रांची। झारखंड में पुलिस की कार्यशैली और लापरवाही ने एक बार फिर सवालों के घेरे में आकर खड़ा कर दिया है। हाल के महीनों में जब्त अवैध सामानों, खासकर नशीले पदार्थों की चोरी की घटनाएं बढ़ी हैं। इन वारदातों से न केवल सबूत नष्ट हो रहे हैं, बल्कि आरोपी कानूनी राहत पा रहे हैं। गिरिडीह, दुमका और रांची जैसी घटनाओं ने पुलिस की निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि मजबूत सुरक्षा और डिजिटल ट्रैकिंग की कमी से माफिया फायदा उठा रहे हैं।
गिरिडीह जिले में पांच साल पुरानी घटना ने फिर सुर्खियां बटोरीं। निमियाघाट से जब्त करीब दो हजार पेटी शराब को सुरक्षा कारणों से पुराने सर्किट हाउस में रखा गया था। लेकिन शातिर चोरों ने संगठित तरीके से इसे लूट लिया। उत्पाद विभाग ने तत्परता दिखाते हुए 1 दिसंबर 2025 को स्पेशल ब्रांच के पूर्व एसपीओ शशि सहित तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया। इन पर जब्त शराब को बाजार में खपाने का आरोप है। गिरिडीह एसपी ने बताया कि जांच में और नाम उजागर हो सकते हैं, लेकिन इतने सालों बाद भी माल गायब होना पुलिस की विफलता दर्शाता है।
दुमका में तो चोरों ने पुलिस को खुली चुनौती दे दी। मुफस्सिल थाना क्षेत्र में जब्त लाखों रुपये मूल्य के प्रतिबंधित कोरेक्स कफ सीरप की चोरी 21 दिसंबर 2025 की रात हुई। पुलिस ने कमरे को सील कर ताला लगाया था, लेकिन माफियाओं ने ताला तोड़कर सारा माल उड़ा लिया। सबूत मिटाने के लिए नया ताला भी लगा दिया। थाना प्रभारी ने स्वीकार किया कि सीसीटीवी की कमी से चोर ट्रेस नहीं हो पाए। इस घटना से स्थानीय व्यापारी और ग्रामीण दहशत में हैं, क्योंकि नशीले पदार्थों का बाजार फिर फल-फूल सकता है।
रांची के ओरमांझी थाने में हुई घटना तो हास्यास्पद लगती है। 17 जनवरी 2022 को एनडीपीएस एक्ट के तहत जब्त 200 किलो गांजा ‘चूहों ने खा लिया’। आरोपी बिहार के वैशाली जिले के वीरपुर गांव निवासी इंद्रजीत राय के केस में पुलिस ने कोर्ट को यह बयान दिया। अदालत ने सबूतों की खामियों और लापरवाही को गंभीर बताते हुए आरोपी को बरी कर दिया। जज ने टिप्पणी की कि जब्त माल की हिफाजत न करना पुलिस की जिम्मेदारी है। इस घटना ने पूरे राज्य में हंसी-ठिठोली का विषय बना दिया, लेकिन इससे पुलिस की विश्वसनीयता पर बट्टा लगा।
ये घटनाएं झारखंड पुलिस के मालखाने प्रबंधन की पोल खोल रही हैं। विशेषज्ञ सुझाव दे रहे हैं कि जीपीएस ट्रैकिंग, 24×7 सीसीटीवी और सख्त ऑडिट जरूरी हैं। डीजीपी ने कहा कि दोषियों पर कार्रवाई होगी, लेकिन जनता में अविश्वास बढ़ रहा है। क्या ये चोरियां महज लापरवाही हैं या सिस्टम में सेंध? अब जांच एजेंसियों पर नजरें टिकी हैं।

