खूंटी। खूंटी जिले का प्रसिद्ध बाबा आम्रेश्वर धाम न सिर्फ हिंदुओं की आस्था का केंद्र है, बल्कि यहां का श्रावणी मेला स्वरोजगार का बड़ा केंद्र भी है। बाबा भोलनाथ हर तबके के लोगों को पूरे सावन महीने रोजगार देते हैं। ऐसा नहीं है कि इससे सिर्फ हिंदू समुदाय के लोग लाभान्वित होते हैं, बल्कि मुसलमान, ईसाई, सिख सहित अन्य समुदाय के सैकड़ों व्यापारी रांची, खूंटी, गुमला सिमडेगा, छत्तीसगढ़, ओडिशा पश्चिम बंगाल सहित अन्य जगहों से बाबा आम्रेश्वर धाम के श्रावणी मेले में आते हैं।
इस वर्ष दो महीने का श्रावणी मेला होने से मेला परिसर में दुकान लगानेवाले काफी खुश हैं। बाबा आम्रेश्वर धाम प्रबंध समिति के महामंत्री मनोज कुमार बताते हैं कि एक महीने के श्रावणी मेले में लगभग 40 से 45 करोड़ रुपये का व्यापार होता है। श्रावणी मेले में दुकान लगाने वाले लोहरदगा जिले के सोंस कुड़ू के मजीद आलम बताते हैं कि पिछले चार-पांच वर्षों से वह दुकान लगा रहे हैं। इसके पहले उनके पिता 50 वर्षों तक मेला में दुकान लगाते थे। गुमला जिले के सिसई से आकर खिलौने की दुकान लगाने वाले मो मकसूद अंसारी बताते हैं कि वह दस वर्षों से दुकान लगाते हैं और इसके पहले 40-45 वर्ष उनके पिता दुकान लगाते हैं। गुमला से श्रृंगार सामग्री की दुकान लगाने वाले असलम अंसारी बताते हैं कि ऊपरवाले की कृपा से कभी उन्हें खाली जाना नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि यहां सभी समुदाय के लेागों को रोजी-रोटी मिल जाती है। दुकानदारों ने कहा कि उन्हें अच्छी कमाई हो जाती है। यही कारण है कि बरसात के महीने में प्लास्टिक के भरोसे दुकान लगाकर रहते हैं।
फूल-प्रसाद, होटल और खिलौने की दुकानें सबसे अधिक
बाबा आम्रेश्वर धाम के रावणी मेले में होटल और भोजनालय के अलावा चाट-फुचका का व्यवसाय अहम है। स्थायी होटलों और भोजनालय के अलावा खाने-पीने की सैकड़ों अस्थायी दुकानें मेला परिसर लगी रहती हैं। सबसे अधिक दुकानें फूल-प्रसाद और फलों की होती हैं। चूड़ा, इलायची दाना, पेड़ा आदि की रहती हैं। बिहार और बंगाल के अलावा ओडिशा का चूड़ा और पेड़े की यहां अच्छी खासी बिक्री होती है। सिंदूर, चूड़ी और
बिंदी बाबा आम्रेश्वर धाम के प्रमुख प्रसादों में शुमार है। श्रावणी मेले में बर्तन और खिलौने का भी बड़ा व्यापार होता है। मेला परिसर में लोहा, कांसा, पीतल, और तांबे के बर्तनों का भी अच्छा कारोबार होता है। यहां दैनिक उपयोग में आनेवाले सभी घरेलू सामान उपलब्ध रहते हैं।