रांची। महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि झारखंड स्टेट बार काउंसिल का कार्य बहिष्कार असंवैधानिक और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के खिलाफ है। यह अवमानना के दायरे में आता है। इसलिए सरकार के अधिवक्ता छह जनवरी को कोर्ट जाएंगे और मामले में पैरवी करेंगे। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट में सभी सरकारी वकील न्यायिक कार्य में शामिल होंगे। इसकी लिखित जानकारी उन्होंने एक्टिंग चीफ जस्टिस को भी दी है।
महाधिवक्ता ने गुरुवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सात जनवरी को 11:30 बजे मुख्यमंत्री आवास में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बैठक बुलाई है, जिसमें अधिवक्ताओं के कल्याण पर चर्चा होगी और निर्णय लिए जाएंगे। महाधिवक्ता ने बताया कि सभी जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष को पत्र लिखकर उनके जिला के 10-10 अधिवक्ताओं को मुख्यमंत्री द्वारा बुलाए गए अधिवक्ताओं को संवाद कार्यक्रम में शामिल होने का आग्रह किया गया है।
उन्होंने कोर्ट फीस के मुद्दे पर कहा कि इस मुद्दे पर सिर्फ़ राजनीति की जा रही है। आम जनता के हित को ध्यान में रखते हुए सरकार कोर्ट फ़ीस में हुई बढ़ोतरी को वापस लेने की तैयारी में है। इस बात की पूरी जानकारी बार काउंसिल को है।
उधर, स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण एवं काउंसिल सदस्य संजय विद्रोही ने संवाददाता सम्मेलन कर कहा कि मुख्यमंत्री से मिलने के लिए पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार चार जनवरी को स्टेट बार कौंसिल का प्रतिनिधिमंडल गया था लेकिन उन्हें सीएमओ की ओर से बताया गया कि सात जनवरी को पूरे राज्य के अधिवक्ताओं के साथ मुख्यमंत्री की बैठक निर्धारित है।
बार काउंसिल के अध्यक्ष ने कहा कि इस बैठक की जानकारी न तो स्टेट बार काउंसिल के किसी सदस्य को थी और न ही जिला बार संघों को मिली है। इसलिए सात जनवरी की मुख्यमंत्री की द्वारा बुलाई गई अधिवक्ताओं की बैठक में काउंसिल का कोई भी सदस्य भाग नहीं लेगा। उन्होंने बाकी अधिवक्ताओं से भी इस बैठक में हिस्सा नहीं लेने की अपील की है।
उल्लेखनीय है कि काउंसिल की चार जनवरी को हुई आपात बैठक में निर्णय लिया गया कि राज्य के अधिवक्ता छह एवं सात जनवरी को न्यायिक कार्य से अलग रहेंगे एवं आठ जनवरी को सभी जिला संघ के पदाधिकारियों को कौंसिल की ओर से 11:30 बजे बैठक के लिए बुलाया गया है।