आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। राजधानी रांची में 10 जून को हुई हिंसा मामले के लिए गठित समिति ने सरकार से और दो महीने की मोहलत मांगी है। मेन रोड हिंसा मामले में मुख्यमंत्री के निर्देश पर दो सदस्यीय उच्च स्तरीय कमेटी को जांच का जिम्मा दिया गया था। जांच कमेटी में आपदा प्रबंधन सचिव अमिताभ कौशल और एडीडी अभियान संजय आनंद राव लाटकर शामिल हैं। बता दें, राज्य सरकार द्वारा तीन माह सात दिनों का दिया गया समय समाप्त हो गया है। जांच कमेटी ने गृह विभाग को पत्र भेज कर जांच पूरी करने के लिए और दो माह का समय मांगा है।
मेन रोड हिंसा मामले में जांच टीम ने घटनास्थल और आसपास के क्षेत्रों के निरीक्षण के बाद करीब 250 लोगों से पूछताछ की है। इनमें रांची पुलिस-प्रशासन से जुड़े अधिकारियों, थाना प्रभारियों, पीड़ित पक्षों, मीडियाकर्मियों और आम लोगों का बयान दर्ज कर चुकी है। पूछताछ के दौरान कई अधिकारियों ने जो पक्ष रखा था, उस पर जांच कमेटी ने फिर से सवाल करते हुए कई बिंदुओं पर जवाब तलब किया था। रांची पुलिस द्वारा हिंसा मामले में चार्जशीट भी किया गया था। इसकी सत्यापित कॉपी भी जांच कमेटी ने मांगी थी। कमेटी ने रांची के अफसरों से पूछा था कि घटना के दिन कौन लोग कहां थे। क्या कर रहे थे। घटना से पूर्व क्या उन्हें उपद्रव होने की आशंका थी। अगर आशंका थी, तो उनके द्वारा क्या एहतियाती कदम उठाये गये। कितने लोगों के खिलाफ धारा 107 के तहत कार्रवाई की गयी। संवेदनशील क्षेत्रों में कहां-कहां पर कितनी संख्या में फोर्स की तैनाती की गयी थी। कमेटी ने क्राइम कंट्रोल एक्ट के तहत किसी पर कार्रवाई की गयी या नहीं, इस पर भी जानकारी इकट्ठा की है। क्या आर्म्स एक्ट के बिंदु पर भी कोई एक्शन स्थानीय प्रशासन ने लिया। इस मामले में कुल कितनी एफआइआर हुई और कितने लोगों को गिरफ्तार किया गया। गैंग्स आॅफ वासेपुर के नाम से ह्वाट्सएप ग्रुप घटना से पूर्व चलाने की बिंदु पर क्या कार्रवाई हुई।
फॉरेंसिक और तकनीकी बिंदु की जांच में क्या तथ्य सामने आये। गोविंदपुर थाना से आये जैप-3 के जवानों को मांडर उपचुनाव में भेजा जाना था, उन्हें किस परिस्थिति में बिना किसी सुरक्षा उपकरण के मेन रोड में तैनात कर दिया गया था। इन तमाम बिंदुओं के अलावा भी जांच कमेटी कई अन्य बिंदुओं की जांच के बाद अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचेगी।