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    Home»देश»तीन साल की चेतना का रेस्क्यू ऑपरेशन जारी, 42 घंटे से बोरवेल में फंसी है मासूम
    देश

    तीन साल की चेतना का रेस्क्यू ऑपरेशन जारी, 42 घंटे से बोरवेल में फंसी है मासूम

    shivam kumarBy shivam kumarDecember 25, 2024Updated:December 25, 2024No Comments3 Mins Read
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    कोटपूतली। कोटपूतली के कीरतपुर के बड़ीयाली की ढाणी में 700 फीट गहरे बोरवेल में गिरी तीन साल की चेतना का रेस्क्यू तीसरे दिन भी पूरा नहीं हो सका है। प्रशासन की फेल प्लानिंग के चलते मासूम 42 घंटे से बोरवेल में फंसी हुई है। मंगलवार रात चार देसी तकनीकों की विफलता के बाद पाइलिंग मशीन का उपयोग शुरू किया गया। रेस्क्यू टीमों के लिए मौसम की धुंध और तकनीकी बाधाएं चुनौती बन रही हैं।

    चेतना सोमवार दोपहर 2 बजे खेलते समय बोरवेल में गिर गई थी। शुरुआत में वह करीब 150 फीट की गहराई पर फंसी हुई थी। देसी जुगाड़ (एल बैंड) का इस्तेमाल करते हुए टीमें उसे केवल 30 फीट तक खींचने में सफल रहीं, लेकिन मंगलवार सुबह से चेतना का मूवमेंट कैमरे में दिखाई नहीं दिया।

    परिवार ने प्रशासन पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं। विशेषज्ञ तकनीक की जगह देसी जुगाड़ पर भरोसा करने से 30 घंटे तक बोरवेल के समानांतर गड्ढा खोदने की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई। बोरवेल रेस्क्यू में प्रोटोकॉल के अनुसार समानांतर गड्ढ़ा खोदकर पीड़ित को निकालने का प्रयास सबसे पहले किया जाता है।

    एनडीआरएफ इंचार्ज योगेश मीणा ने बताया कि पाइलिंग मशीन की क्षमता 150 फीट तक खुदाई करने की है। इसी कारण मंगलवार रात को जेसीबी मशीन का उपयोग कर बोरवेल से 20 फीट की दूरी पर 10 फीट गहरी खुदाई की गई। इसके बाद पाइलिंग मशीन से 150 फीट लंबी समानांतर सुरंग खोदी जाएगी। इस प्रक्रिया में सुरंग से बोरवेल तक एक छोटी टनल बनाई जाएगी, जिससे बच्ची तक पहुंचा जा सके। योजना के अनुसार, 160 फीट तक गहराई में पहुंचने पर बच्ची को नीचे से सुरक्षित निकालने का प्रयास किया जाएगा। फिलहाल बच्ची को जे-शेप हुक की मदद से बोरवेल में स्थिर रखा गया है। टीम का उद्देश्य है कि सुरंग बनाकर सबसे सुरक्षित तरीके से चेतना तक पहुंचा जाए।

    चेतना का आखिरी मूवमेंट मंगलवार को देखा गया था। इतने लंबे समय तक भूखे रहने के कारण उसकी स्थिति को लेकर परिवार और रेस्क्यू टीम चिंतित हैं। फिलहाल बच्ची को जे-शेप हुक से स्थिर किया गया है।

    अब तक के असफल प्रयास:

    पहले प्रयास में सोमवार रात 1 बजे रिंग रॉड और अंब्रेला तकनीक को आजमाया गया, लेकिन बच्ची के कपड़ों में उलझकर प्रयास विफल हो गया। दूसरा प्रयास: देर रात 3 बजे फिर से रिंग का इस्तेमाल किया गया, जो सफल नहीं रहा। मंगलवार सुबह चेतना को हुक से खींचने की अनुमति परिवार से ली गई, लेकिन यह प्रयास भी विफल रहा। चौथे प्रयास में लोहे की प्लेट से बने एन बैंड जुगाड़ का उपयोग किया गया, लेकिन विजुअल नहीं मिलने के कारण यह भी असफल रहा।

    उल्लेखनीय है कि 9 दिसंबर को दौसा में पांच वर्षीय आर्यन बोरवेल में गिर गया था। 57 घंटे के लंबे रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद उसे बाहर निकाला गया। उसे एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम से लैस एंबुलेंस से हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।

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