आजाद सिपाही संवाददाता
रांची। राज्य में निकाय चुनाव फिलहाल टल गया है। झारखंड जनजातीय परामर्शदातृ समिति (टीएसी) की बुधवार को हुई बैठक में निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर चर्चा हुई। इसमें कहा गया कि एसटी सीटों पर आरक्षण के मामले में सरकार कानूनी राय लेगी। इसके बाद ही चुनाव पर कोई निर्णय लिया जायेगा। यह फैसला बुधवार को टीएसी की बैठक में लिया गया।
टीएसी की थी तीसरी बैठक
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में टीएसी की बुधवार को तीसरी बैठक थी। इसमें 11 एजेंडे पर चर्चा के बाद फैसला लिया गया। बैठक में निकाय चुनाव में आरक्षण संबंधित मामले के आलावा इको टूरिज्म को बढ़ावा देने, लघु वन उत्पाद के संबंध में, जनजातीय भाषा में कक्षा एक से पांच तक के लिए अध्ययन और जनजातीय भाषाओं के अधिक से अधिक उपयोग पर नीति बनाने समेत अन्य मामलों पर विचार के बाद निर्णय लिया गया।
भारत सरकार को की जायेगी अनुशंसा
बैठक में अधिकांश सदस्यों ने एकल पद पर एसटी का आरक्षण समाप्त करने का विरोध किया और इसको लेकर कैबिनेट में एक प्रस्ताव लाकर केंद्र सरकार भेजने का सुझाव दिया है। ऐसे में नगर निकाय चुनाव की तिथि को आगे बढ़ाने का सुझाव दिया गया है। माना जा रहा है कि अब नगर निगम चुनाव समय पर नहीं होगा। फैसले की जानकारी के मुताबिक ‘द म्यूनिसपेलिटीज (एक्सटेंशन टू द शिड्यूल एरियास) बिल, 2011 ’ के स्टैंडिंग कमिटी की अनुशंसा ‘नगर निकाय की समिति, जिसमें जनजातीय समुदायों का प्रतिनिधित्व हो, की अनुशंसा नगर निकाय को बाध्यकारी होगी, को विलोपित करने की अनुशंसा की गयी थी। इस पर विचारोपरांत उक्त प्रावधान को यथावत रखने की अनुशंसा भारत सरकार को भेजने का निर्णय लिया गया। इसके साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि जनजातीय हितों की रक्षा के प्रतिकूल कोई निर्णय नहीं लिया जाना चाहिए। इसके अलावा यह भी निर्णय लिया गया कि झारखंड पंचायत उपबंध अनुसूचित क्षेत्रों का विस्तार नियामावली, 2022 के प्रारूप पर संबंधित विभागों एवं पक्षों से सम्यक विचारोपरांत निर्णय लिया जाये।
बैठक में थे मौजूद
बैठक में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के मंत्री-सह-टीएसी के उपाध्यक्ष चंपाई सोरेन, विधायक-सह-टीएसी सदस्य प्रो स्टीफन मरांडी, दीपक बिरुआ, दशरथ गगराई, विकास कुमार मुंडा, नमन विक्सल कोनगाड़ी, राजेश कच्छप, सोनाराम सिंकू, शिल्पी नेहा तिर्की, मनोनीत सदस्य विश्वनाथ सिंह सरदार, जमल मुंडा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, प्रधान सचिव अजय कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे, सचिव के श्रीनिवासन, सचिव केके सोन, सचिव हिमानी पांडे सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
बैठक में लिये गये महत्वपूर्ण निर्णय
- पर्यावरण और जनजातीय संस्कृति का संरक्षण करते हुए राज्य में परिवेशीय अनुकूलन पर आधारित पर्यटन अर्थात इको टूरिज्म को बढ़ावा दिया जायेगा।
- लघु वन उत्पाद की खरीद-बिक्री के लिए सिदो-कान्हू कृषि एवं वनोपज राज्य सहकारी संघ लिमिटेड कार्यरत है इसी के अंतर्गत व्यापक रूप से लघु वन उत्पाद की खरीद-बिक्री कर वन क्षेत्र में रहने वाले लोगों की अधिक से अधिक आय वृद्धि हो इसके लिए पहल किये जाने का निर्णय लिया गया।
- वनाधिकार अधिनियम-2006 के अंतर्गत अधिक से अधिक सामुदायिक पट्टा दिये जाने और उसमें अधिक से अधिक वन भूमि का उपयोग वन विभाग के नियमों एवं पर्यावरण के अनुकूल किये जाने पर जोर दिया गया।
- जनजातीय भाषा में कक्षा एक से पांच तक के लिए अध्ययन और जनजातीय भाषाओं के अधिक से अधिक उपयोग पर डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान के माध्यम से अध्ययन कराते हुए एक नीति बनायी जायेगी। और जनजातीय भाषाओं में अधिक से अधिक पाठ्य पुस्तकों का अनुवाद कराते हुए उसका वितरण कराये जाने का निर्णय लिया गया।
जनजातीय भाषाओं के शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया को तेज किया जाये। आवश्यकता अनुसार पद सृजन भी किया जाये। - होड़ोपैथी आदिवासी ज्ञान परंपरा का गौरवपूर्ण हिस्सा रहा है। इसको देखते हुए इसके वैज्ञानिक विश्लेषण, अध्ययन, अनुसंधान, प्रकाशन के साथ सीएसआइआर के तरह वैज्ञानिक प्रयोगशाला बनाते हुए इसे आयुष में सम्मिलित किये जाने पर जोर दिया गया। जनजातीय समुदाय के युवाओं को पांच वर्ष से अधिक भुगतान अवधि के साथ ऋण प्रदान किये जाने हेतु अन्य राज्यों के प्रावधानों का अध्ययन कराते हुए बैकों के साथ राज्य स्तरीय बैठक कर नीति बनायी जाये।
टीएसी की अनुसंशा अनिवार्य: चंपई सोरेन
बैठक के बाद मंत्री सह टीएसी उपाध्यक्ष चंपई सोरेन ने मीडिया से बातचीत में कहा कि सबसे महत्वपूर्ण एजेंडा ‘द प्रोविजन आॅफ द म्यूनिसिपैलिटिज बिल 2001’ पर स्टैंडिंग कमेटी द्वारा प्रस्तावित संशोधन पर विचार करने का था। इस बिल में प्रावधान किया गया है कि अनुसूचित क्षेत्र में स्थित नगर निकायों में अनुसूचित जनजाति की आबादी अधिक होने पर उसके अनुरूप मेयर अध्यक्ष या वार्ड पार्षद का पद अनुसूचित जनजाति के लिए ही आरक्षित होगा। परंतु इसके लिए टीएसी की अनुशंसा अनिवार्य है। अब आरक्षण रोस्टर पर महाधिवक्ता से राय ली जायेगी। इसके बाद ही इस दिशा में कदम उठाये जायेंगे।