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    Home»झारखंड»रांची»शौर्य और साहस की सामूहिकता का पर्व है विजयादशमी: वी भागय्या
    रांची

    शौर्य और साहस की सामूहिकता का पर्व है विजयादशमी: वी भागय्या

    adminBy adminOctober 21, 2023No Comments3 Mins Read
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    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विजयादशमी डीएवी कपिलदेव कडरू मैदान में सम्पन्न

    रांची, । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ रांची महानगर की ओर से आयोजित विजयादशमी उत्सव स्थानीय डीएवी कपिलदेव कडरू मैदान में शनिवार को सम्पन्न हुआ। पूर्ण गणवेश में लगभग 500 स्वयंसेवकों ने पथ संचलन में हिस्सा लिया, जिनका स्वागत स्थानीय लोगों द्वारा पुष्प वर्षा से किया।

    कार्यक्रम में संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य वी भागय्या ने उपस्थित स्वयंसेवकों और महानगर से आए सामान्य बंधु भगिनी को संबोधित करते हुए कहा कि विजयादशमी का यह पर्व शक्ति और सामूहिकता का पर्व है। यह आसुरी शक्तियों के ऊपर सात्विक शक्तियों के विजय का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि हमें इस पावन पर्व के बीज मंत्र को समझना होगा। दिखावा का परित्याग कर इस त्योहार की प्रकृति को आत्मसात करना होगा।

    यह त्योहार हमें धर्म की विजय निश्चित है का भाव अपने समाज में संचारित करता है। रामायण में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन से व्यापक सिख को स्मरण कराती है। 1857 की क्रांति में उसी सामूहिकता के भाव अपने समाज में दिखी। हमारा समाज कभी भीरुता का मार्ग नहीं, बल्कि त्याग, बलिदान और समर्पण के मार्ग का अनुयायी रहा है। 1947 में उसी त्याग और समर्पण ने ब्रिटिश सत्ता से स्वाधीनता को प्राप्त किया। इतना ही नहीं जब 1975 में आपातकाल लाया गया उस समय भी समाज इसी सामूहिकता और शौर्य का परिचय देते अपनी विराट शक्ति को जब प्रदर्शित किया तो तानाशाही प्रवृति को लोकतंत्र के आगे घुटना टेकने को मजबूर करवा दिया।

    उन्होंने कहा कि जब-जब हिंदू संगठित हुआ यह राष्ट्र वैभव को प्राप्त किया और जब हिंदू बिखरे यह राष्ट्र पराभव को प्राप्त हुआ। भारत हिंदू राष्ट्र है लेकिन आज राजनीति फिर एकबार जाति के नाम पर हिंदुओं को बांटने का, देश को खंडित करने का दुष्चक्र चला रहा है। उन्होंने कहा कि छुआछूत गलत है। हिंदू हमारी राष्ट्रीयता है हमारी स्मिता है। अपनी एक जाति हिंदू है। अपने अतीत में अपने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति बंधुओं को जो सम्मान मिलना चाहिए वो नहीं मिला। इसलिए उन्हें संपूर्ण समाज के साथ कदम से कदम मिलाए, इस नाते उन्हें विशेष संवैधानिक सुविधा मिलनी ही चाहिए। वास्तव में आत्मविस्मृत हिंदू समाज को आत्मबल का समाज बनाना है। इस नाते हमें शक्ति की उपासना करनी ही होगी। हमें सिर्फ भक्ति नहीं अपितु शक्ति का आग्रही होना चाहिए।

    भागय्या ने कहा कि हिंदू समाज भक्ति की सामूहिकता में शक्ति की सामूहिकता को भूलते जा रहे। घोष का टंकार अपने रक्त के संचार को जो स्पंदन देता वह हमें समाज राष्ट्र के लिए कुछ करने का भाव पैदा करती है। आज विश्व शांति, प्रगति के लिए भारत को आशा भरी नजरों से देख रहा है। आज भारत आकाश, पाताल, अंतरिक्ष समुद्र हर क्षेत्र में प्रगति को जो परचम लहरा रहा। यह आनंद का विषय है। आज भारत को विश्व अपना मार्गदर्शक के रूप में देखता है। तभी हमने इसराइल समस्या पर स्पष्ट दृष्टि दिया। उन्होंने उपस्थित कार्यकर्ताओं से सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण के लिए, जल, जंगल, जमीन का संरक्षण के लिए अपने से शुरुआत करने का आह्वान किया।

    इस मौके पर उत्तर पूर्व क्षेत्र संघचालक देवव्रत पाहन, महानगर संघचालक पवन सहित सैकड़ों बंधु भगिनी उपस्थित रहीं।

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