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    Home»स्पेशल रिपोर्ट»जैन आॅनलाइन के माध्यम से हजारों छात्रों का सपना हो रहा पूरा
    स्पेशल रिपोर्ट

    जैन आॅनलाइन के माध्यम से हजारों छात्रों का सपना हो रहा पूरा

    adminBy adminAugust 2, 2023No Comments13 Mins Read
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    विशेष
    -जैन ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस ने शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति ला दी है
    -नौकरी पेशा, कारोबारी और गृहिणियां भी अब कर सकती हैं अपनी पढ़ाई पूरी
    -सामान्य परिवार के बच्चों के लिए तो वरदान है जैन आॅनलाइन
    -ग्रेजुएशन और पीजी की पढ़ाई बिल्कुल मामूली खर्च पर, मिलेगी डिग्री और प्लेसमेंट टॉप कंपनियों में

    कोरोना महामारी से भारत ही नहीं, पूरा विश्व लड़ रहा था। इसे हराने और जिंदगी सामान्य बनाने के लिए डॉक्टरों की टीम ने, देश की सरकारों और देश के लोगों ने बहुत जतन किये। विश्व लॉकडाउन की भी मार झेल रहा था। स्कूल, कॉलेज, दफ्तर सब बंद थे। पढ़ाई के क्षेत्र में भी कोरोना ने अपना कहर बरपाया हुआ था। सभी शिक्षण संस्थान ठप पड़े हुए थे। बच्चे घर पर थे। कैसे पढ़ें, यह बड़ा सवाल था। तब उदय हुआ आॅनलाइन क्लासेस का। शिक्षण संस्थानों ने इस माध्यम के जरिये बच्चों को घर पर ही स्कूल जैसी पढ़ाई देने की कोशिश की। सफल भी हुए। कोरोना जब खत्म हुआ, तब बच्चे सामन्य रूटीन में आ गये और स्कूल, कॉलेज जाना शुरू कर दिया। लेकिन आॅनलाइन क्लासेस का आइडिया इतना सक्सेसफुल हुआ कि इसी को और बड़ा रूप दिया जैन ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस ने अपने जैन आॅनलाइन के माध्यम से। जैन आॅनलाइन आपको घर बैठे आॅनलाइन क्लासेज के माध्यम से अंडर ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री आसान पैकेज पर उपलब्ध करवाता है। जो लोग कॉलेज जाने में सक्षम नहीं हैं, नौकरी या व्यापार करते-करते अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहते हैं, घर के काम के साथ-साथ गृहिणियां अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहती हैं, जो बच्चे महंगी पढ़ाई अफोर्ड नहीं कर पाते और भी किन्ही कारणों से कॉलेज नहीं जा सकते या शिक्षा का पारंपरिक तरीका इस्तेमाल नहीं कर सकते, तो उनके लिए जैन आॅनलाइन ने पढ़ने का बहुत बढ़ियां तरीका निकाला है, जो सस्ता भी है, जहां क्वालिटी एजुकेशन से कोई समझौता नहीं और प्लेसमेंट भी बेहतरीन है। सबसे खास बात यह है कि जैन आॅनलाइन के आॅनलाइन कोर्स की मान्यता टॉप कॉलेज जैसा ही होता है। जैन आॅनलाइन को एनएएसी और एनआइआरएफ की बेस्ट ग्रेडिंग और रैंकिंग प्राप्त है। 2022 का एक यूजीसी का नोटिफिकेशन है, जिसने आॅनलाइन और फिजिकल, या यूं कहें कन्वेंशनल क्लास के भेदभाव को मिटा दिया है। अंतर इतना भर है कि आप एक में क्लास रूम में जाकर पढ़ाई करते हैं और आॅनलाइन क्लास आप लैपटॉप, मोबाइल या पीसी से घर पर या आॅफिस में बैठ कर पढ़ते हैं। क्या है जैन आॅनलाइन और कैसे बच्चे या किसी भी उम्र के लोग इससे जुड़ सकते हैं और अपने करियर को चार चांद लगा सकते हैं, इसे आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह से साझा किया संस्थान के एचओडी रविशंकर ठाकुर ने।

    सवाल: बड़ी चर्चा है जैन ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस की। लोगों में काफी जिज्ञासा है, इसके बारे में विस्तार से बतायें?
    जवाब: जैन ग्रुप बेंगलुरु का बहुत बड़ा समूह है। यह शिक्षा के क्षेत्र में जाना-माना नाम है। यह हमारा पेरेंट आॅर्गेनाइजेशन है। इसके कई वर्टिकल्स हैं। हमारे कई फेमस एलुमनाई भी हैं। पिछले साल खेलो इंडिया का प्रोग्राम गृह मंत्री अमित शाह ने हमारे कैंपस में ही किया था। जेजीआइ के चेयरमैन डॉ चेनराज रायचंद के मेंटरशिप में हम सब काम करते हैं। जेजीआइ के बहुत सारे कैंपस हैं। बहुत सारे बच्चे देश-विदेश से आते हैं और इन कैंपसों में पढ़ाई का लाभ ले रहे हैं। हमारा मकसद बच्चों को अच्छे से अच्छा एजुकेशन देना और समाज निर्माण की ओर कदम अग्रसर करना है। आज भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पांचवीं सबसे बड़ी इकोनॉमी के रूप में उभर कर आया है, जिसमें शिक्षाविदों और इंस्टीट्यूशंस का भी बहुत बड़ा रोल रहा है। मैं बहुत गर्व के साथ यह कहना चाहता हूं कि जैन ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस ने भी एक छोटा सा कंट्रीब्यूशन किया है। हमारे कई सारे स्टूडेंट्स एलुमनाई आज की तारीख में भारत का नाम रोशन कर रहे हैं। यूं तो जैन ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस के कई यूनिवर्सिटी हैं, कॉलेज हैं, स्कूल हैं, इंटरनेशनल स्कूल हैं, ओवरसीज कैंपस भी हैं। यह बहुत फैला हुआ और बहुत बड़ा इंस्टीट्यूशन है और जिसका मोटिव बच्चों को फैसिलिटेट करना है और भारत की तरक्की में योगदान देना है। बात करें झारखंड की, तो यहां भी हमारा बहुत बड़ा कैंपस है। उसका नाम है अरका जैन यूनिवर्सिटी, जो जमशेदपुर में स्थित है। अरका जैन यूनिवर्सिटी का संचालन डायरेक्टर अमित श्रीवास्तव के नेतृत्व में किया जा रहा है। अरका जैन यूनिवर्सिटी के साथ-साथ हमने एक और वर्टिकल लांच लिया है, जिसका नाम है जैन आॅनलाइन।

    सवाल: जैन आॅनलाइन के बारे में जरा विस्तार से बतायें ?
    जवाब: जैन आॅनलाइन भी जेजीआइ का हिस्सा है। बात कोरोना काल की है। जब समूचा विश्व इस महामारी से जूझ रहा था, उस वक्त हर इंस्टीट्यूशन के सामने यह चुनौती आ गयी थी कि कोरोना और लॉकडाउन की स्थिति में भी बच्चों को पढ़ाना है। यह बहुत चैलेंजिंग हो गया था, जहां क्वालिटी एजुकेशन के साथ कोई समझौता नहीं करना है। इस दौरान देश और विदेशों के लोगों ने भी यह जाना और समझा कि आॅनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी पढ़ाई हो सकती है। अच्छी पढ़ाई हो सकती है। अच्छा जॉब प्लेसमेंट भी हो सकता है। आज के दौर में अभिभावक और बच्चे दोनों के हायर एजुकेशन में यही मकसद होता है कि पढ़ाई अच्छी हो, क्वॉलिटी एजुकेशन मिले, डिलीवरी अच्छी हो और आखिर में अच्छा प्लेसमेंट मिले।

    सवाल: क्या आज की तारीख में आॅनलाइन पढ़ाई और फिजिकल पढ़ाई को समानांतर दर्जा प्राप्त है?
    जवाब: 2022 का एक यूजीसी का नोटिफिकेशन है, जिसमें स्पष्ट शब्दों में आॅनलाइन और फिजिकल या यूं कहें कन्वेंशनल क्लास के भेदभाव को मिटा दिया गया है। अंतर इतना भर है कि आप एक तरफ कन्वेंशनल मोड में क्लास रूम में जाकर पढ़ाई कर रहे हैं और दूसरी तरफ आॅनलाइन क्लास आप लैपटॉप, मोबाइल या पीसी से कर घर पर या आॅफिस में बैठ कर करते हैं। आपको लाइव प्रोजेक्ट मिल जाते हैं। एक काउंसिलर होने के नाते मेरा ज्यादातर काम है बच्चों से मिलना, उनके पेरेंट्स से मिलना, प्रोफेसर से मिलना, तो यही सवाल मुझे ज्यादातर फेस करने को मिलता है। मैं सभी को यही जवाब देता हूं, जो आपको देने जा रहा हूं। 2020 से पहले भारत में एक कांसेप्ट चलता था, जो अभी ना के बराबर है। एक उदाहरण से मैं इसको समझाऊंगा। जैसे कोई वर्किंग प्रोफेशनल है। उस पर घर की भी जिम्मेवारी है, पढ़ाई भी करनी है। इनके लिए यह संभव नहीं हो पाता कि वह नौकरी छोड़ कर कोई कॉलेज को ज्वाइन कर ले। दो-तीन साल अपने हायर एजुकेशन को दे। पहले डिस्टेंस लर्निंग का कांसेप्ट था। इसमें एक किट आपको दे दी जाती थी। फिर आपको खुद से ही पढ़ाई करनी पड़ती थी। न ही कोई टीचर से कोई इंटर-एक्शन है न ही कोई लाइव प्रोजेक्ट है, न नहीं किसी तरीके की मेंटरशिप है और प्लेसमेंट तो भूल ही जायें आप। इसका वैल्यूएशन ना के बराबर होता था। उस दौरान इंस्टीट्यूशंस भी खानापूर्ति कर सर्टिफिकेट दे देता था। लेकिन आज का दौर अलग है। सामाजिक ताना-बाना भी बदल रहा है। आज के दौर में कॉरपोरेट्स का भी सोचने, समझने और काम करने का तरीका बदल रहा है। बच्चों और अभिभावकों का भी सोचने और समझने का तरीका बदल रहा है।

    सवाल: जैन ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस को आॅनलाइन डिग्री वाली पढ़ाई का आइडिया कैसे आया और क्या कॉरपोरेट्स अपने प्लेसमेंट में इसे हाथों-हाथ ले रहे हैं?
    जवाब: कोरोना काल ने बहुत कुछ लोगों को सिखा दिया है। जैसे कोरोना काल में आॅनलाइन क्लासेस चल रहे थे। बच्चे मोबाइल, लैपटॉप और पीसी के जरिये आॅनलाइन पढ़ाई कर रहे थे। इस चीज को बिना किसी छेड़छाड़ के जैन आॅनलाइन ने आगे बढ़ा दिया है। कुछ चुनिंदा इंस्टीट्यूशंस को यूजीसी और भारत सरकार ने एफिलिएट किया कि आप इसी चीज को आॅनलाइन मोड पर आगे जारी रख सकते हैं। मैं 2020 की बात करूंगा। बच्चे हमारे कैंपस में आये, एनरोल हुए, कुछ महीने क्लास चले और उसके बाद कोरोना का प्रकोप शुरू हुआ। अचानक से लॉकडाउन लग गया। उसके बाद दुर्भाग्यवश बच्चे कॉलेज आ ही नहीं पाये। फिर आॅनलाइन मोड पर ही उनकी पढ़ाई हुई, आॅनलाइन एग्जाम हुए और आॅनलाइन मोड पर ही उनका प्लेसमेंट भी हुआ। जहां तक प्लेसमेंट की बात है, मैं बताऊं कि इसने प्लेसमेंट पर कैसे असर किया। जो कॉरपोरेट कंपनियां हैं, उनके लिए भी यह कांसेप्ट बहुत फायदेमंद रहा। पहले देखा जाता था कि कॉरपोरेट्स की एचआर टीम को कैंपस सेलेक्शन के लिए आना पड़ता था। अभी भी आते हैं, लेकिन मैं कोरोना काल की बात कर रहा हूं। मैं जमशेदपुर के संदर्भ में कहना चाहूंगा कि एयरपोर्ट रांची में है। जमशेदपुर तक सड़क पहले अच्छी नहीं थी। सड़कें आज अच्छी हुई हैं। तो एचआर टीम को जमशेदपुर आने में दिक्क होती थी। लेकिन कोरोना काल ने आॅनलाइन मोड से कॉरपोरेट्स को यह तो सिखा दिया कि यह एक बहुत अच्छा अवसर है, एक अच्छा प्लेटफॉर्म है, जहां एग्जाम आॅनलाइन हो रहा है, रिटेन टेस्ट आॅनलाइन हो रहा है, ग्रुप डिस्कशंस आॅनलाइन हो रहे हैं और बहुत आसानी से हो रहे हैं। कारॅपोरेट्स को यह समझ में आ गया कि अब एचआर टीम को कहीं आने-जाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि उनके आने-जाने का एक कॉस्ट होता है, ट्रैवेलिंग टाइम अलग। बच्चों को भी कहीं जाने की जरूरत नहीं। यह बहुत आसानी से आॅनलाइन माध्यम से हो जाता है। इससे कॉरपोरेट्स को फायदा यह हुआ है कि उनकी एचआर टीम की रीच बढ़ गयी है। कहीं गये बिना वे आॅनलाइन माध्यम से बच्चों का इंटरव्यू कर पा रहे हैं। ज्यादा संख्या में आसानी से कर पा रहे हैं। पहले देखा जाता था कि कॉरपोरेट्स मेट्रो शहर तक ही सीमित रह जाते थे। वहीं इंटरव्यू होता था, बच्चों को भी वहीं जाना होता था, लेकिन अब घर बैठे आप इंटरव्यू देते हैं। जॉब लगते ही आपके घर पर लैपटॉप आ जाता है। आप घर से ही वर्क फ्रॉम होम का लुफ्त उठा रहे हैं। कॉरपोरेट्स का भी इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च कम हो जाता है। आॅनलाइन माध्यम से अब एचआर टीम रांची, जमशेदपुर, छत्तीसगढ़ जैसे दूसरी श्रेणी के शहरों तक पहुंच रही है। इससे फायदा यहां के लोकल बच्चों को हुआ है। ब्रेन ड्रेन रुक रहा है। लोकल स्तर पर जो पढ़ाई बच्चों की चार से पांच लाख में हो सकती थी, उसका कॉस्ट दूसरे स्टेट में जाकर 15 से 20 लाख खर्च आता है। रहना, खाना इत्यादि। ब्रेन ड्रेन जो हो रहा है, सो अलग।

    सवाल: आॅनलाइन कोर्स के फायदे क्या हैं?
    जवाब: आॅनलाइन कोर्स का फायदा यह हुआ है कि आप कहीं से भी पढ़ाई कर सकते हैं। घर से भी आप पढ़ाई कर सकते हैं, आॅफिस में काम कर के भी आप पढ़ाई कर सकते हैं। आप बिजनेस करते हैं, तो आप शॉप में भी टाइम निकाल कर पढ़ाई कर सकते हैं। गृहिणी घर के काम को निपटाकर पढ़ाई कर सकती हैं। इसमें उम्र सीमा भी नहीं है। अभी जो नयी एजुकेशन पॉलिसी इंप्लीमेंट हो रही है, उसके तहत लोगों को यह फायदा हो रहा है कि जिन लोगों ने 20 साल पहले पढ़ाई छोड़ दी थी, कोई भी कारण रहा हो, उनको अब आॅनलाइन के माध्यम से इतना बढिया प्लेटफॉर्म मिला है, जिससे वे अपनी अधूरी पढ़ाई को पूरी कर सकते हैं। खुद को तराश सकते हैं, अपने करियर को बेहतर बना सकते हैं, अपनी सैलरी में वृद्धि कर सकते हैं। आॅनलाइन कोर्स का फायदा उन बच्चों को भी मिल पाता है, जिन्हें पैसों का अभाव होता है। क्योंकि हमारी कोर्स फीस इतनी कम है कि उन्हें पढ़ाई पूरी करने में कहीं कोई दिक्कत नहीं आती। हम पढ़ाई के लिए लोन भी मुहैया करवाते हैं।

    सवाल: आपका आॅनलाइन कोर्स करने का क्या क्राइटेरिया और फीस क्या है?
    जवाब: अगर कोई अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम में आ रहा है, तो उसे बारहवीं में कम से कम 50 प्रतिशत से पास होना चाहिए। पीजी प्रोग्राम में आनेवालों को ग्रेजुएट में 50 प्रतिशत अंक होने चाहिए। इसके लिए कोई टेस्ट नहीं होता है। डायरेक्ट एडमिशन होता है। लेकिन 50 प्रतिशत मार्क्स होने चाहिए। अभी पिछले साल ही बहुत कम समय में हमने एक वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है। 45 हजार से ज्यादा आॅनलाइन एडिमशन हुए हैं हमारे यहां। भारत की आजादी के बाद तो आज तक ऐसा नहीं हुआ था कि एक पर्टिकुलर सेशन के लिए किसी ने इतनी बड़ी संख्या में एनरोल किया हो। एक बात और बता दें कि एनरोलमेंट सिर्फ भारत से ही नहीं है, मिडिल इस्ट से भी है, साउथ एशियाई देशों से भी है, यूरोप से भी है, अमेरिका में बसे एनआरआइ लोगों ने भी एनरोल कराया है। यह अब हाथों-हाथ लिया जाने वाला कोर्स बन चुका है, क्योंकि इसका खर्च बहुत कम आता है। अगर आप हायर एजुकेशन के लिए कहीं जाते हैं, तो आप मान कर चलिए कि किसी भी अच्छे कॉलेज में आप एडमिशन लेंगे, तो कम से कम पांच से छह लाख रुपये आपके लग ही जाते हैं। लेकिन जैन आॅनलाइन में पीजी का आॅनलाइन कोर्स आप मात्र डेढ़ लाख रुपये में कर लेते हैं। जैसे एमबीए हुआ और भी कई सारे पीजी के कोर्सेज की डिग्री मात्र डेढ़ लाख, पूरे दो साल के कोर्स की फीस है। आपको डिग्री मिलती है। इसके अलावा और कोई खर्च नहीं है। और खर्च लगे भी, तो क्यों लगे। मैं न तो आपको कोई इंफ्रास्ट्रक्चर सपोर्ट दे रहा हूं, न ही कोई ट्रांस्पोर्टेशन का खर्चा है। तो वह कॉस्ट आयेगा ही नहीं। ये जो डेढ़ लाख लगता है, यह ट्यूशन चार्जेज में ही जाता है। और कहीं भी कोई खर्च आपको वहन नहीं करना।

    सवाल: अपनी फैकल्टी के बारे में बतायें?
    जवाब: फैकल्टी मेंबर्स लोकल नहीं हैं। वे ग्लोबल फैकल्टी हैं। ग्लोबल फैकल्टी का मतलब ये टॉप के मैनेजमेंट गुरु हैं। उन्हें आप गूगल भी कर सकते हैं, जिनका एक ट्रैक रिकॉर्ड है 20 से 25 सालों का। इसके अलावा यूरोपियन देशों से, मिडिल इस्ट देशों से मैनेजमेंट गुरु हमारे बच्चों को पढ़ाते हैं।

    सवाल: जैन आॅनलाइन का फर्स्ट बैच कब कंप्लीट होनेवाला है और प्लेसमेंट कैसे होगा?
    जवाब: हमारा पहला बैच 2023 अगस्त तक क्लीयर हो जायेगा। प्लेसमेंट की बात करें, तो जैन ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस जाना ही जाता है प्लेसमेंट के लिए। आज की तारीख में सबके पास स्मार्ट फोन है। आप गूगल करके आसानी से देख सकते हैं कि जैन ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस बेंगलुरु क्या है। उसका संपूर्ण डाटा आपको मिल जायेगा। जेजीआइ का एक प्रूवेन ट्रैक रिकॉर्ड रहा है 35 सालों का। तभी जेजीआइ नैक ए प्लस प्लस इंस्टीट्यूशन है। नैक एक गवर्नमेंट बॉडी है। इसका काम होता है, जो पुरानी और अच्छी संस्थाएं हैं, जो बेस्ट होने का क्लेम करती हैं, उनको रेट करना। इनका पैरामीटर बहुत ही कठिन होता है। इसकी ग्रेडिंग लेने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है। नैक देखता है कि संस्थान का ट्रैक रिकॉर्ड कैसा है, फैकल्टी कैसी है, आपका डिलीवरी कंटेंट कैसा है, जिन बच्चों को आप पढ़ाते हैं, उनका प्लेसमेंट कितना हो पाता है। प्लेसमेंट के लिए कंपनियां कैसी और कितनी आती हैं। पूरे भारतवर्ष में मिला-जुला कर करीब 50 हजार इंस्टीट्यूशंस हैं। उस 50 हजार से ज्यादा इंस्टीट्यूशंस में आप टॉप 100 रैंक के ब्रैकेट में आते हैं, तो यह कहना काफी होता है कि आपका इंस्टीट्यूशन सच एक अच्छा इंस्टीट्यूशन है। आप कहीं और नहीं, तो कम से कम आइआइएम, एक्सएलआरआइ के साथ पोडियम शेयर करते हैं। जो भी अच्छे इंस्टीट्यूशंस हैं, उनके साथ आप पोडियम शेयर करते हैं। एक एनआइआरएफ भी ग्रेडिंग संस्था है। नैक आपको ग्रेडिंग देती है और एनआइआरएफ आपको रैंकिंग देती है। इसके भी पैरामीटर नैक जैसे ही टफ हैं। 50 हजार से ज्यादा कॉलेज में हमारा एनआइआरएफ रैंकिंग 68 है। यह खुद में बहुत अच्छा माना जाता है। इसी से आप समझ सकते हैं कि हमारा प्लेसमेंट भी कितना बेहतरीन होगा। जैन आॅनलाइन में दाखिला लेने के लिए आप एचओडी रविशंकर ठाकुर से संपर्क कर सकते हैं। मोबाइल नंबर है 9798452362.

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