NEW DELHI : भारत ने आज के दिन 18 मई 1974 में पहला परमाणु परीक्षण किया था। परमाणु परीक्षण करके भारत ने पूरी दुनिया को चौंका दिया था। इंदिरा गांधी के नेतृत्व में भारत ने ये करिश्मा कर दिखाया था।
भारत के इस परीक्षण को जहां इंदिरा गांधी ने शांतिपूर्ण परमाणु परीक्षण करार दिया तो वहीं दूसरी तरफ अमेरिका ने भारत को परमाणु सामग्री और ईधन की आपूर्ति रोक दी थी। इस ऐतिहासिक दिन पर पढ़िए इस परीक्षण से जुड़ी खास बातें।
आपको बता दें कि 18 मई 1974 के दिन परमाणु टेस्ट की सारी तैयारियां पूरी हो चुकी थीं। विस्फोट पर नज़र रखने के लिए मचान को 5 किमी दूर लगाया गया था। इसी मचान से सभी बड़े सैन्य अधिकारी और वैज्ञानिक नज़र रखे हुए थे। आखिरी जांच के लिए वैज्ञानिक वीरेंद्र सेठी को परीक्षण वाली जगह पर भेजना तय हुआ था। जांच के बाद परीक्षण स्थल पर जीप स्टार्ट ही नहीं हो रही थी। विस्फोट का समय सुबह 8 बजे तय किया गया था।
वक्त निकल रहा था और जीप स्टार्ट न होने पर सेठी दो किमी दूर कंट्रोल रूम तक चलकर पहुंचे थे। इसके पूरे घटनाक्रम के चलते परीक्षण का समय 5 मिनट बढ़ा दिया गया।
इस टॉप सीक्रेट प्रोजेक्ट पर लंबे समय से एक पूरी टीम काम कर रही थी। 75 वैज्ञानिक और इंजीनियरों की टीम ने 1967 से लेकर 1974 तक 7 साल जमकर मेहनत की। इस प्रोजेक्ट की कमान BARC के निदेशक डॉ राजा रमन्ना थे। रमन्ना की टीम में तब एपीजे अब्दुल कलाम भी थे, जिन्होंने 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षण की टीम का नेतृत्व किया था।
साल 1972 में भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर का दौरा करते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वहां के वैज्ञानिकों को परमाणु परीक्षण के लिए संयंत्र बनाने की इजाज़त दी थी, लेकिन गांधी की ये इजाज़त मौखिक थी।
परीक्षण के दिन से पहले तक इस पूरे ऑपरेशन को गोपनीय रखा गया था। यहां तक कि अमेरिका को भी इसकी कोई जानकरी नहीं लग पाई. नाराज़ अमेरिका ने परमाणु सामग्री और इंधन के साथ कई तरह के और प्रतिबंध लगा दिए थे। संकट की इस घड़ी में सोवियत रूस ने भारत का साथ दिया।