इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को उपहार में मिले सामान को बेचकर पैसे कमाना महंगा पड़ गया है। भ्रष्टाचार के इस मामले में तीन साल की सजा सुनाए जाने के बाद इमरान खान अब पांच साल चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को भ्रष्टाचार के मामले में तीन साल की सजा सुनाने वाले इस्लामाबाद जिला सत्र न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश हुमायूं दिलावर ने उन पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने कहा कि जुर्माना नहीं देने पर उन्हें और छह महीने तक जेल में रखा जाएगा। दिलावर ने अपने फैसले में कहा कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष के खिलाफ संपत्ति की गलत घोषणा करने के आरोप साबित हुए हैं। सजा होने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इसके साथ ही इमरान खान पर पांच साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लग गई है।
दरअसल, पाकिस्तान के कानून के अनुसार किसी विदेशी राज्य के गण्यमान्य व्यक्तियों से प्राप्त कोई भी उपहार स्टेट डिपॉजिटरी यानी तोशाखाना में रखना होता है। अगर राज्य का मुखिया उपहार को अपने पास रखना चाहता है तो उसके लिए उसे इसके मूल्य के बराबर राशि का भुगतान करना होगा। यह एक नीलामी की प्रक्रिया के जरिए तय किया जाता है। ये उपहार या तो तोशाखाना में जमा रहते हैं या नीलाम किए जा सकते हैं और इसके माध्यम से अर्जित धन को राष्ट्रीय खजाने में जमा किया जाता है।
इमरान खान वर्ष 2018 में सत्ता में आए तो उन्हें दुनिया भर की आधिकारिक यात्राओं के दौरान करीब 14 करोड़ रुपये के 58 उपहार मिले थे। इन महंगे उपहारों को तोशाखाना में जमा किया गया था। बाद में इमरान खान ने इन्हें तोशखाने से सस्ते दाम पर खरीद लिया और फिर महंगे दाम पर बाजार में बेच दिया। इस पूरी प्रक्रिया के लिए उन्होंने सरकारी कानून में बदलाव भी किए। आरोपों के मुताबिक इमरान ने 2.15 करोड़ रुपये में इन उपहारों को खरीदा था और इन्हें बेचकर 5.8 करोड़ रुपये का मुनाफा कमा लिया। इन उपहारों में महंगी घड़ियां, जेवरात व अन्य सामान शामिल थे।
बीते वर्ष अगस्त में इमरान खान को सत्ता से हटाए जाने के कुछ महीनों बाद सत्तारूढ़ गठबंधन के कुछ सांसदों ने नेशनल असेंबली के अध्यक्ष राजा परवेज अशरफ ने सामने एक आरोप पत्र दायर किया था। इमरान खान पर आरोप लगाए गए थे कि उन्होंने उपहारों को बेचकर पैसे कमाए हैं। पाकिस्तान के स्पीकर ने इस मामले में जांच करवाई। आरोप साबित होने पर पिछले साल इमरान खान की संसद सदस्यता भी चली गई थी। इमरान खान को चुनाव अधिनियम की धाराओं के साथ संविधान के अनुच्छेद 63 (1) (पी) के तहत अयोग्य घोषित कर दिया गया था। तोशाखाना मामला सामने आने के बाद इमरान खान ने इस पर बयान भी दिया था। उन्होंने कहा था कि ये उपहार उन्हें निजी तौर पर मिले हैं। इसलिए उन्हें इसे अपने पास रखने का अधिकार है। हालांकि, बाद में उन्होंने तोशाखाना मामले के सारे आरोपों को बेबुनियाद बताया था।