिए निविदा प्रक्रियाधीन है। बताया गया कि वैकल्पिक व्यवस्था के तहत वर्तमान में झारखंड राज्य आजीविका संवद्र्धन संस्था के माध्यम से सूखा राशन लाभुकों तक पहुंचाया जा रहा है। बताया गया कि शीघ्र ही लाभुकों को मशनीकृत रूप से परिष्कृत टेक होम राशन राशन उपलब्ध कराने के लिए सरकार प्रयासरत है।

पंडित रघुनाथ मुर्मू जनजातीय विश्वविद्यालय विधेयक सदन में पास
झारखंड विधानसभा शीतकालीन सत्र के पांचवें दिन बुधवार को पंडित रघुनाथ मुर्मू जनजातीय विश्वविद्यालय विधेयक 2021 सदन में पास हो गया। तीन विधायकों ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग की। सभी ने कहा कि समिति 30 दिनों के अंदर अपना प्रतिवेदन दे। प्रवर समिति में भेजने की मांग करने वाले में माले विधायक विनोद कुमार सिंह, आजसू विधायक लंबोदर महतो, भाजपा विधायक अनंत ओझा शामिल हैं। विधेयक पर कांग्रेस के बंधु तिर्की ने इसे स्वागत योग्य कदम बताया है, लेकिन इस विधेयक में कई तरह की त्रुटियां है। आदिवासी समाज के लिए यह एक महत्वपूर्ण पहल है, पास करने से पहले इसे प्रवर समिति को भेजे और जनजातीय विशेषज्ञ से इस पर राय लें।

सदन में कांग्रेस के प्रदीप यादव ने भी इस विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग की। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के अमरकंटक में इंदिरा गांधी जनजाति विश्वविद्यालय बना हुआ विश्वविद्यालय का पहले अध्ययन किया जाए। झारखंड में बनने वाले जनजाति विश्वविद्यालय में कई ऐसे अनछुए पहलू हैं, जिसे शामिल किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पंडित रघुनाथ मुर्मू जनजाति विश्वविद्यालय में फिजिक्स, मैथ, केमिस्ट्री विषय को शामिल किए जाने की आवश्यकता है। इसलिए इसे प्रवर समिति को भेजा जाए। मामले में प्रभारी मंत्री मिथलेश ठाकुर ने कहा कि जनजाति विश्वविद्यालय में सभी पहलुओं को शामिल किया गया है। ऐसे ही इस विधेयक को प्रवर समिति को भेजे जाने का कोई औचित्य नहीं है।

कोचे मुंडा ने विधानसभा में उठाया तोरपा, कर्रा और रनिया में ग्रामीण जलापूर्ति का मामला
तोरपा के भाजपा विधायक कोचे मुंडा ने बुधवार को विधानसभा में रनिया, तोरपा और कर्रा प्रखंड में प्रस्तावित ग्रामीण जलापूर्ति का उठाते हुए इस संबंध में जवाब की मांग की। विधायक मुंडा ने तारांकित प्रश्न के तहत पूछा कि क्या ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत खूंटी जिले की कारो नदी से कर्रा प्रखंड के डहकेला, गोविंदपुर और जरियागढ़, रनिया प्रखंड के बनई, डाहू और खटंगा तथा तोरपा प्रखंड के फटका, तपकारा और कमड़ा गांव में जलापूर्ति करने का प्रस्ताव है।

इस पर पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के मंत्री मिथलेश ठाकुर की ओर से बताया गया कि रनिया प्रखंड के बनई, डाहू और खटंगा के लिए कोयनारा, तोरपा प्रखंड के तपकारा और कमड़ा के लिए तपकरा बहु ग्रामीण जलापूर्ति योजना के लिए प्रेशासनिक स्वीकृति की कार्रवाई की जा रही है। कर्रा प्रखंड के गोविंदपुर, जरिया और डहेकेला के लिए गोविंदपुर बहु ग्रामीण जलापूर्ति योजना की डीपीआर की कार्रवाई की जा रही है। बताया गया तोरपा के फटका ग्राम को एकल ग्रामीण जलापूर्ति योजना से आच्छादित करने के लिए प्राक्कलन तैयार किया जा रहा है।

भंडरिया में अवैध कोयला उत्खनन जोरों पर : विधायक
विधायक आलोक चौरसिया ने बुधवार को कहा कि उनके विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत हूटार कोयलयरी व भंडरिया प्रखंड अंतर्गत तिहारो से कोयला का अवैध उत्खनन चरम पर है। उन्होंने कहा कि कोयला माफिया दिन दहाड़े अवैध कोयले कारोबार में लिप्त हैं और जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन की उस पर नजर नहीं। आखिर यह सब क्या हो रहा है? हमें तो यह लगता है कि मिलीभगत से अवैध कोयला का उत्खनन कारोबार चल रहा है। यदि मिलीभगत नहीं है तो आखिर मुख दर्शक क्यों बने हैं अधिकारी। अब तक करवाई क्यों नहीं की गयी। अवैध कोयला उत्खनन से राजस्व की भारी क्षति हो रही है।

विधायक ने कहा कि उन्होंने राज्य सरकार को कई बार इस मामले पर अवगत कराया है। इस कोयले उत्खनन में भारी क्षति को बचाने के लिए और इस कारोबार में संलिप्त लोगों पर सख्त करवाई करने के लिए अगर सरकार इस पर जल्द कार्रवाई नही करती है तो हम सभी सड़क पर उतरने को बाध्य होंगे।

विधानसभा : भाजपा विधायक मनीष जायसवाल का निलंबन वापस
झारखंड विधानसभा सत्र के पांचवें दिन बुधवार को भाजपा विधायक मनीष जायसवाल का विधानसभा के शीतकालीन सत्र से निलंबन वापस हो गया है। विधानसभा अध्यक्ष रविंद्र नाथ महतो ने उन्हें सदन में आने की अनुमति दे दी है। इससे पहले संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने स्पीकर से विधायक जायसवाल का निलंबन वापस लेने का आग्रह किया। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने यह निर्देश दिया।

उल्लेखनीय है कि एक दिन पूर्व में सदन में प्रोसेडिंग पेपर फाड़ने के आरोप में विधानसभा अध्यक्ष रविंद्र नाथ महतो ने उन्हें मौजूदा सत्र से निलंबित कर दिया था। इसके बाद भाजपा विधायकों ने सदन में हंगामा किया था।

विधानसभा में झारखंड विद्युत शुल्क (संशोधन) विधेयक पारित
झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पांचवें दिन बुधवार को झारखंड विद्युत शुल्क (संशोधन) विधेयक 2021 पास हुआ। भाजपा विधायक नवीन जायसवाल और अनंत ओझा ने विधेयक को प्रवर समिति को भेजने का मांग करते हुए कहा कि समिति 30 दिनों के अंदर अपना प्रतिवेदन दे।

इसे लेकर भाजपा विधायक अनंत ओझा ने कहा कि विधेयक में सिर्फ उद्योगों को शामिल किया गया है। आम उपभोक्ताओं को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए। इस पर वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि औद्योगिक इकाइयां जनरेटर से भी बिजली उत्पादित करते हैं। ऐसे में उनपर दो तरह का टैक्स लगता है। एक टैक्स डीजल का और दूसरा बिजली बिल का। ऐसे में उन्हें एक टैक्स से मुक्ति दिलाने की कोशिश के लिए यह विधेयक लाया गया है।

दो महीने के अंदर होगा मानदेय का भुगतान
झारखंड विधानसभा शीतकालीन सत्र के पांचवें दिन सदन में झामुमो विधायक सीता सोरेन ने वर्ष 2016 से 2021 तक सेविका सहायिका के बकाये भुगतान और पोषाहार की राशि का भुगतान नहीं किये जाने का मामला उठाया।

उन्होंने कहा कि कई जिलों के पोषण सखियों को नौ महीने से मानदेय नहीं मिला है। इसके जवाब में मंत्री जोबा मांझी ने कहा कि भारत सरकार ने इस योजना बंद कर दिया है। सरकार मंथन कर रही है। कुल 10,388 पोषण सखियों को नौ महीनों से मानदेय नहीं मिला है। मंत्री ने भरोसा दिया है कि दो माह के भीतर मानदेय का भुगतान कर दिया जाएगा।

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