Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Saturday, June 7
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»देश»दूरदर्शन के 64 साल पूरे, ‘बाकियों के शोर-शराबे के बीच वही शालीनता बरकरार’
    देश

    दूरदर्शन के 64 साल पूरे, ‘बाकियों के शोर-शराबे के बीच वही शालीनता बरकरार’

    SUNIL SINGHBy SUNIL SINGHSeptember 15, 2023No Comments4 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    नई दिल्ली दूरदर्शन के लोगो के साथ प्रसारण की शुरुआत में धुन बजते ही लोगों के चेहरे खिल उठते थे। तब टीवी का मतलब ही दूरदर्शन होता था। सत्तर और अस्सी के दशक में दूरदर्शन के साथ ही देश के लोग पले, बढ़े, हंसे-रोये, और हिन्दी-अंग्रेजी के साथ प्रादेशिक भाषाओं के उच्चारण को दुरुस्त करते रहे। दूरदर्शन के प्रसारण के खुलने का इंतजार सभी को बेसब्री से हुआ करता था। फिर चाहे समाचार हो, रामायण- महाभारत हो, या फिर हर शुक्रवार को प्रसारित होने वाले नए गानों का कार्यक्रम चित्रहार हो।

    सभी का वक्त तय था। लोग उसी के मुताबिक अपना काम खत्म कर शटर वाले टीवी के सामने बैठ जाया करते थे। दूरदर्शन के सफर को लेकर ज्यादातर अस्सी-नब्बे के दशक के लोगों की कुछ ऐसी ही खट्टी मीठी यादें होंगी। पांच मिनट के समाचार के कार्यक्रम से शुरू हुआ यह सफर आज रोजाना 24 घंटे के सफर में बदल गया है।

    आज (शुक्रवार) दूरदर्शन अपने सफर के 64 साल पूरे कर 65वें साल में प्रवेश कर रहा है। इस दौरान दूरदर्शन कई पड़ाव से गुजरा और आज निजी टीवी चैनलों के बीच भी अपना वो ही मुकाम बनाए हुए अपनी रफ्तार से लोगों के साथ सूचना साझा कर रहा है। इस मौके पर दूरदर्शन के वरिष्ठ समाचार वाचकों ने दूरदर्शन को बधाई दी और अपने खट्टे-मीठे अनुभवों और यादों को ‘हिन्दुस्थान समाचार’ के साथ साझा किया।

    सत्तर के दशक से लेकर कई सालों तक दूरदर्शन के जाने-माने चेहरा रहे शम्मी नारंग बताते हैं कि दूरदर्शन के साथ उनका सफर बेहद शानदार और यादगार रहा है। आवाज के जादूगर और दूरदर्शन के सुनहरे काल को जीने वाले शम्मी बताते हैं कि लोग अब उसी दौर में लौटना चाहते हैं जहां वे सुकून से देश-समाज से जुड़ी विश्वसनीय खबरें देख सकें। शम्मी नारंग बताते हैं कि दूरदर्शन लोगों को भरोसा इतना था कि वह हिंदी का सशक्त उच्चारण और आवाज मॉड्यूलेशन को यहीं से सीखते थे। यह गौरव की बात हुआ करती थी कि लोग आप को रोल मॉडल समझा करते थे।

    उन्होंने बताया कि अस्सी के दशक में दूरदर्शन के कदम तेजी से बढ़े। धीरे-धीरे बच्चा जवान हो रहा था। दूरदर्शन की अपनी पहचान बन रही थी। दो चीजों में तब्दीली आई। इसका प्रसारण राष्ट्रीय हुआ। यह ब्लैक ऐंड व्हाइट से कलर हुआ। समाचार पढ़ने के अंदाज बदले। दूरदर्शन केवल दो-तीन लोगों पर निर्भर नहीं था। लोगों को अंग्रेजी और हिंदी में बेहतरीन तरीके से सामग्री परोसी गई। और फिर प्रांतीय भाषा के चैनल शुरू हुए। कहीं न कहीं बहुत खूबसूरती से प्रसारण का ताना-बाना अलग-अलग रंगों से बुना गया। अस्सी का यह दशक सबसे सुनहरा रहा। उन्हें उम्मीद है कि आने वाले सालों में भी दूरदर्शन निजी चैनलों के बीच अपना दबदबा बरकरार रखेगा।

    वहीं, 1973 से 1997 तक दूरदर्शन में समाचार वाचक रहे जसवीन जस्सी बताते हैं कि आज भी निजी चैनलों की दुनिया में दूरदर्शन अलग पहचान बनाए हुए हैं।आज तकनीकी बदलाव के चलते टीवी की दुनिया में बहुत कुछ बदल गया है लेकिन शुरुआती सफर में जो दूरदर्शन की खूबसूरती रही उसे आज भी लोग याद करते हैं। अपने ऑडिशन के दिनों को याद करते हुए जस्सी बताते हैं कि अच्छा दिखने के बाद भी उन्हें समाचार वाचक के तौर पर रिजेक्ट कर दिया गया था। फिर उन्होंने चश्मा लगा कर ऑडिशन दिया तब जा कर उनका चयन हुआ। चेहरे की गंभीरता और भरोसा जताने वाले एक्सप्रेशन को लेकर दूरदर्शन बेहद सजग और गंभीर था। ऑल इंडिया रेडियो के बाद कृषि समाचार फिर समाचार पढ़ने का सफर उन दिनों अपने आप में रोचक हुआ करता था। कागज के पन्नों पर लिखे समाचार को पढ़ने के साथ सामने देखने की चुनौती भी बड़ी हुआ करती थी। सीखने-सिखाने के साथ कई सालों तक दूरदर्शन को बदलते देखा। वे कहते हैं कि 1990 के बाद निजी टीवी के आने के साथ दूरदर्शन में काफी बदलाव हुए लेकिन आज भी शालीनता उसी तरह बरकरार है । भीड़ में भी अपने अस्तित्व को गौरवपूर्ण तरीके से वैसे ही बरकरार रखा दूरदर्शन ने।

    उल्लेखनीय है कि दूरदर्शन की शुरुआत 15 सितम्बर, 1959 को इंडिया टेलीविजन के नाम से की गई थी, जिसे बाद में दूरदर्शन नाम दिया गया। नियमित दैनिक प्रसारण की शुरुआत 1965 में ऑल इंडिया रेडियो के एक अंग के रूप में हुई थी। 1972 में सेवा मुम्बई (तत्कालीन बंबई) व अमृतसर तक विस्तारित की गई। 1975 तक यह सुविधा सात शहरों में शुरु हो गई थी। राष्ट्रीय प्रसारण 1982 में शुरू हुआ। इस वर्ष रंगीन दूरदर्शन का जन-जन से परिचय हुआ । मौजूदा समय में दूरदर्शन का परिवार बहुत विशाल हो गया है। आज दूरदर्शन के पास लगभग दो दर्जन चैनल हैं। यह देश का सबसे बड़ा प्रसारण प्लेटफॉर्म है।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleकोरबा: ग्रामीण पर भालू ने किया प्राणघातक हमला, ग्रामीण गंभीर हालत में सिम्स अस्पताल रेफर
    Next Article मीडिया कप फुटबॉल: आखिरी लीग मैच में दामोदर ने भैरवी को 3-1 से हराकर सेमीफाइनल में बनाई जगह
    SUNIL SINGH

      Related Posts

      प्रधानमंत्री ने चिनाब रेलवे पुल का किया उद्घाटन, वंदेभारत ट्रेन को दिखाई हरी झंडी

      June 6, 2025

      देश में कोरोना के सक्रिय मामले बढ़कर हुए 4866, पिछले 24 घंटे में 7 लोगों को मौत

      June 5, 2025

      प्रधानमंत्री, गृहमंत्री सहित प्रमुख नेताओं ने मुख्यमंत्री योगी को दी जन्मदिन की शुभकामनाएं

      June 5, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु का देवघर दौरा स्थगित
      • प्रधानमंत्री ने चिनाब रेलवे पुल का किया उद्घाटन, वंदेभारत ट्रेन को दिखाई हरी झंडी
      • मुख्यमंत्री ने गुपचुप कर दिया फ्लाईओवर का उद्घाटन, ठगा महसूस कर रहा आदिवासी समाज : बाबूलाल
      • अलकतरा फैक्ट्री में विस्फोट से गैस रिसाव से कई लोग बीमार, सड़क जाम
      • लाभार्थियों के खातों में ट्रांसफर की गयी मंईयां सम्मान योजना की राशि
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version