रांची। प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दावा किया कि झारखंड के महाधिवक्ता राजीव रंजन झारखंड में 1250 करोड़ रुपये के अवैध पत्थर खनन घोटाले सहित बड़े घोटाले की जांच कर रही एजेंसी के अधिकारियों के खिलाफ साजिश रचने में शामिल थे। एजेंसी ने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अंतरिम जमानत याचिका का विरोध करते हुए अपने हलफनामे में यह खुलासा किया। एजेंसी ने आगे दावा किया कि एजेंसी के पास इस संबंध में महाधिवक्ता की संलिप्तता के सबूत हैं। एजेंसी ने कहा कि हेमंत सोरेन ने राज्य मशीनरी का दुरूपयोग किया और अवैध खनन घोटाले में एजेंसी के गवाह विजय हांसदा से इडी अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी। झारखंड पुलिस ने भी इडी अधिकारियों के खिलाफ अदालत के समक्ष विजय हांसदा का बयान दर्ज कराया।
इडी ने हलफनामे में कहा, महाधिवक्ता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी और पूरी प्रक्रिया उनकी देखरेख में हुई और इस आशय के सबूत उपलब्ध हैं। राजीव रंजन के आचरण पर सवाल उठाते हुए इडी ने कहा कि राज्य के सर्वोच्च विधि अधिकारी होने के नाते महाधिवक्ता ने हेमंत सोरेन का बचाव भी किया और उनकी पेशी और रिमांड के दौरान उनके पक्ष में दलीलें दीं। बता दें कि जनवरी में इडी ने हेमंत सोरेन को भूमि घोटाले के मामले में गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी से कुछ घंटे पहले हेमंत सोरेन ने झारखंड के सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था।
गौरतलब है कि इडी ने विजय हांसदा द्वारा दर्ज अवैध पत्थर खनन के मामलों में से एक को अपने हाथ में लिया था। यह उन अवैध खनन मामलों में से एक है जिसकी इडी जांच कर रही है। बाद में शिकायतकर्ता विजय हंसदा नाटकीय अंदाज में अपने बयान से पलट गये और उन्होंने इडी के सहायक निदेशक देवव्रत झा और सहायक अधिकारी अनुपम कुमार के खिलाफ आइपीसी और एससी, एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत एफआइआर दर्ज करायी।
हाइकोर्ट ने राज्य सरकार को कोई भी दंडात्मक कार्रवाई न करने का निर्देश दिया।
पत्थर खनन झारखंड के बड़े घोटालों में से एक है, जिसने राज्य में राजनीतिक उथल-पुथल मचा दी थी।
हेमंत सोरेन के प्रमुख सहयोगी पंकज मिश्रा को मुख्य साजिशकर्ता के तौर पर गिरफ्तार किया गया।
एजेंसी ने हेमंत सोरेन को घोटाले का मुख्य लाभार्थी भी बताया।
यह पहली बार नहीं है जब राजीव रंजन विवादों में आये हैं।
दिसंबर 2022 में इडी ने झारखंड हाइकोर्ट को बताया कि राजीव रंजन और हेमंत सोरेन के मीडिया सलाहकार अभिषेक प्रसाद उर्फ पिंटू ने अवैध पत्थर खनन की जांच और हिरासत के दौरान पंकज मिश्रा से पूछे गये सवालों के बारे में जानने के लिए इडी के खिलाफ जासूसी करने की योजना बनायी थी। उन्होंने पंकज मिश्रा से पुलिस हिरासत में पूछताछ के दौरान पूछे गये सवालों के बारे में जानने के लिए गुप्त रूप से एक वकील को इडी कार्यालय भेजने की योजना बनायी थी। इसके अनुसार प्रदीप नाम के एक वकील को पंकज मिश्रा से मिलवाया गया, लेकिन इडी ने इस योजना को विफल कर दिया।