-आरोपी को विक्षिप्त बता कर पीड़िता के परिजनों को पुलिस ने बैरंग लौटाया, प्राथमिकी दर्ज करने से किया इंकार
-चिकित्सक की सूचना के बावजूद बच्ची का बयान लेने नहीं पहुंची पुलिस
बसिया। पीड़िता की आयु महज नौ वर्ष। पहले उसके साथ उसी का चचेरा भाई बलात्कार करे, फिर उसे जान से मारने की कोशिश करे और अपने इस प्रयास के बाद वह पीड़िता को मरा हुआ समझ कर जंगल की तरफ फेंक दें। अब आप सोचिए कितना दर्दनाक और संवेदनशील है यह मामला। अभी इतना ही नहीं, अब बसिया पुलिस की कारगुजारी भी देखते जाइए। पीड़िता का परिवार उसके तात्कालिक इलाज के लिए अस्पताल पहुंचता है, तो बसिया थाना को इस घटना की सूचना चिकित्सा कर्मियों द्वारा दी जाती है। लेकिन बसिया थाना कोई छोटा मोटा थाना थोड़े ही है, जो इस तरह के केस को अटेंड करेगा। उसे मामले को अटेंड करने के लिए बड़ी-बड़ी घटनाओं की जरूरत है। बसिया थाना में प्रतिनियुक्ति जिस पुलिस पदाधिकारी को इस घटना की सूचना दी गयी, उसने खानापूर्ति करते हुए कह दिया कि आप इंज्युरी रिपोर्ट बना दीजिए। बाकी बाद में देख लेंगे। ऐसा हम नहीं कह रहे, यह कहना है उस चिकित्साकर्मी का, जिन्होंने उक्त पुलिस पदाधिकरी से बात की है। अब जिस पर गुजरती है, तकलीफ तो उसे ही होती है न। फरियाद लेकर पीड़िता के परिजन और आरोपी के माता पिता घटना के दूसरे दिन बसिया थाना पहुंचे। घटना शनिवार को घटी। अस्पताल से फोन आने के बावजूद बसिया पुलिस ने इस गंभीर मामले को नजरंदाज कर दिया। तब मामले को लेकर एक बार आरोपी और पीड़िता दोनों के परिजन को बसिया थाना जाना पड़ा। बसिया थाना में आरोपी की मां ने कह दिया कि आरोपी की मानसिक स्थिति ठीक नहीं। तो बसिया थाना में मौजूद पुलिस पदाधिकारी ने न आरोपी के बारे में कुछ जाना, न आरोपी से मुलाकात की और सीधे पीड़िता के परिजनों को वापस भेज दिया। और कहा कि आरोपी की दिमागी स्थिती ठीक नहीं है, इसलिए केस दर्ज नहीं होगा। जबकि आरोपी के पिता का कहना है कि आरोपी गुस्सैल प्रवृत्ति का है, पागल नहीं है। अब प्रश्न यह उठता है कि क्या पीड़िता के परिजनों की शिकायत पर पुलिस को प्राथमिकी दर्ज नहीं करनी चाहिए। क्या आरोपी को थाने बुला कर पूछताछ नहीं होनी चाहिए। क्या अब किसी विक्षिप्त या अर्ध विक्षिप्त का सर्टिफिकेट बसिया थाना से निर्गत किया जायेगा। क्या कोई आरोपी महज आरोपी की मां के कहने भर से विक्षिप्त मान लिया जायेगा या ये बसिया थाना की सरासर लापरवाही का मामला है। क्या ऐसे घोर लापरवाह पुलिस पादाधिकारियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। क्या ऐसे पुलिस कर्मी अपनी कर्तव्यहीनता और लापरवाही के कारण पूरे पुलिस महकमे का नाम बदनाम नहीं कर रहे हैं। क्या इन थानों पर वरीय पुलिस पदाधिकारियों का अंकुश नहीं रह गया है। सवाल बहुत है। मगर अभी सवालों से अधिक जरूरी यह है कि पीड़िता की वर्तमान स्थिति कैसी है। और पीड़िता के बारे में क्या कहते हैं चिकित्सक।
गंभीर बनी हुई है पीड़िता की स्थिती
पीड़िता की स्थिति अच्छी नहीं है। उसके शरीर और चेहरे, छाती, गला पर काफी चोट है। उसे निजी अंगों में भी गंभीर चोट है। पीड़िता का गला दबाया गया है। पीड़िता के कान पर, शरीर के विभिन्न हिस्सों पर जो चोट के निशान हैं, वे इस बात की गवाही दे रहे हैं कि पीड़िता को बलात्कार के बाद जान से मारने की कोशिश की गयी है। फिलहाल पीड़िता की स्थिति गंभीर बनी हुई है और चिकित्सक उसके इलाज में जुटे हैं
इस मामले में क्या है लोगों का बयान
पीड़ित के पिता ने कहा कि मेरी बेटी के साथ दुष्कर्म किया गया और उसके बाद उसे जान से मारने की कोशिश की गयी और पुलिस ने इस मामले में उसे कोई सहयोग नहीं किया, बल्कि पीड़िता की मां के कहने पर उसे पागल बता कर हमें थाने से लौटा दिया गया
आरोपी लड़के के पिता हेरमन सोरेंग ने सच्चाई स्वीकार करते हुए कहा कि मेरे बेटे की दिमागी हालत बिल्कुल ठीक है और स्वस्थ है।
ग्राम प्रधान मुकुल सोरेंग ने कहा कि इस मामले में न्याय को लेकर हम लोगों ने ग्रामसभा आयोजित की है। पुलिस की इस हरकत से हम लोग बहुत दुखी हैं। हम गुमला जिला के एसपी से इस संबंध में कार्रवाई की मांग करते हैं।
चिकित्सक ने कहा कि पीड़िता के रिश्तेदार ने ही पीड़िता का बलात्कार किया और उसे जान से मारने की कोशिश की। उसके शरीर के प्रत्येक अंग में गंभीर चोट के निशान हैं। उसकी स्थिति काफी गंभीर बनी हुई है। स्थिति इतनी दयनीय है कि अगर आरोपी को सजा नहीं मिलती है, तो यह पीड़िता के साथ अन्याय होगा। उनके द्वारा पुलिस को कार्रवाई हेतु सूचना दी जा चुकी है।
जिला परिषद सदस्य बसंती डुंगडुंग ने कहा कि इस मामले में आरोपी को सजा होनी चाहिए और कर्तव्य में लापरवाह पुलिस पदाधिकारी के विरुद्ध सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए
क्या है पूरा मामला
बसिया थाना क्षेत्र अंतर्गत बीते शनिवार को नौ वर्षीय बच्ची के साथ उसके चचेरे भाई के द्वारा बलात्कार किया गया। उसके उपरांत बच्ची पर जानलेवा हमला कर जान से मारने की कोशिश की। पीड़िता के बेहोश हो जाने पर उसे मरा हुआ समझ कर जंगल में फेंक दिया। गंभीर रूप में जख्मी बच्ची का इलाज कोनबीर के एक निजी अस्पताल में चल रहा है। पीड़िता के पिता ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि शनिवार को दूसरों बच्चों एवं लोगो के साथ उसकी बच्ची भी घर के पालतू जानवरों को चराने के लिए गयी हुई थी। शाम होने के बावजूद जब वह नही लौटी, तो उसके पिता समेत पूरे परिवार वालों ने उसकी खोजबीन की। खोजबीन के दौरान पीड़िता के पिता ने अपने बड़े भाई के बेटे उम्र लगभग 15 वर्ष से, जो बच्ची के साथ में ही जानवर चराने गया था, उससे पूछा कि उसकी बेटी को कहीं देखे हो, तो लड़के द्वारा पता नही होने की बात कही गयी। बहुत खोजबीन के बाबजूद बच्ची का कोई पता नहीं चल पाया। रात लगभग दस बजे बच्ची को उसके बड़े पिताजी गभीर रूप से घायल स्थिति में घर लेकर आये, जहां बच्ची से पूछने पर पता चला कि उसके साथ उसके बड़े पिताजी के बेटे ने ही गलत काम किया, मारपीट की है। उसके भाई ने उसके ऊपर बैठ कर उसे बुरी तरह मारपीट की, चेहरा गल्ला, छाती में गंभीर चोट पहुंचायी गयी। इसके बाद उसे मरा समझ कर घसीटते हुए खेत मे फेक दिया गया। बच्ची को आरोपी के पिता ने रात लगभग दस बजे खेत से लाकर पीड़िता के घर पहुंचाया। इसके बाद रात को ही इलाज के लिए अस्पताल लाया गया, जहां बच्ची इलाजरत है।