वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल़्ड ट्रंप के हालिया सऊदी अरब के दौरे के समय वहां पहुंचे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की घोर अनदेखी की गई। यहां तक कि नवाज की घंटों की मेहनत के बाद तैयार की गई स्पीच के बावजूद उन्हें मंच पर बोलने का मौका नहीं मिला। शरीफ की इस बेइज्जती के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान को एक और झटका दिया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कांग्रेस के सामने अपने वार्षिक बजट में प्रस्ताव दिया है कि पाकिस्तान को अमेरिका की ओर से सैन्य उपकरणों की खरीद के लिए दिए जाने वाले सहायता राशि को कर्ज में परिवर्तित कर देना चाहिए। यह जानकारी व्हाइट हाउस ने दी है।
बहरहाल, ट्रंप प्रशासन ने इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय विदेश मंत्रालय पर छोड़ा है। भारत और ब्रिटेन जैसे कई लोकतंत्रों में संसद में वित्त मंत्री खुद भाषण देते हैं लेकिन अमेरिका में राष्ट्रपति के बजट प्रस्तावों को व्हाइट हाउस भेजता है। ट्रंप प्रशासन के पहले वार्षिक बजट को आज शाम अमेरिकी कांग्रेस के समक्ष जमा करा दिया जाएगा।
व्हाइट हाउस में बजट प्रबंधन कार्यालय के निदेशक मिक मुलवाने ने सवालों के जवाब में कहा कि ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान समेत कई देशों के लिए चलाए जा रहे अपने विदेशी सैन्य वित्तपोषण (एफएमएफ) कार्यक्रम को मदद से बदलकर वित्तीय कर्ज कर देने का प्रस्ताव दिया है।
बाद में व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया, यह उन विकल्पों में से एक है, जो प्रशासन की आंतरिक चर्चाओं में निकलकर आए हैं लेकिन इस अनुरोध से फैसला नहीं हो जाता। व्हाइट हाउस ने कहा कि यदि जरूरत पड़ती है तो यह सैन्य उपकरण खरीदने के लिए पाकिस्तान को दिए जाने वाले मूल वित्तीय अनुदान के रूप में ही तब्दील हो जाएगा।
व्हाइट हाउस ने कहा कि वित्तपोषण अनुदान के जरिए दिया जाता है या कर्ज के लिए सब्सिडी के तौर पर, विदेश मंत्रालय वही विकल्प चुनेगा, जिसके जरिए हमारी विदेशी मदद अमेरिकी राष्ट्रीय हितों को बढ़ावा देती हो।
इस कदम को ट्रंप प्रशासन की ओर से विदेशी मदद के बजट कम करने के प्रयासों के तौर पर देखा जा रहा है ताकि अमेरिकी सेना के बढ़े हुए खर्च को पूरा करने में मदद मिल सके। मुलवाने ने कहा कि हालांकि इस्राइल और मिस्र जैसे देशों के लिए अमेरिका की सैन्य मदद अनुदान के रूप में ही रहेगी।