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    Home»Jharkhand Top News»भ्रष्टाचार की नींव पर खड़ा सुपरटेक ट्विन टावर आखिरकार जमींदोज
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    भ्रष्टाचार की नींव पर खड़ा सुपरटेक ट्विन टावर आखिरकार जमींदोज

    adminBy adminAugust 28, 2022No Comments4 Mins Read
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    नोएडा के सेक्टर 93 ए में कुतुबमीनार से भी कहीं ऊंचे और भ्रष्टाचार की नींव पर खड़े सुपरटेक ट्विन टावर आखिरकार जमींदोज होकर इतिहास का हिस्सा बन गए। देश की सबसे बड़ी अदालत के फैसले के बाद इन्हें रविवार दोपहर 2ः30 बजे विस्फोटक से धराशायी कर दिया गया। इन दोनों को गिराने में 3500 किलोग्राम विस्फोटक का प्रयोग किया गया। दोनों टावरों के ध्वस्तीकरण में 17.55 करोड़ रुपये खर्च हुए। दरअसल इलाहाबाद हाई कोर्ट से झटका मिलने के बाद सुपरटेक ने 2014 में फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। मगर यहां भी उसे मुंह की खानी पड़ी। सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त, 2021 को तीन महीने के भीतर ट्विन टॉवर को गिराने का आदेश दिया। हालांकि बाद में इसकी तारीख को बढ़ाकर 28 अगस्त, 2022 किया गया। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला बहुत महत्वपूर्ण है। इस फैसले में नोएडा प्राधिकरण के अफसरों पर कठोर टिप्पणी काबिलेगौर और नजीर जैसी है। न्याय के सबसे बड़े मंदिर ने कहा था कि नोएडा प्राधिकरण एक भ्रष्ट निकाय है। इसके आंख, कान, नाक और यहां तक की चेहरे से भ्रष्टाचार टपकता है।

    सुप्रीम कोर्ट की यह तल्खी बहुत कुछ कहती है। नोएडा का पूरा नाम नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण है। इसे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी के सपनों का शहर कहा जाता है। उनके इस सपने ने 1975-1976 में इमरजेंसी के दौरान आकार लिया। 17 अप्रैल, 1976 को नोएडा विधिवत रूप से अस्तित्व में आया। इस समय यहां से पूर्व केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री महेश शर्मा सांसद हैं। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के पुत्र पंकज सिंह भाजपा के विधायक हैं। नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण के चेहरे से टपक रहे भ्रष्टाचार पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी बिलकुल जायज है। उसमें एक रत्ती भर अतिशयोक्ति नहीं है। इस प्राधिकरण की पूर्व सीईओ नीरा यादव को मार्च 2016 में विशेष सीबीआई अदालत में आत्मसर्पण करना पड़ा था। वह सलाखों के पीछे भी रहीं। उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपनी दो बेटियों के नाम पर दो भूखंड आवंटित किए थे। सीबीआई विशेष न्यायाधीश एस लाल की अदालत ने नीरा को दोषी ठहराते हुए तीन साल की सजा सुनाई थी। जैसा की ऐसे मामलों में आमतौर पर होता है। नीरा यादव ने भी इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी। मगर हाई कोर्ट ने उनकी अर्जी खारिज कर उन्हें कानून के आगे टेकने को मजबूर कर दिया। नीरा यादव को एक राजनीतिक दल का बहुत करीबी बताया गया था।

    नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण में भ्रष्टाचार की जड़े इतनी गहरी हैं कि 2011 में भारतीय जनता पार्टी के नेता किरीट सोमैया को लखनऊ में संवाददाता सम्मेलन करना पड़ा। सोमैया ने प्राधिकरण में एक लाख करोड़ से ऊपर के घोटाले का खुलासा कर सनसनी फैलाई। साथ ही तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के भाई और प्राधिकरण के पूर्व क्लर्क आनन्द कुमार के सिंडिकेट से जुड़ी करीब 100 कंपनियों का दावा करते हुए दस्तावेज सामने रखे। इन दस्तावेजों के मुताबिक भ्रष्ट सिंडिकेट ने बेहिसाब मनी लांड्रिंग की। इन दस्तावेजों में सतीश मिश्रा और उनके बेटे समेत कम्पनियों का नाम भी था। सतीश मिश्रा कौन हैं, यह उत्तर प्रदेश का बच्चा-बच्चा जानता है। प्राधिकरण के चीफ इंजीनियर यादव सिंह के दामन पर भी भ्रष्टाचार के दाग लग चुके हैं। पूर्व ओएसडी यशपाल त्यागी के ऊपर यादव सिंह और आनन्द कुमार के साथ साठगांठ करके 800 करोड़ के घोटाले का आरोप लग चुका है।

    साल 2012 में प्राधिकरण के तत्कालीन जीएम रवींद्र सिंह तोगड़, ललित विक्रम, एसएसए रिजवी समेत चार अफसरों पर आयकर विभाग ने छापा मारा था। ललित विक्रम का नाम अरबों रुपये के फार्म हाउस घोटाले में आया था। मगर किसी का बाल-बांका भी नहीं बिगड़ा। शर्मनाक यह है कि कुछ दागी अफसर तो राजनीति के गलियारों में नजर आने लगे हैं। कुछ बड़े बिल्डर बन चुके हैं। आज नोएडा रहने की दृष्टि से पूर्व ब्यूरोक्रेट्स और टेक्नोक्रेट्स के अलावा कुलीन वर्ग की पहली पसंद बन गया है। यहां फ्लैट खरीदना आम आदमी के वश में नहीं है। टू बेड रूम सेट की कीमत तक करोड़ रुपये तक चली जाती है। शायद इसीलिए भष्ट्राचार की हरियाली में हिचकोले खाते लोग ताश के पत्तों की तरह बिखर रहे ट्विन टावर को देखकर अफसोस करने के बजाय सीटी बजाने में नहीं चूके।

    Noida Twin Tower Noida Twin Tower Demolition
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