पार्टी नेता और मंत्री बसंत सोरेन ने नाराजगी दूर करने की कोशिश की
रांची। झारखंड में चंपाई सोरेन सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार के बाद सियासी बवाल मचा हुआ है। चंपाई सरकार में मंत्री पद नहीं मिलने से कांग्रेस के 17 में से 12 विधायक नाराज हैं। इन विधायकों ने शुक्रवार को शपथ ग्रहण समारोह से पहले और बाद में भी बैठक की। इसके बाद शनिवार को भी नाराज विधायकों की बैठकों का दौर जारी रहा। देर शाम नाराज 12 में से 10 विधायक दिल्ली गये। वहां पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मिलेंगे। उधर, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के छोटे भाई मंत्री बसंत सोरेन को नाराज विधायकों को मनाने में सफलता नहीं मिली। उधर, पार्टी नेतृत्व ने नाराज विधायकों से बात करने के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। कांग्रेस ने मध्य प्रदेश के विपक्ष के नेता उमंग सिंगार को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। वह सभी बागी विधायकों से बात करेंगे और नाराजगी दूर करने का प्रयास करेंगे।
कांग्रेस के नाराज विधायकों की शनिवार को एक स्थानीय होटल में बैठक हुई। यहां मंत्री बसंत सोरेन उनसे मिलने पहुंचे थे। इसके बाद देर शाम कांग्रेस के नाराज 10 विधायक दिल्ली रवाना हो गये। चर्चा है कि कांग्रेस विधायक दिल्ली में पार्टी के बड़े नेताओं से मिल कर अपनी नाराजगी जाहिर करेंगे। अगर इनकी नाराजगी दूर हुई तो वे रांची लौटेंगे। मामले का हल नहीं निकला, तो जयपुर जाकर वहां सभी एक जगह रहेंगे और आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे।
पूर्व मंत्रियों को जगह देने से है नाराजगी:
नाराज विधायकों ने एक स्वर में कैबिनेट में शामिल हुए मंत्रियों को रिपीट नहीं करने की बात कही है। कई विधायक अपने लिए मंत्री पद की भी मांग कर रहे हैं। विधायकों का कहना है कि कांग्रेस के चारों मंत्रियों रामेश्वर उरांव, आलमगीर आलम, बन्ना गुप्ता और बादल ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था। चंपाई सरकार में नये चेहरों को मंत्रिमंडल में मौका मिलना चाहिए, ताकि वे अपनी योग्यता साबित कर सकें। विधायकों ने कहा कि यदि कांग्रेस कोटे के चार मंत्रियों को बदला नहीं गया, तो वे बजट सत्र के दौरान झारखंड से बाहर चले जायेंगे। नाराज विधायकों ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को एक पत्र भी सौंपा है। इन विधायकों का कहना है कि हेमंत सोरेन की सरकार में शामिल इन चारों मंत्रियों की परफॉर्मेंस बेहद खराब रही है। उन्होंने चार साल में कभी पार्टी के दूसरे विधायकों की नहीं सुनी। अब फिर से बनी कैबिनेट में उन्हें जगह दी गयी है, अगर बदलाव नहीं हुआ तो आगामी चुनावों में पार्टी को काफी नुकसान होगा।
प्रदेश नेता नहीं कर सके नाराजगी दूर:
विधायकों की नाराजगी दूर करने की स्थानीय स्तर पर पूरी कोशिश की जा रही है। प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर और प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने भी नाराज विधायकों को समझाने की कोशिश की, लेकिन अब तक कोई हल नहीं निकला है। मंत्री बसंत सोरेन भी शनिवार शाम को नाराज विधायकों से मिलने के लिए पहुंचे। उन्होंने भी नाराजगी दूर करने का प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं हो सके। अब नाराज विधायक खुल कर बयानबाजी कर रहे हैं।
ये विधायक हैं नाराज:
नाराज विधायकों में राजेश कच्छप, जयमंगल सिंह उर्फ अनूप सिंह, इरफान अंसारी, उमाशंकर अकेला, सोना राम सिंकू, भूषण बारा, नमन विक्सल कोंगड़ी, रामचंद्र सिंह, शिल्पी नेहा तिर्की, अंबा प्रसाद, दीपिका सिंह पांडेय और पूर्णिमा नीरज सिंह शामिल हैं।
विधायकों ने क्या कहा:
-कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने कहा कि वे सभी एकता प्रदर्शित करने के लिए जयपुर या बेंगलुरु जा सकते हैं।
-विधायक दीपिका पांडेय सिंह ने कहा कि सभी विधायकों ने अपनी भावना से पार्टी नेतृत्व को अवगत करा दिया है। नाराज विधायकों के दूसरे स्टेट में जाने और बजट सत्र के बहिष्कार का आॅप्शन खुला है।
-विधायक अंबा प्रसाद ने कहा कि चुनाव के दौरान उन्हें जनता के बीच जाना है। ऐसे में अगर काम बेहतर नहीं होगा, तो वह कैसे जनता का सामना करेंगे।
-विधायक अनूप सिंह ने कहा कि हम अपनी बातों से और अपनी चिंता से आलाकमान को अवगत कराना चाहते हैं। पार्टी नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे के फैसले के सम्मान में हम शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे। अगर हमारी मांगें नहीं मानीं गयीं, तो हम 12 विधायक विधानसभा नहीं जायेंगे।
कांग्रेस विधायकों की नाराजगी में झामुमो भी फंसा
रांची (आजाद सिपाही)। कांग्रेस विधायकों की नाराजगी की छाया में झामुमो भी फंस गया है। 12वें मंत्री के लिए झामुमो ने विधायक वैद्यनाथ राम को चुना था। कांग्रेस विधायकों की नारजागी की वजह से उन्हें राजभवन के रास्ते से वापस बुलाया गया। कांग्रेस की ओर से 12वें मंत्री के पद पर भी दावा किया जा रहा है। उधर, बैद्यनाथ राम भी सख्त नाराज हैं। वैद्यनाथ राम ने बताया कि शपथ लेने के लिए वारंट जारी हो गया था। वह राजभवन जा रहे थे। रास्ते में फोन कर उन्हें सीएमओ में बुलाया गया और ड्राप करने की जानकारी दी गयी। यह अपमानजनक है। उन्होंने कह दिया है कि एक-दो दिन में वह कुछ फैसला लेंगे। हालांकि फिलहाल पार्टी छोड़ने की बात नहीं कही है, लेकिन विधानसभा सदस्यता से त्यागपत्र देने का संकेत जरूर दे दिया है। उधर, पूर्व मंत्री जोबा मांझी भी नाराज चल रही हैं।
मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन गये दिल्ली
रांची (आजाद सिपाही)। मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन शनिवार को दिल्ली गये। उनके साथ झामुमो के वरिष्ठ नेता विनोद कुमार पांडेय, सुप्रियो भट्टाचार्य और विधायक सुदिव्य कुमार सोनू भी दिल्ली गये हैं। वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर भी दिल्ली गये हैं। मुख्यमंत्री सरकार गठन के बाद पहली बार दिल्ली गये हैं। वह दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समेत अन्य वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं। इस मुलाकात के दौरान झारखंड कांग्रेस विधायकों की नाराजगी के अलावा लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे के मुद्दे पर भी चर्चा होने की संभावना है।
झारखंड में कैबिनेट विस्तार को लेकर कांग्रेस में बगावत, नाराज 12 में से 10 विधायक गये दिल्ली
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