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    Home»स्पेशल रिपोर्ट»हेमंत बोले, खूब बोले और क्या नहीं बोले
    स्पेशल रिपोर्ट

    हेमंत बोले, खूब बोले और क्या नहीं बोले

    azad sipahiBy azad sipahiSeptember 6, 2022No Comments11 Mins Read
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    • विशेष सत्र : झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र में दिखा मुख्यमंत्री का आक्रामक चेहरा

    5 सितंबर,2022 को झारखंड विधानसभा का विशेष सत्र आयोजित किया गया। इस सत्र में हेमंत सोरेन सरकार द्वारा पेश विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हुई और बाद में मत विभाजन हुआ। विश्वास प्रस्ताव पर हुई चर्चा के जवाब में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पहली बार इतने आक्रामक तरीके से अपनी बात रखी। मुख्यमंत्री बोले। खूब बोले, क्या कुछ नहीं कहा उन्होंने। पहली बार उन्हें इतने आवेश में बोलते हुए देखा गया। उन्होंने भाजपा विधायकों से लेकर केंद्र सरकार और नरेंद्र मोदी तक पर खूब व्यंग्य बाण चलाये। उन्होंने कहा कि किस तरह उनकी चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की जा रही है। पैसे से सरकार गिराने की कोशिश हो रही है।

    विपक्ष से आग्रह है कि वह बहस से भागे नहीं
    अपने भाषण की शुरूआत में मुख्यमंत्री ने कहा, विपक्ष के साथियों से करबद्ध प्रार्थना है कि बहस से भागें नहीं। बहस केदौरान नोक-झोंक तो होती रहती है और सब एक-दूसरे की बात सुनते भी हैं। जिनको जरूरत पड़ती है, फोन लगा करके सुन लेते हैं। इसलिए मेरा आप लोगों से आग्रह होगा कि इस प्रस्ताव को आप लोग कृपया पूरा सुनें और मैदान छोड़ कर भागने का प्रयास न करें।

    राज्य की सवा तीन करोड़ जनता में आप भी हैं, हम भी हैं
    मुख्यमंत्री ने कहा, झारखंड की सवा तीन करोड़ जनता इस चर्चा को देख-सुन रही है। यह विधानसभा सवा तीन करोड़ जनता का प्रतिनिधित्व करती है। इस सवा तीन करोड़ जनता में आप लोग भी शामिल हैं और हम भी। इसलिए जब हम राज्य के सवा तीन करोड़ लोगों को संतुष्ट करने का प्रयास कर रहे हैं, तो स्वाभाविक रूप से इसमें आप लोग भी शामिल हैं। आपको भी संतुष्ट करने का हमारा प्रयास होगा, हालांकि आप लोगों की चाहत और आप लोगों की इच्छा इतनी ऊंची है कि आपको संतुष्ट करना मुश्किल है।

    विश्वास प्रस्ताव की जरूरत क्यों
    मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा, विश्वास प्रस्ताव को लेकर यहां आज सत्र बुलाया गया है। कई लोग कह रहे हैं कि हमारी सरकार को बहुमत है, तो विश्वास मत की क्या आवश्यकता है। इस प्रस्ताव के माध्यम से हम और यह सरकार यह साबित करना चाहती है और देश को, राज्य की जनता को यह बताना चाहती है की वर्तमान हमारी यूपीए की सरकार को विश्वास हासिल है। किसी को इस बात पर संदेह नहीं करना चाहिए।

    वैश्विक महामारी कोरोना की चुनौती हमने स्वीकार की
    हेमंत सोरेन ने कहा, कोरोना जैसी वैश्विक महामारी का भी हमने सामना किया और उसकी चुनौती स्वीकार की। झारखंड जैसे पिछड़े राज्य को जिस तरीके से हमारी सरकार ने संभाला है और यह सौभाग्य हम सब लोगों को प्राप्त हुआ, यूपीए गठबंधन प्राप्त हुआ, वह काबिले तारीफ है। यह महामारी हमारी सरकार के दौरान आयी। अगर इनके दौरान आती, तो पता नहीं, यहां के गरीबों, आदिवासियों, दलितों का क्या होता। यहां के मजदूरों का क्या होता। ये लोग पहले कहते थे कि हवाई चप्पल वालों को हम हवाई जहाज में चढ़ायेंगे। कोरोना के दौरान इन्होंने तो हवाई चप्पल वालों को सड़क पर भी चलने लायक नहीं छोड़ा। झारखंड जैसे गरीब और संसाधनविहीन राज्य को जिस तरीके से हमारी सरकार ने संभाला है, वह किसी से छिपा हुआ नहीं है। कोरोना जैसी महामारी में लोगों की सेवा करने का, उनके सुख दुख में उनके साथ खड़ा होने का, उनके आंसू पोंछने का सौभाग्य हम लोगों को प्राप्त हुआ। हमारी जगह अगर इनकी सरकार होती और महामारी आती तो यहां के गरीब आदिवासियों का क्या होता, गरीब मजदूरों का क्या होता, यह कहना बड़ा मुश्किल है। इनके आका बोलते थे कि हवाई चप्पल वालों को हवाई जहाज पर घुमायेंगे, लेकिन कोरोना महामारी के दौरान उन्होंने तो गरीब मजदूरों को सड़क पर भी नहीं चलने दिया। डंडा मार कर भगाया। उन्हें भीख मांगने लायक भी नहीं छोड़ा।

    हर घर तिरंगा अभियान एक एजेंडा था
    हेमंत ने कहा, देश अभी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है। हम आजादी के 76वें वर्ष में हैं। इस दौरान देश में जिस तरीके से झंडा लगाने का एक एजेंडा फिट किया गया, वह अपने आपमें अनोखा है। जिस तरीके से हमारे भारतीय जनता पार्टी के साथियों में झंडा बेचने का काम किया है, यह भी पूरे देश को पता चला। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि झंडा बेचने के साथ-साथ लोगों ने क्या-क्या किया। पूरे जीवन में तिरंगा झंडा तो इन लोगों ने फहराया नहीं, और जब बेचने की बारी आयी, तो लगे झंडा बेचने। यही इनका दोहरा चेहरा है।

    बीजेपी ने लोकतंत्र को बेचा
    मुख्यमंत्री ने कहा, बीजेपी ने लोकतंत्र को बेचा है। व्यापारियों का कर्ज माफ करते हैं। इन लोगों के पास जनता को देने के लिए पैसा नहीं है और राज्य सरकारों पर रेवड़ी देने का आरोप लगाते हैं। देश की गैर भाजपा सरकार को संवैधानिक संस्थानों का दुरुपयोग करके परेशान करने का काम किया जा रहा है। ये लोग हाथी उड़ाने का काम करते हैं, सोने की थालियों में खाना खाते हैं। ये लोग देश को बांटने का काम कर रहे हैं। जहां हिंदू-मुस्लिम की लड़ाई होती है, वहां ये हावी हो जाते हैं।

    गृह युद्ध की स्थिति पैदा कर चुनाव जीतना चाहती है भाजपा
    हेमंत ने कहा, भाजपा चुनाव जीतने के लिए दंगे भड़का कर देश में ‘गृह युद्ध’ जैसे हालात पैदा करने की कोशिश कर रही है। आज ये ऐसी स्थिति पैदा करना चाहते हैं कि एक राज्य को दूसरे राज्य से लड़ाने में लगे हुए हैं। ये गृह युद्ध की स्थिति पैदा करना चाहते हैं और दंगा कर चुनाव जीतना चाहते हैं। लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि जब तक यहां यूपीए की सरकार है, तब तक ऐसे मंसूबे को हवा नहीं मिलेगी।

    लोकतंत्र में लोक ही बचा, तंत्र को खत्म कर दिया
    मुख्यमंत्री ने कहा, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा झारखंड के विधायकों की खरीद-फरोख्त करने की कोशिश कर रहे हैं। जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें नहीं हैं, वहां वह लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित सरकारों को अस्थिर करने का प्रयास कर रही है। 2024 के लिए इन्होंने सर्वे कराया है, जिसमें इनका सूपड़ा साफ होता दिख रहा है, इसलिए सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रहे हैं। आज हमारे तीन विधायक बंगाल में हैं। इनकी खरीद-फरोख्त की जिम्मेदारी असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा पर है। ये जांच के लिए पुलिस का सहयोग नहीं कर रहे हैं। लोग बाजार से सामान खरीदते हैं, राशन खरीदते हैं, लेकिन बीजेपी विधायक खरीदती है। गैर बीजेपी सरकारों को संवैधानिक संस्थाओं का इस्तेमाल करके परेशान किया जाता है। हमने राज्य के विकास के लिए इतने काम किये हैं कि अगर बताऊंगा तो लिखते-लिखते इनकी स्याही खत्म हो जायेगी। हमारी सरकार को बदनाम करने का वृहद पैमाने पर षडयंत्र रचा गया। बड़े-बड़े पत्रकारों का इस्तेमाल हुआ। प्रेस-मीडिया का इस्तेमाल हुआ। सोशल मीडिया का इस्तेमाल हुआ। मुझे बहुत दुख होता है कि आज के दिन में आजादी के पहले जो मनुवादी की होड़ स्थापित रही है, आज भी उसको बढ़ावा दिया जा रहा है। ये हिंदू, मुसलिम, सिख, इसाई का नारा लगा कर देश को बांटने की कोशिश कर रहे हैं। आज जिन क्षेत्रों में घटनाएं हो रही हैं, वहां उनके नेता हवाई जहाज से पीड़ितों से मिलने आ रहे हैं। कहते हैं कि राज्य सरकार उनकी मदद करे। अगर सचमुच में मदद ही करनी है तो हवाई जहाज की जगह वही पैसे गरीबों को दे दो। अगर इनके पास इतने पैसे हैं तो इन्होंने मजदूरों का रेस्क्यू क्यों नहीं करवाया। हमारी सरकार राज्य के किसी व्यक्ति को मरने के लिए नहीं छोड़ सकती। हमने कई बच्चियों को इलाज के लिए हवाई लिफ्त करवाया। एक बच्चे को भी एयरलिफ्ट करवाया।

    राज्यपाल दिल्ली जाकर बैठे हैं
    हेमंत सोरेन ने कहा, 25 अगस्त से इस राज्य में ऐसा वातारण तैयार किया जा रहा है, इलेक्शन कमीशन और राज्यपाल के द्वारा। चुनाव आयोग कहता है कि हमने राज्यपाल को अपना मंतव्य भेज दिया है। राज्यपाल चुपचाप बैठ जाते हैं। हमारी सदस्यता को लेकर निर्वाचन आयोग और राज्यपाल की तरफ से सूत्रों के हवाले से बार-बार खबरें फैलायी जाती हैं। निर्वाचन आयोग कहता है कि हमने तो राज्यपाल को भेज दिया है। जब हमारे लोग उनके पास जाते हैं जानने के लिए, तो राज्यपाल कहते हैं कि हां पत्र मिल गया है, हम दो से तीन दिन में अवगत करा देंगे। लेकिन आज तक उन्होंने अवगत नहीं कराया। राज्यपाल राज्य में अस्थिरता पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं। राज्यपाल राजभवन के पिछले दरवाजे से निकल कर दिल्ली में जाकर बैठे हैं, जबकि उन्हें चुनाव आयोग के परामर्श को सरकार को बताना चाहिए। विधायकों को डरा कर धमका कर और खरीदने का प्रयास किया जा रहा है। यह सत्र इसलिए बुलाया गया है कि देख लो, हम सदन में और बाहर कितने मजबूत हैं।

    हमें डराने-धमकाने से काम नहीं चलेगा
    मुख्यमंत्री ने कहा, अगर मैंने एक-एक के बारे में बोलना शुरू किया, तो यह सत्र भी कम पड़ जायेगा। आज कर्मचारियों के चेहरे पर मुसकान देख लो। आज पुलिसकर्मियों के चेहरे पर मुसकान है। सहायक पुलिसकर्मियों के चेहरे पर मुसकान है। आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका के चेहरे पर मुसकान है। हमें डराने-धमकाने से काम नहीं चलेगा। इस राज्य की जनता जाग गयी है। बड़ा काम करने की कोशिश कीजिये। जब देश का प्रधानमंत्री राज्यों से द्वंद्व कर रहा हो, तो देश का क्या खाक विकास होगा। हमारा नाम हेमंत सोरेन है। हम किसी से डरनेवाले नहीं हैं। हम शिबू सोरेन का बेटा हैं। आंदोलनकारी का बेटा हैं।

    हम न किसी से डरते हैं और न डराते हैं। आज राज्य में ऐसी सरकार है जो, बुरे काम करने वालों को कड़ी सजा देगी। मेरी सदस्यता को लेकर हाय-तौबा मची हुई है। इनका एक विधायक समरी लाल फर्जी आदमी है। दूसरे राज्य का फर्जी सर्टिफिकेट बनवा कर झारखंड का विधायक बन बैठा है। दो-तीन बिकाऊ विधायक यहां बैठे हैं। अब इनको मुंह छिपाने की जगह भी नहीं मिलती है।

    आदिवासी को राष्ट्रपति बना कर, आदिवासी सीएम की कुर्सी लेना चाहते हैं हेमंत ने कहा, इनका चेहरा इतना भयानक और डरावना है कि कोई इन्हें पहचान नहीं सकता। अगली बार आप लोग अपनी जमानत भी नहीं बचा पायेंगे। इन्हें करना-धरना कुछ नहीं है। इन्हें लूट कर खाने की आदत है। फसल लगायेगा कोई और खायेंगे ये। ये आदिवासी महिला को राष्ट्रपति बना कर आदिवासी मुख्यमंत्री की कुर्सी छीनना चाहते हैं। इनके मुंह में राम और बगल में छुरी है। हमने किसानों की कर्जमाफी की, कई जिलों में सुखाड़ है। हम किसानों के लिए जल्द एक बेहतर योजना लाने वाले हैं।

    ये लोग मनोज तिवारी, कपिल मिश्रा को लाते हैं, स्थानीय सांसद को भूल जाते हैं
    हेमंत ने कहा, ये लोग बीमारों-पीड़ितों को एयर रेस्क्यू करने की बात करते हैं। अरे ये क्या बात करेंगे। 2019 तक इन्होंने कितने लोगों को एयर रेस्क्यू किया और हमने कितने का किया, हिसाब लगा लीजिये। हमने तो पीड़ितों के अलावा मुजरिमों को भी एयर रेस्क्यू किया है। हम किसी को मरने के लिए नहीं छोड़ते। और ये लोग, चार्टर्ड विमान से आते हैं, मनोज तिवारी, कपिल मिश्रा को साथ लाते हैं और स्थानीय सांसद को भूल जाते हैं। कैसे लोग हैं ये, आप खुद अंदाजा लगा लीजिए।

    सरना कोड का क्या हुआ, क्यों नहीं लागू कराते
    हेमंत ने कहा, हमने सरना कोड पास करके केंद्र के पास भेजा था। ये लोग बतायें कि उसका क्या हुआ। क्यों आज तक वह मामला लटका हुआ है। उसे ये लोग लागू क्यों नहीं कराते। भाजपा विधायकों की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि आज ये केंद्र सरकार के अहंकार और घमंड में इतने चूर हैं कि ये जानते हैं कि हम जो चाहेंगे कर लेंगे, लेकिन ऐसा नहीं होगा। जो गलत काम करेगा, उसे कठिन से कठिन सजा देने का हम प्रयास करेंगे।

    तैयारी कर लीजिये, ओबीसी आरक्षण और 1932 के खतियान पर फैसला जल्द
    हेमंत सोरेन ने कहा, हमारी सरकार ओबीसी आरक्षण और 1932 के खतियान के साथ नियोजन नीति पर जल्द ही फैसला लेकर आयेगी। इसलिए विपक्ष अभी से तैयारी कर ले। उसे दिल्ली से मंजूरी दिलानी होगी।

    सुदेश, बाबूलाल पर कटाक्ष
    हेमंत सोरेन ने कहा, आदिवासी-मूलवासी के सबसे बड़े नेता सुदेश महतो का हमेशा प्रयास रहा है कि हमारे दोनों हाथों में लड्डू रहे। ऐसे ही लोगों की वजह से इस राज्य को छला गया है। इसलिए स्थानीयता, 1932 या सीएनटी, एसपीटी, ओबीसी आरक्षण की बात जरूरी है। बाबूलाल बतायें कि ओबीसी आरक्षण किसने घटाया। गिरगिट भी इतना रंग नहीं बदलता, जितना बाबूलाल मरांडी बदलते हैं। भाजपा के बीच में आरएसएस के लोग हैं। इनकी शाखाएं चलती हैं। उसमें बताया जाता है कि कैसे आविासी मूलवासी को मूर्ख बनाया जाये। अभी इन्हें पारसनाथ में सिखाया गया। हमारी सरकार 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति पर आगे बढ़ रही है। आप इसे भारत सरकार से पास करवा कर लाना। हेमंत सोरेन ने कहा कि कुछ नेता ऐसे हैं, जो पाला बदलते रहते हैं और आदिवासियों मूलवासियों को धोखा देते रहते हैं। इनका चेहरा इतना भयावह, इतना क्रूर और इतना डरावना है कि कहा नहीं जा सकता। आप लोग चिंता न करें अगली बार आप अपनी जमानत बचा लें, यही काफी होगा। हमारी सरकार की मंशा साफ है और हम चाहते हैं कि आपको जो भी हथियार चलाना है, षडयंत्र करना है, सामने से आओ। पीठ पीछे से वार मत करो। हम एक-एक आरोप का जवाब देने को तैयार हैं। चूहों की तरह कुतरने का काम न करें, बड़ा काम करने की कोशिश करें। दंगा करके किसी का भला नहीं हुआ। आग लगा कर कभी भी राज्य का विकास नहीं हो सकता।

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