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    Home»झारखंड»विकास की रोशनी से बहुत दूर हैं आदिवासी : बंधु तिर्की
    झारखंड

    विकास की रोशनी से बहुत दूर हैं आदिवासी : बंधु तिर्की

    adminBy adminJune 3, 2023No Comments3 Mins Read
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    आजाद सिपाही संवाददाता
    रांची। झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा है कि, जिस जनजातीय समाज के लिए विशेष रूप से झारखंड का गठन किया गया था वह विकास की रोशनी से बहुत दूर हो चुका है। अब जरूरत है कि सरकार अपनी संवेदनशीलता का परिचय देते हुए जनजातीय आदिवासी समाज के समग्र राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक एवं रोजगार के क्षेत्र में उसके विकास की ओर अपना ध्यान केंद्रित करें। उन्होंने जोर दिया कि आदिवासियों से सम्बंधित महत्वपूर्ण योजनाओं को जमीनी स्तर पर कार्यान्वित करने की जिम्मेदारी वैसे अधिकारियों को सौंपी जानी चाहिये जिनमें जनजातीय समाज से भावनात्मक लगाव है और वे वाकई में आदिवासियों का उत्थान चाहते हो बंधु तिर्की ने इस बात पर रोष प्रकट किया कि, झारखंड गठन के बाद से ही अनेक अधिकारियों और नेताओं ने भी केवल अपने निजी स्वार्थ को सबसे ऊंचा स्थान देते हुए वैसे अनेक निर्णयलिये जो झारखंड के आदिवासियों के साथ ही पूरे झारखंडी जनमानस और इस राज्य के खिलाफ थे। उन्होंने कहा कि, झारखंड की विशिष्ट आवश्यकतायें हैं। जिसे नजरअंदाज करना सभी के लिये आत्मघाती है। कहा कि जल, जंगल और जमीन को सबसे अधिक ऊंचा स्थान देनेवाले झारखंड में जनजातीय समुदाय न केवल इन सबसे भावनात्मक एवं गहराई से जुड़ा है। बल्कि वह संकोची भी है और अधिकारियों सहित अनेक नेताओं ने इस बात का भरपूर फायदा उठाया है। लेकिन किसी भी समाज को असीमित समय तक अंधेरे में नहीं रखा जा सकता। उन्होंने कहा कि, झारखंड में वर्तमान समय में 32 तरह की जनजातीय आबादी रहती है और आदिम जनजाति के अनेक समुदाय केवल उपेक्षा और अदूरदर्शिता के कारण विलुप्त होने के कगार पर हैं। उनके लिये सरकार द्वारा विशेष योजना तैयार करना बहुत जरूरी है। झारखंड गठन के बाद सरकार के स्तर पर जरूरत के अनुरूप नयी योजनाओं की शुरूआत की जानी चाहिये थी लेकिन इस प्रदेश में तो वे योजनाएं भी पंगु साबित हुई है जो बहुत पहले से न केवल प्रदेश) सरकार बल्कि केन्द्र सरकार के द्वारा भी लागू है लेकिन झारखंड में जमीनी स्तर पर वह पंगु साबित हुई है। झारखंड के 15 अनुसूचित जिलों में वह जनजातीय उपयोजना (ट्राइबल सब प्लान या टीएसपी) लागू है, जिसे कांग्रेस के शासनकाल में पांचवी पंचवर्षीय योजना के तहत 1976 में लागू किया गया था और जो विशेष रूप से उन क्षेत्रों के लिये है जहां जनजातीय आबादी 50 प्रतिशत से ज्यादा है। इस योजना के दायरे में झारखंड के 50 प्रतिशत से अधिक प्रखण्ड आते हैं लेकिन उन सभी प्रखंडों और जिलों में इस योजना का हाल बेहाल है।

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