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    Home»Breaking News»भारत की स्वास्थ्य क्षेत्र में दूसरे देशों पर निर्भरता न्यूनतम करने की कोशिश : प्रधानमंत्री मोदी
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    भारत की स्वास्थ्य क्षेत्र में दूसरे देशों पर निर्भरता न्यूनतम करने की कोशिश : प्रधानमंत्री मोदी

    azad sipahiBy azad sipahiMarch 6, 2023No Comments4 Mins Read
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    नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि देश में सभी के लिए इलाज को अफोर्डेबल बनाना सरकार की प्राथमिकता है। भारत लगातार स्वास्थ्य देखभाल में विदेशी देशों पर न्यूनतम निर्भरता सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है। आत्मनिर्भर बनने के लिए हमारे उद्यमियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि भारत को किसी भी तकनीक का आयात करने की जरूरत नहीं रहे।

    प्रधानमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ‘स्वास्थ्य और चिकित्सा अनुसंधान’ पर पोस्ट-बजट वेबिनार को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस वर्ष की बजट प्राथमिकताएं भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र है। उन्होंने कहा- “हम निरंतर यह प्रयास कर रहे हैं कि भारत की विदेशों पर निर्भरता कम से कम हो। भारत में इलाज को अफोर्डेबल बनाना हमारी सरकार की प्राथमिकता रही है।”

    उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत के तहत 5 लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की सुविधा देने के पीछे यही सोच है। आयुष्मान भारत के तहत पांच लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज से देश के करोड़ों मरीजों के लगभग 80 हज़ार करोड़ रुपये बीमारी में उपचार के लिए खर्च होने वाले थे वो बचे हैं। हमारे यहां करीब 9 हजार जन औषधि केंद्र हैं और यहां बाजार भाव से बहुत सस्ती दवाएं उपलब्ध हैं। इससे भी गरीब और मिडिल क्लास परिवारों को लगभग 20 हजार करोड़ रुपये की बचत हुई है।

    उन्होंने कहा कि देश में अच्छे और आधुनिक हेल्थ इंफ़्रा का होना बहुत जरूरी है। आज देश में डेढ़ लाख हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर तैयार हो रहे हैं। इन सेंटरों में डायबिटीज, कैंसर और हार्ट से जुड़ी गंभीर बीमारियों की स्क्रीनिंग की सुविधा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड ने पूरी दुनिया को एक सबक सिखाया है कि जब भी ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है, तो यह विकसित और समृद्ध अर्थव्यवस्थाओं की नींव को हिलाता है और नष्ट कर देता है। दुनिया का ध्यान पहले से कहीं ज्यादा अब स्वास्थ्य देखभाल पर आया है, लेकिन भारत की अप्रोच सिर्फ स्वास्थ्य देखभाल तक ही सीमित नहीं बल्कि हम एक कदम आगे बढ़कर कल्याण के लिए काम कर रहे हैं।

    प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अन्य बातों के अलावा, कोरोना काल ने हमें आपूर्ति शृंखला का महत्व सिखाया है। इसके अलावा, हाल के बजट ने ऐसे सभी पहलुओं को समग्र तरीके से संबोधित किया है। हम अन्य देशों पर भारत की सबसे कम निर्भरता सुनिश्चित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने एक पृथ्वी- एक स्वास्थ्य,यानि जीव मात्र के लिए, चाहे वो इंसान हों, जानवर हों, पौधे हों, सबके लिए एक समग्र स्वास्थ्य सेवा की बात कही है। हमने स्वास्थ्य देखभाल को सिर्फ स्वास्थ्य मंत्रालय तक सीमित नहीं रखा है, बल्कि ‘पूरी सरकार’ अप्रोच पर बल दिया है।

    प्रधानमंत्री ने कहा कि पीएम आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन के तहत क्रिटिकल हेल्थ इंफ्रा को छोटे शहरों और कस्बों तक ले जाया जा रहा है। इससे छोटे शहरों में नए अस्पताल तो बन ही रहे हैं, हेल्थ सेक्टर से जुड़ा एक पूरा इको सिस्टम विकसित हो रहा है। उन्होंने कहा कि बीते वर्षों में 260 से अधिक मेडिकल कॉलेज खोले गए हैं। मेडिकल सीटों की संख्या 2014 के बाद आज दोगुनी हो चुकी है। मेडिकल कॉलेज के पास ही 157 नए नर्सिंग कॉलेज खोलना, मेडिकल ह्यूमन रिसोर्स के लिए एक बड़ा कदम है।

    उन्होंने कहा कि डिजिटल हेल्थ आईडी के माध्यम से हम देशवासियों को समय पर स्वास्थ्य सेवा की सुविधा देना चाहते हैं। ई-संजीवनी जैसे टेली कंसल्टेशन के प्रयासों से घर बैठे ही 10 करोड़ लोग डॉक्टरों से ऑनलाइन कंसल्टेशन का लाभ चुके हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि ड्रोन टेक्नोलॉजी की वजह से दवाओं की डिलीवरी और टेस्टिंग से जुड़े लॉजिस्टिक में एक क्रांतिकारी परिवर्तन आता दिख रहा है।

    प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारे उद्यमी यह सुनिश्चित करें कि हमें कोई भी तकनीक को आयात करने से बचना चाहिए, आत्मनिर्भर अब बनना ही है। उन्होंने कहा कि सर्वोत्तम परिणाम लाने के लिए उद्योग, शिक्षाविदों और सरकार के बीच उचित समन्वय और तालमेल होना चाहिए। देश में उत्कृष्टता केंद्रों के माध्यम से फार्मा क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार को मजबूत करने के लिए एक नया कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है।

    उन्होंने कहा कि भारत के आयुर्वेदिक उत्पादों के लिए दुनिया भर में मांग बढ़ी है। यह केवल इस क्षेत्र में भारत के महान प्रयासों के कारण है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के पारंपरिक चिकित्सा के लिए वैश्विक केंद्र हमारे देश में स्थापित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं स्वास्थ्य क्षेत्र के सभी हितधारकों से, विशेष रूप से आयुर्वेद के, ‘साक्ष्य-आधारित अनुसंधान’ को मजबूत करने के लिए आग्रह करता हूं। न केवल परिणामों के बारे में चर्चा, बल्कि परिणाम स्वयं भी महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि चिकित्सा पर्यटन देश में एक बड़े क्षेत्र के रूप में उभरा है। इसने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के साथ -साथ रोजगार भी बढ़ाया है। हमें इसे और अधिक मजबूत करने के लिए काम करना चाहिए।

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