- कलंक : इरफान, राजेश और नमन की कहानी से एक बार फिर बेपर्द हुआ झारखंड
- आखिर अपने विधायकों को क्यों सहेज नहीं पा रही कांग्रेस, पार्टी इतनी बेबस और लाचार क्यों है!
- आखिर कब तक बिकते रहेंगे झारखंड के विधायक, सिर्फ एफआइआर ही होगी या कार्रवाई भी
आज से करीब 11 साल पहले अप्रैल, 2011 में जब देश की राजनीतिक राजधानी दिल्ली में महाराष्ट्र के रालेगांव सिद्धी निवासी पूर्व फौजी अन्ना हजारे ने ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ नामक आंदोलन शुरू किया था, सवा सौ करोड़ की आबादी वाले इस देश ने एक नया सपना देखा था। लेकिन तब झारखंड 11 साल का किशोर था और उसे अपने भविष्य की चिंता सता रही थी। आज वही झारखंड 22 साल का गबरू जवान बन चुका है, लेकिन इसके माथे पर इसके रहनुमा ही बार-बार जो कलंक का टीका लगा रहे हैं, उससे सवा तीन करोड़ लोगों का यह ‘गरीब’ प्रदेश खून के आंसू रोने को बाध्य है। उसे समझ में नहीं आ रहा है कि वह अपने इन रहनुमाओं को कोसे या अपनी किस्मत पर रोये। फिर भी भ्रष्टाचार, राजनीतिक अस्थिरता और तमाम तरह की नकारात्मक टिप्पणियों को झेलते हुए झारखंड आगे बढ़ता रहा। 2019 के दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में जब लगातार दूसरी बार राज्य में पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी, तब यहां के लोगों को लगा था कि पूर्व में हुई गलतियां अब नहीं होंगी। इसके साथ ही झारखंड के युवावस्था की आकांक्षाएं भी अंगड़ाई लेने लगीं। झारखंड ने तेजी से दौड़ शुरू की, लेकिन कांग्रेस विधायकों की शर्मनाक हरकत से साफ हो गया है कि जो सपने झारखंड ने बुने थे, वे हकीकत में नहीं बदल सके हैं। झारखंड के लोगों को पता चल गया है कि वे ठगे रह गये हैं और एक बार फिर सुखद-निरापद भविष्य के सपनों में उलझ कर रह गये हैं। युवा झारखंड को अब पता चल रहा है कि किशोरावस्था में उसे जो सपने दिखाये गये थे, वे पूरे तो नहीं ही हुए, बदले में राजनीतिक स्थिरता के नाम पर उससे बड़ी कीमत वसूल कर ली गयी। जिस राज्य का हर दूसरा बच्चा कुपोषित हो, उस प्रदेश की एक आइएएस अधिकारी के नजदीकी के यहां से 19 करोड़ की नगदी मिलती है, एक नेता और उसके करीबियों के बैंक खातों से 35 करोड़ बरामद होते हैं, तो तीन विधायक 49 लाख रुपये के साथ पकड़े जाते हैं, यह बेहद शर्मनाक है। झारखंड कांग्रेस के तीन विधायकों इरफान अंसारी, नमन विक्सल कोंगाड़ी और राजेश कच्छप के मौजूदा कृत्य पर अब चाहे जो भी सियासत हो, कांग्रेस चाहे जो भी सफाई दे, लेकिन यह सच है कि कांग्रेस के विधायक बिकाऊ हैं। यह खुद कांग्रेस कह रही है, तभी तो वह विधायकों के नाम से एफआइआर करा रही है। शनिवार की शाम कोलकाता के हावड़ा में कांग्रेस के तीन विधायकों की कैश के साथ गिरफ्तारी ने झारखंड के घाव पर मरहम की बजाय नमक छिड़क दिया है। इसी घाव के विभिन्न लक्षणों को सामने लाती आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह की खास रिपोर्ट।
पश्चिम बंगाल में 49 लाख रुपये नगद के साथ गिरफ्तार झारखंड कांग्रेस के तीन विधायक इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और नमन विक्सल कोंगाड़ी भले ही अपने बचाव में सफाई दें, कहानियां गढ़ें और कांग्रेस आलाकमान उनकी बखिया उधेड़े, लेकिन सच्चाई यही है कि उनका यह कारनामा पूरे देश में झारखंड को एक बार फिर शर्मसार कर रहा है। पैसा किसका है, किसने दिया, क्यों दिया, इन सवालों के जवाब तो मिलते रहेंगे, लेकिन देश के इतिहास में पहली बार हुआ है कि एक राज्य का विधायक दूसरे राज्य में इतनी बड़ी मात्रा में नगदी के साथ पकड़ा गया है। स्वाभाविक तौर पर इस घटना के बाद सियासत शुरू हो गयी है। कांग्रेस इस घटना को जहां झारखंड की हेमंत सरकार को भाजपा की ओर से अस्थिर करने के रूप में प्रचारित कर रही है, वहीं भाजपा के नेता यह आरोप लगा रहे हैं कि आखिर कांग्रेस के इन विधायकों के पास इतने पैसे आते कहां से हैं। अगर कांग्रेस के इस आरोप को थोड़ी देर के मान भी लिया जाये कि भाजपा राज्य सरकार को अस्थिर करना चाहती है, तो यज्ञ प्रश्न यही है कि आखिर कांग्रेस के विधायक बार-बार बिकने को तैयार क्यों हो जाते हैं। पार्टी में रहते हुए कांग्रेस ने इनमें कौन से संस्कार भरे हैं कि कभी कोई चंद रुपयों का घोटाला कर लेता है, तो कभी तीन विधायक मिल कर 49 लाख रुपये सरकार को अस्थिर करने के लिए ले लेते हैं। जाहिर है, बंगाल पुलिस इस मामले में अपनी जांच को तेज करेगी और आज नहीं तो कल वह किसी न किसी नतीजे पर पहुंचेगी, वहीं झारखंड पुलिस भी इसकी पोल-पट्टी खोलने का प्रयास करेगी, लेकिन इस बात की क्या गारंटी है कि कल कांग्रेस का कोई और विधायक बिकने को तैयार नहीं होगा। सच तो यही है कि अगर बिकनेवाला ही नहीं होगा, तो कोई खरीदेगा कैसे। सबसे ज्यादा दोष तो बिकाऊ विधायकों का है। आखिर कांग्रेस उन्हें कैसे रोकेगी। हकीकत यही है कि इस पूरे खेल की पोल का अंत अभी होता नहीं दिखाई दे रहा है। कांग्रेसी विधायकों को यह पैसा किसने दिया, क्यों दिया और कहां दिया, इसका जवाब इतना आसान भी नहीं है। बल्कि अब तो इस पर यह भी सियासत होने लगी है कि क्या इतने कम पैसे में कोई सरकार खरीदी या गिरायी जा सकती है। दूसरी तरफ विधायकों के समर्थक अब उनके खिलाफ आवाज उठानेवाले या एफआइआर करनेवाले को ही सामंती विचारधारा का पोषक होने का आरोप लगा रहे हैं। सोशल मीडिया में यह खूब प्रचारित हो रहा है कि कांग्रेस के सामंती विचारधारा वाले लोग मुसलिम और आदिवासी विधायकों को जानबूझ कर शिकार बना रहे हैं। ये लोग विधायकों के खिलाफ एफआइआर करानेवाले अनूप सिंह को सामंती विचारधारा का बता रहे हैं, तो इरफान अंसारी, नमन विक्सल कोंगाड़ी और राजेश कच्छप को हीरो के रूप में प्रचारित कर रहे हैं।
आरंभिक तौर पर कांग्रेस की तरफ से कहा गया कि ये तीन विधायक झारखंड सरकार को अस्थिर करने की मुहिम में लगे थे और उन्होंने ‘कुछ सियासी ताकतों’ से डील की थी। पकड़ा गया पैसा उसी डील का हिस्सा था। लेकिन यहां सवाल यह है कि आखिर उस ‘सियासी ताकत’ ने इरफान जैसे बड़बोले और विवादित विधायक, राजेश कच्छप और नमन विक्सल कोंगाड़ी जैसे फर्स्ट टर्म विधायक को ही इस महत्वपूर्ण अभियान के लिए क्यों चुना। इतना ही नहीं, पैसे की आवाजाही के रूट को लेकर भी अब तक ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। इसे लेकर जितनी मुंह, उतनी बातें हैं। कांग्रेस और झामुमो के नेता इसे भाजपा का पैसा बता रहे हैं, तो भाजपा के नेता इसे झारखंड में हाल के दिनों में सामने आये भ्रष्टाचार के मामलों से जोड़ कर देख रहे हैं।
क्या कहा कांग्रेस और भाजपा ने
झारखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने दावा किया है कि पूरे देश में गैर भाजपा सरकारों को गिराने की साजिश में भाजपा लंबे समय से लगी है और इसके कई उदाहरण अभी तक मिल चुके हैं। ठाकुर ने कहा कि यह घटना दुखद है, निंदनीय है और जिस तरह की बातें सामने आ रही हैं, उससे स्पष्ट हो गया कि गैर भाजपा शासित राज्यों में सरकार गिराने का कार्यक्रम जारी है। जनता किसी को चुनकर भेजे, लेकिन सरकार कोई और बना ले। इस पर पूरे देश को सोचना होगा। ऐसे में पैसा कहां से आया, यह बात तो विधायक ही बता सकते हैं। सरकार के पास विधायकों की गतिविधियों की जानकारी मिल रही थी। कहीं ना कहीं असम केंद्र बना हुआ है, जहां से साजिश रची जा रही है। उन्होंने कहा कि ऐसे विधायको ंके खिलाफ कांग्रेस कठोर से कठोर कदम उठायेगी। कुछ इसी तरह का आरोप पूर्व विधायक बंधु तिर्की ने भी लगाये हैं। कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे ने भी भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा है कि यह भाजपा की करतूत है। भाजपा हर उस सरकार को अस्थिर करना चाहती है, जिससे उसे चुनौती मिलती है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में वह पूरी रिपोर्ट सोनिया गांधी को सौंपेंगे और विधायकों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की अनुशंसा करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि तत्काल प्रभाव से कांग्रेस के तीनों आरोपित विधायकों को सस्पेंड कर दिया गया है। सरकार को अस्थिर करने की बात झामुमो नेता सुप्रियो भट्टाचार्य भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह सब भाजपा की ही कारस्तानी है। लेकिन वह यह भी स्वीकारते हैं कि जब हमारे विधायक ही इसमें शामिल हो जायेंगे, तो क्या कहा जाये।
उधर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा है कि कांग्रेस के विधायकों के पास से पैसे बरामद हुए हैं। ममता बनर्जी के राज्य से इस पैसे की बरामदगी हुई है। कांग्रेस और कांग्रेस के विधायक इस पर स्थिति स्पष्ट करें। उन्हें जनता को बताना चाहिए कि पैसे कहां से आये हैं। उनके कहने का लब्बोलुआब यही है कि ये पैसे या तो झारखंड के थे, जिसे खपाने की गरज से ले जाया गया था या फिर पश्चिम बंगाल के थे, जिन्हें छिपाने की जरूरत थी। कुछ इसी तरह का आरोप भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी भी लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आखिर इस सरकार के लोगों के पास करोड़ों-करोड़ों की गड्डी कहां से आ जाती है। उनका इशारा कहीं न कहीं पूजा सिंघल के सीए सुमन कुमार सिंह के यहां से बरामद 19 करोड़ की नगदी से और साहेबगंज में इडी की छापेमारी में बरामद रुपयों से है।
विवादों से पुराना नाता रहा है इन तीनों विधायकों का
अब बात इन तीन विधायकों की। दरअसल कांग्रेस के इन तीनों विधायक इरफान अंसारी, नमन विक्सल कोंगाड़ी और राजेश कच्छप का विवादों से पुराना नाता रहा है। जामताड़ा से कांग्रेस विधायक डॉ इरफान अंसारी 2014 में पहली बार विधायक चुने गये। उन्होंने उस चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार वीरेंद्र मंडल को पराजित किया था। इसके बाद 2019 के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने जामताड़ा विधानसभा क्षेत्र से लगातर दूसरी बार जीत दर्ज की। विधानसभा हो या बाहर, वे अपने बयानों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहा करते हैं। अपने बयानों के कारण वे विरोधी दलों के भी निशाने पर रहते हैं। मात्र यही नहीं कई बार वे पार्टी आलाकमान से लेकर अपने मंत्री, अधिकारियों और सरकार पर भी आरोप लगाते रहे हैं। बार-बार वह झारखंड सरकार के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के खिलाफ हल्ला बोलते रहे हैं। कभी वह जामताड़ा के साइबर ठगों को ज्ञानी विद्यासागर बता देते हैं, तो कभी वह खून से लथपथ लथपथ कह कर समाज को उकसाने का प्रयास करते हैं। उन्हें उपद्रवियों को समाजसेवी कहने से भी परहेज नहीं है। अभी कुछ दिन पहले रांची में हुई हिंसक वारदातों में उन्होंने खुल कर उपद्रवियों का पक्ष लिया था और एसएसपी से लेकर डीसी तक को कठघरे में खड़ा कर दिया था। उन्होंने मुख्यमंत्री से मिल कर तत्काल रांची के एसएसपी और डीसी को हटाने की बात कही थी। कुछ दिनों बाद ये हटा भी दिये गये। इरफान अंसारी कब किसके खिलाफ क्या बोल दें और कब किसे कौन सा सर्टिफिकेट दे दें, यह कोई नहीं कह सकता। कई अवसरों पर तो उन्होंने आलाकमान तक को खुली चुनौती दे दी थी। वह यह भी कहते रहे हैं कि झारखंड उनके बाप की बपौती है, वे चाहे जो करें, उनकी मर्जी।
कोंगाड़ी ने कहा था: हमें मिला था प्रलोभन
कोलेबिरा विधायक नमन विक्सल कोंगाड़ी दूसरी बार विधायक बने हैं। पहली बार 2018 में वह कोलेबिरा में हुए उप चुनाव में जीते थे। उस समय उन्होंने एनोस एक्का की पत्नी मेनन एक्का को हराया था। वह पिछले दिनों सरकार गिराने का मामला प्रकाश में आने पर चर्चा में आये थे। तब उन्होंने खुद दावा किया था कि उन्हें सरकार गिराने के लिए प्रलोभन दिया गया था। उन्होंने इसको लेकर प्रदेश कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष और वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव से इसकी शिकायत भी की थी। उन्होंने कहा था कि सरकार को गिराने के लिए भाजपा वाले उन्हें प्रलोभन दे रहे हैं, लेकिन वह बिकाऊ नहीं हैं। आज वही विक्सल कोंगाड़ी कठघरे में हैं और उनके खिलाफ भी कांग्रेस के विधायक जयमंगल सिंह उर्फ अनूप सिंह ने अरगोड़ा थाने में एफआइआर दर्ज करायी है। आरोप है कि कोंगाड़ी भी इरफान अंसारी के साथ-साथ उन्हें प्रलोभन दे रहे थे और बार-बार कोलकाता आने के लिए दबाव बना रहे थे।
राजेश कच्छप पर लगता रहा है अलग गुट के साथ होने का आरोप
राजेश कच्छप ने 2019 के विधानसभा चुनाव में पहली बार खिजरी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और सफलता हासिल की। उन्होंने खिजरी से भाजपा के तत्कालीन विधायक रामकुमार पाहन को पराजित किया था। पार्टी के कार्यक्रमों में सक्रिय रहने वाले राजेश कच्छप को भी सरकार गिराने के लिए प्रलोभन मिलने की बात पिछले दिनों सामने आयी थी। पिछले कुछ समय से कांग्रेस के कुछ विधायक पार्टी से अलग बैठक कर अपनी-अपनी रणनीति बनाते थे। उसमें विधायक राजेश कच्छप का भी नाम प्रमुखता से शामिल रहता था। राष्ट्रपति चुनाव के दौरान भी विपक्ष के प्रत्याशी को लेकर राजेश कच्छप ने असंतोष के तेवर दिखाये थे। जब-जब कांग्रेस में टूट के प्रयास की बात सामने आती है, राजेश कच्छप का नाम उसमें सबसे आगे रहता है।
अनंत है कांग्रेसियों की कहानी
सरकार को अस्थिर करने की कहानी में हर दिन नया अध्याय जुड़ता है। अब तो बात यहां तक आ रही है कि कांग्रेस में टूट का अध्याय मुकम्मल रूप पा चुका है। लोग तो यहां तक बात कर रहे हैं कि कांगेस के 12 विधायक टूटने को तैयार हैं। उन्होंने कांग्रेस बिरसा नाम से संगठन भी बना लिया है। उसमें एक पूर्व अध्यक्ष और मंत्री के शामिल होने की कहानी भी बहुत चटखारे लेकर सुनायी जा रही है। कहा जा रहा है कि उस नेता की असम के मुख्यमंत्री से दिल्ली के एक आलीशान होटल में मुलाकात भी हो चुकी है और पूरी फिल्म तैयार हो चुकी है। सिर्फ उचित समय पर उसे लांच करने की जरूरत है। यही नहीं, कुछ लोगों का यहां तक कहना है कि राष्टÑपति चुनाव में कांग्रेस के विधायकों की तरफ से जो क्रॉस वोटिंग हुई, वह उसी कहानी का एक रूप था। उसमें कांग्रेस के दस विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी। उनके नाम भी बताये जा रहे हैं। साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि पार्टी आलाकमान उनके खिलाफ कार्रवाई करेगा। अब इंतजार इस बात का है कि क्या कांग्रेस की टूट इस कहानी के बाद रूक जायेगी। कुछ लोगों का तो यहां तक दावा है कि टूट की कहानी अब और रफ्तार पकड़ेगी, क्योंकि कांग्रेस का मौजूदा नेतृत्व बेबस और लाचार दिख रहा है और उन विधायको ंमें अब इस बात का भय भी हो गया है कि वे कांग्रेस में रहेंगे तो आखिर इस बात की क्या गारंटी है कि भविष्य में कांग्रेस उन्हें अपनायेगी ही।
अब कहानी झारखंड के दर्द की
कहा जाता है कि सपनों के टूटने का दर्द बहुत गहरा होता है और यह किसी भी समाज की व्यवस्था के लिए घातक होता है। करीब 22 साल का झारखंड आज अपने सफर के इसी मोड़ पर खड़ा है, जहां उसके पास केवल टूटे हुए सपने हैं और उन सपनों को सहेज कर फिर से उन्हें रंगीन बनाने की चुनौती वर्तमान सरकार के सामने है। याद कीजिये 2011 की चार अप्रैल की तारीख, जब दिल्ली के रामलीला मैदान में गांधीवादी अन्ना हजारे ने ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ नामक आंदोलन शुरू किया था और देखते-देखते पूरा देश उनके साथ खड़ा हो गया। तब झारखंड किशोरावस्था में था, लेकिन उसने भी अन्ना आंदोलन में साझीदारी निभायी थी। आज झारखंड कहां खड़ा है। जो राज्य देश की खनिज जरूरतों का 40 फीसदी हिस्सा अकेले पूरी करता है, जिस राज्य की बदौलत देश में रोशनी होती है, उस राज्य का हर दूसरा बच्चा कुपोषित है और प्रति व्यक्ति आय के मामले में नीचे से दूसरे नंबर पर है, उस राज्य के विधायक लाखों रुपये के साथ दूसरे राज्य में गिरफ्तार होते हैं। सोचिए कि यह कितनी शर्मनाक स्थिति है। इस राज्य में हालत यह हो गयी कि उद्घाटन के 16 घंटे बाद ही साढ़े चार हजार करोड़ की कोनार नहर परियोजना के बांध बह गये और इंजीनियरों ने कह दिया कि चूहों ने इसे कुतर दिया, इसलिए ऐसा हुआ। न किसी पर कार्रवाई हुई और न कोई जांच। गुमला में एक ही रात में बारिश में नौ पुल बह गये, लेकिन किसी को फर्क नहीं पड़ा। पावर का ऐसा बेशर्म प्रदर्शन शायद ही कहीं और देखने को मिले। ऐसे अनगिनत वाकये हैं, जिन्होंने झारखंड के सपनों को न केवल बेरहमी से कुचला, बल्कि उसके सुखद भविष्य पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर दिया।
झारखंड के इस घाव पर नमक छिड़का राम विनोद सिन्हा जैसे इंजीनियरों ने, जिसके यहां से तीन करोड़ रुपये बरामद हुए, फिर आइएएस पूजा सिंघल के करीबी सीए सुमन सिंह ने, जो 19 करोड़ की नगदी छिपाये बैठा था और पंकज मिश्रा के सहयोगियों के यहां से बैंक खातों से बरामद करोड़ों की रकम ने। अब इन तीन विधायकों ने इस घाव को कुरेद दिया है। ऐसे में अब झारखंड का हर व्यक्ति उन टूटे हुए सपनों का हिसाब मांग रहा है। जाहिर है, इस पर राजनीति भी होगी और हो भी रही है। इस रूप में वर्तमान सरकार के सामने यह बड़ी चुनौती है। उसे झारखंड के बिखरे सपनों को न केवल सहेजना है, बल्कि मर चुके सपनों को जिंदा भी करना है। गड़बड़ियों को सामने लाना जरूरी है, लेकिन उनको सुधारना सबसे बड़ा काम है। कहा जाता है कि गलत क्या है, इसे जानने से कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन गलत को सही करने से फर्क पड़ता है। झारखंड के पास संसाधन है, इच्छाशक्ति है और वह बहुत आगे जा सकता है। अब इस युवा झारखंड की आंखों में नये सपने उभरने लगे हैं, जिनमें रंग भरना और उन्हें हकीकत में बदलना बड़ी चुनौती है।