कश्मीर में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी की मौत ने घाटी में करीब सौ नए आतंकी तैयार कर दिए हैं। यह दावा सेना की एक आंतरिक रिपोर्ट में किया गया है। सेना ने वानी को पिछले साल जुलाई में एक मुठभेड़ में मार गिराया था। वानी की मौत के बाद कश्मीर में करीब छह महीने तक हालात खराब रहे, इसका असर अभी भी है। सेना ने उसकी मौत के बाद करीब एक साल के भीतर कश्मीर की स्थिति का विश्लेषण किया है।
सूत्रों के अनुसार इसमें कहा गया है कि वानी की मौत ने छह महीने तक कश्मीर को बुरी तरह अशांत रखा। हालांकि अब हालात काफी हद तक काबू में हैं। सेना के अनुसार, हिजबुल आतंकी की मौत को आतंकियों और अलगाववादियों ने अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया। नौजवानों को सेना के खिलाफ भड़काया गया। उन्हें आतंकी बनने के लिए प्रेरित किया गया। इससे एक तो कानून एवं व्यवस्था की स्थिति बिगड़ी दूसरे सेना एवं सुरक्षा बलों के खिलाफ हमले भी हुए।
दरअसल, सेना और सुरक्षाबलों का पूरा ध्यान दक्षिणी कश्मीर एवं अन्य हिस्सों में वानी की मौत के बाद उत्पन्न कानून एवं व्यवस्था की स्थिति को संभालने में लगा रहा। जबकि इस बीच हिजबुल मुजाहिदीन, लश्कर आदि आतंकी गुटों ने नौजवानों को गुमराह करने के अपने अभियान को तेज कर दिया। वानी की मौत को नौजवानों के बीच शहादत के रूप में भुनाया गया। इससे हिजबुल मुजाहिदीन ने कश्मीर में करीब सौ आतंकियों की नई भर्ती कर ली।
सेना के सूत्रों का कहना है कि चूंकि सुरक्षा एजेंसियों का पूरा ध्यान कश्मीर में उत्पन्न आंतरिक हालात को संभालने की तरफ था, इसलिए आतंकी संगठन अपने मंसूबों में कामयाब हो गए और बड़े पैमाने पर आतंकी भर्ती हो गए। इनमें से ज्यादातर दक्षिण कश्मीर के तीन जिलों कुलगाम, पुलवामा तथा शोपियां के निवासी हैं।
सूत्रों ने कहा कि नए भर्ती हुए इन आतंकियों को प्रशिक्षण दिए जाने की खबरें हैं। कुछ नौवाजनों को प्रशिक्षण के लिए पाक अधिकृत कश्मीर भी भेजा गया है। सेना का आकलन है कि इन सौ नए आतंकियों समेत करीब चार सौ आतंकी कश्मीर घाटी में सक्रिय हैं जिनकी तलाश के लिए अब खुफिया तंत्र को मजबूत किया गया है। आतंकियों की तलाश में सफलता मिली है। हाल में श्रीनगर में स्कूल के निकट हुए आतंकी हमले की सेना को पहले भनक लग चुकी थी, इसलिए आतंकी मारे गए।
दक्षिणी कश्मीर में बड़े पैमाने पर सेना पहले तैनात थी लेकिन उसे 2011-12 के दौरान हटाना शुरू किया गया था क्योंकि हालात सुधर रहे थे। हालांकि इसका नतीजा अच्छा नहीं निकला। हिजबुल और लश्कर ने इन जिलों में नौजवानों को भर्ती करना शुरू कर दिया। सेना के रिकॉर्ड के अनुसार 2014 में ही 70 नौजवान इस क्षेत्र से आतंकी बनें। सेना की एक अन्य रिपोर्ट कहती है कि 2016 में कश्मीर में कुल 143 आतंकी चिह्नित किए गए जिनमें से 89 कश्मीर थे और बाकी पाकिस्तानी, लेकिन इन 89 आतंकियों में से 60 दक्षिणी कश्मीर के थे।