आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। पूर्व सांसद और आदिवासी सेंगल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा है। पत्र के माध्यम से भारत के प्रकृति पूजक आदिवासियों को सरना धर्म कोड को मान्यता देने और धार्मिक गुलामी से आजादी देने की मांग की गयी है। यह मांग पीएम के भाषण और संविधान का हवाला देते हुए की गयी है। सालखन मुर्मू ने पत्र के माध्यम से राष्ट्रपति को बताया कि 15 अगस्त को लाल किले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच संकल्पों का जिक्र किया था, जो ऐतिहासिक हैं। आदिवासी भी देश की एकता, अखंडता को मजबूत बनाने और विरासतों पर गौरवान्वित होकर अपने नागरिकी कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए विकसित भारत बनाने को तत्पर हैं। सालखन मुर्मू ने आगे लिखा है कि अंग्रेजों के खिलाफ सिदो कान्हू मुर्मू और बिरसा मुंडा के नेतृत्व में आजादी की जनक्रांति में हमारा महान इतिहास रहा है, परंतु गुलामी के कुछ अंश अभी भी बाकी हैं। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री, हमें हमारी धार्मिक आजादी दे दें। सरना धर्म कोड को अविलंब मान्यता देकर हमें जनगणना में मर्यादा के साथ शामिल होने का सौभाग्य प्रदान करें। यह संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत मौलिक अधिकार भी है। वहीं आदिवासियों को सरना धर्म कोड को मान्यता देने को लेकर आज यानी मंगलवार को सालखान मुर्मू के नेतृत्व में मोराहबादी स्थित बापू वाटिका के समक्ष धरना प्रदर्शन कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इसके बाद मुर्मू झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस को भी मामले से संबंधित ज्ञापन सौपेंगे।
सालखन मुर्मू ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र, सरना धर्म कोड को मान्यता देने की मांग की
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