Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Sunday, June 15
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»Jharkhand Top News»सरहुल पर्व का भी अब राजनीतिकरण हो गया है : पद्मभूषण कड़िया मुंडा
    Jharkhand Top News

    सरहुल पर्व का भी अब राजनीतिकरण हो गया है : पद्मभूषण कड़िया मुंडा

    adminBy adminMarch 16, 2023No Comments3 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    खूंटी। जनजातीय समुदाय के सबसे बड़े त्योहार सरहुल पहले धार्मिक के साथ ही सामाजिक और सांस्कृतिक पर्व था, लेकिन अब इसका भी राजनीतिकरण हो गया है। लोग अलग-अलग समूह बनाकर अलग-अलग दिनों में सरहुल मना रहे हैं। पहले खूंटी में एक ही दिन सामूहिक रूप से सरहुल मनाया जाता था, लेकिन अब न वो सामाजिक एकता रही और न ही पुरानी परंपरा। ये बातें लोकसभा के पूर्व उपाध्यक्ष पद्मभूषण कड़िया मुंडा ने कही।

    कड़िया मुंडा अपने अनिगड़ा(खूंटी) स्थित आवास में हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत कर रहे थे। खूंटी संसदीय क्षेत्र से आठ बार सांसद रहे पद्मभूषण कड़िया मुंडा ने कहा कि हर गांव में अलग-अलग दिनों में सरहुल मनाया जाता है। सरना धर्म की परंपरा रही है कि जिस गांव में सरहुल संपन्न नहीं हुआ है, उस गांव में सखुआ या सरई के फूल को ले जाने की मनाही थी। गांव में सरहुल होने के बाद ही कोई व्यक्ति इस फूल को लेकर जा सकता है। इसीलिए खूंटी के सीमावर्ती गांवों में सरहुल मनाने के के बाद अंतिम में खूंटी में सामूहिक रूप से सरहुल मनाया जाता था, ताकि सभी गांवों के लोग मुख्य कार्यक्रम में शामिल हो सकें।

    यदि किसी गांव में सरहुल नहीं मनाया गया है, तो उस गांव के लोग खूंटी के सरहुल में शामिल नहीं हो सकते थे, लेकिन अब लोग खूंटी में दो दिन सरहुल मनाने लगे हैं। कड़िया मुंडा ने कहा कि कुछ लोग 24 मार्च को ही खूंटी में सरहुल मनाएंगे, जबकि पहले की परंपरा के अनुसार इस वर्ष छह अप्रैल को खूंटी में सामूहिक रूप से सरहुन मनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि पर्व-त्योहारों का इस तरह राजनीतिकरण कर कुछ लोग आदिवासियों की एकता को गंभीर चोट पहुंचा रहे हैं और सामाजिक एकता को नष्ट कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अपनी संस्कृति, परंपरा, धर्म छोड़कर ईसाई धर्म अपनाने वाले लोग भी अब दिखावे के लिए कानों में औेर अपने घरों में सखुआ या सरई का फूल लगाने लगे हैं।

    सूर्य और पृथ्वी के विवाह का पर्व है सरहुल
    पद्मभूषण कडिष मुंडा ने कहा कि सरहुल का त्योहार सूर्य और पृथ्वी की शादी का पर्व है। इसीलिए गांव के पाहन और उसकी पत्नी को नया वस्त्र, नया घड़ा आदि देने की परंपरा है। कड़िया मुंडा ने कहा कि सरहुल के बाद ही किसान खेतों में धान बुनने का काम शुरू करते हैं अर्थात सूर्य और पृथ्वी की शादी होने के बाद ही खेती-किसानी का काम शुरू होता है।

    ईसाई बन चुके लोगों को पड़हा अध्यक्ष बनने का अधिकार नहीं
    पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष ने कहा कि अब तो ईसाई धर्म अपना चुके लोगों को भी पड़हा राजा बनाया जा रहा है, जो पूरी तरह गलत और असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि रुढ़िवादी परंपरा को मानने वालों को ही पड़हा राजा का पद दिया जा सकता है और उसकी पगड़ी बांधी जा सकती है, लेकिन जन जनजातियों की परंपरा और संस्कृति को छोड़कर ईसाई बन चुके लोग पड़हा राजा बन रहे हैं। यह जनजातीय परंपरा के लिए ठीक संकेत नहीं है।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleबाबूलाल मरांडी ने सरकार पर साधा निशाना, कहा : भाजपा विधायकों की टी शर्ट से स्पीकर को क्यों है एतराज
    Next Article जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग खुला, भारी वाहनों को दोपहर बाद आवाजाही की अनुमति
    admin

      Related Posts

      पंचायत सेवक ने बीडीओ सहित चार लोगों पर मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाकर की खुदकुशी

      June 15, 2025

      स्लम बस्तियों में पुस्तक पढ़ने की संस्कृति को जगा रही है संस्कृति फाउंडेशन

      June 15, 2025

      झारखंड में एआई तकनीक से होगी हाथियों की सुरक्षा

      June 15, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • केदारनाथ हेलिकॉप्टर हादसे में जयपुर के रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल पायलट की मौत
      • पंचायत सेवक ने बीडीओ सहित चार लोगों पर मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाकर की खुदकुशी
      • स्लम बस्तियों में पुस्तक पढ़ने की संस्कृति को जगा रही है संस्कृति फाउंडेशन
      • झारखंड में एआई तकनीक से होगी हाथियों की सुरक्षा
      • शिक्षक सत्येन्द्र नारायण सावैयां का आकस्मिक निधन
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version