विशेष
झारखंड में कई मुद्दों को हवा दे गया चुनाव प्रचार अभियान
इंडी अलायंस की तरफ से सीएम चंपाई और कल्पना सोरेन के हाथ रही कमान
भ्रष्टाचार, स्थानीयता और आदिवासियत के साथ विकास पर रहा मुख्य फोकस
नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
18वीं लोकसभा के लिए हो रहे चुनाव का प्रचार अभियान गुरुवार को खत्म हो गया। शनिवार 1 जून को आठ राज्यों की 57 सीटों पर मतदान होगा। इनमें झारखंड की तीन सीटें भी शामिल हैं, जो संताल परगना में हैं। करीब ढाई महीने तक चले इस धुआंधार प्रचार अभियान के दौरान सभी दलों और प्रत्याशियों ने प्रचंड गर्मी और रिकॉर्डतोड़ तापमान की परवाह नहीं करते हुए जम कर पसीना बहाया। झारखंड की 14 संसदीय सीटों पर भी चुनाव प्रचार अभियान के दौरान जम कर शब्द वाण चले और कई मुद्दे उठाये गये। झारखंड में चुनाव प्रचार अभियान की कमान भाजपा की तरफ से मुख्य रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा भाजपा के अन्य केंद्रीय और प्रादेशिक नेताओं के हाथों में रही, जबकि इंडी अलायंस के प्रचार अभियान की कमान मुख्यमंत्री चंपाई सोेरेन और कल्पना सोरेन ने ही संभाले रखी। इंडी अलायंस के केंद्रीय नेता, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और तेजस्वी यादव ने झारखंड का एक-एक बार दौरा किया। जहां तक मुद्दों की बात है, तो झारखंड में चुनाव प्रचार के दौरान मुख्य मुद्दा भ्रष्टाचार ही रहा, लेकिन स्थानीयता और आदिवासियत के साथ विकास की बातें भी खूब हुईं। झारखंड के साढ़े तीन करोड़ लोगों और 2.53 करोड़ से अधिक मतदाताओं पर इस चुनाव प्रचार अभियान के दौरान उठाये गये मुद्दों का कितना असर पड़ा, इसका पता तो 4 जून को होनेवाली मतगणना के बाद ही पता चलेगा, लेकिन एक बात साफ है कि इस बार भी प्रधानमंत्री मोदी ने चुनावी रैलियों और रोड शो के मामले में इंडी अलायंस के नेताओं को पीछे छोड़ दिया है। कैसा रहा झारखंड में चुनाव प्रचार अभियान और इस दौरान क्या मुद्दे उठाये गये, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
30 मई, 2024, दिन गुरुवार को घड़ी की सुइयों ने जैसे ही पांच बजने का इशारा किया, वैसे ही 18वीं लोकसभा के आखिरी चरण के लिए चुनाव प्रचार अभियान खत्म हो गया। ढाई महीने से अधिक समय तक चली इस चुनाव प्रक्रिया का समापन आठ राज्यों की 57 सीटों पर मतदान के बाद 4 जून को होनेवाली मतगणना के साथ होगा। इनमें झारखंड की तीन सीटें भी शामिल हैं, जो संताल परगना में हैं। ये सीटें हैं, दुमका, राजमहल और गोड्डा। दुमका और राजमहल सीट जहां
अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित है, वहीं गोड्डा सीट अनारक्षित है। इस बार लोकसभा चुनाव में सात चरणों में मतदान कराया गया। देश के अधिकांश हिस्सों में पड़ रही प्रचंड गर्मी के बीच इतना लंबा प्रचार अभियान शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न होना कम बड़ी बात नहीं है। पूरे देश के साथ झारखंड में भी चुनाव प्रचार खत्म हो गया है। चुनाव आयोग ने 16 मार्च को चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की थी और इसके साथ ही पूरे देश में आदर्श आचार संहिता लागू हो गयी थी। इनमें झारखंड भी शामिल है, जहां कुल 14 लोकसभा सीटें हैं।
कुल छह बार झारखंड आये पीएम मोदी
वैसे तो चुनाव कार्यक्रम की घोषणा होने से पहले ही झारखंड में चुनाव प्रचार अभियान शुरू हो गया था, लेकिन इसमें गति 20 अप्रैल को रांची में इंडी अलायंस द्वारा आयोजित उलगुलान रैली से आयी। इसके बाद 3 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली चुनावी यात्रा पर झारखंड आये। उन्होंने चाइबासा में रैली की और रांची में रोड शो किया। अगले दिन उन्होंने गुमला और पलामू में चुनावी रैली की। इसके बाद वह 12 मई को दोबारा झारखंड आये और चतरा में चुनावी रैली की। इसके दो दिन बाद 14 मई को वह गिरिडीह के बिरनी पहुंचे और रैली को संबोधित किया। पीएम मोदी का अंतिम चुनावी दौरा 28 मई को दुमका में हुआ, जहां से उन्होंने संताल परगना की तीन सीटों को साधा। पीएम मोदी ने झारखंड की 14 सीटों के लिए कुल छह चुनावी रैलियां की और एक रोड शो किया। उनके अलावा भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और झारखंड भाजपा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी समेत अन्य नेताओं ने जम कर प्रचार किया। एनडीए की सहयोगी आजसू पार्टी सुप्रीमो सुदेश महतो ने पूरे राज्य में करीब दो दर्जन सभाओं को संबोधित किया।
केवल एक बार झारखंड आये राहुल गांधी
दूसरी तरफ इंडी अलायंस के केंद्रीय नेता राहुल गांधी केवल एक बार झारखंड आये और गुमला और सिंहभूम में चुनावी सभाओं को संबोधित किया। राजद नेता तेजस्वी यादव और आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल भी एक-एक बार ही झारखंड आये। प्रियंका गांधी को भी एक ही बार झारखंड आने का समय मिला। कांग्रेस और राजद के दूसरे नेता भी झारखंड कम ही आये। राहुल गांधी ने तो संताल परगना आने की जहमत भी नहीं उठायी और अपने निर्धारित कार्यक्रम को अंतिम समय में रद्द कर दिया।
सीएम चंपाई और कल्पना ने संभाली कमान
झारखंड में इंडी अलायंस के प्रचार की कमान मुख्य रूप से मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन और कल्पना सोरेन ने संभाली। कल्पना सोरेन ने चुनाव की घोषणा होने के बाद से कुल 147 छोटी-बड़ी सभाएं कीं, वहीं सीएम चंपाई सोरेन भी करीब ढाई दर्जन चुनावी रैलियों में शामिल हुए। कांग्रेस, झामुमो, राजद और इंडी अलायंस के दूसरे घटक दलों की दूसरी पंक्ति के नेताओं ने जरूर पसीना बहाया।
ये मुद्दे उठाये गये
झारखंड में चुनाव प्रचार अभियान के दौरान भाजपा ने जहां पूरा फोकस भ्रष्टाचार पर रखा, वहीं इंडी अलायंस की तरफ से पीएम मोदी के विरोध का झंडा ही बुलंद किया जाता रहा। इसके अलावा झारखंड का विकास, स्थानीयता, आदिवासियत और आरक्षण का मुद्दा भी जोर-शोर से उठा। इस प्रचार अभियान की खास बात यह रही कि इस दौरान पीएम मोदी ने जहां देश और समाज हित को सबसे ऊपर रखा, वहीं इंडी अलायंस की तरफ से पीएम मोदी को ही निशाने पर रखा गया।
विपक्ष को एक तरफा टक्कर देते नजर आये प्रधानमंत्री
इस चुनाव में पार्टी के पक्ष में पीएम मोदी की मेहनत साफ नजर आयी। विपक्ष के फायर ब्रांड नेताओं राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल जैसे नेता एक तरफ और पूरे चुनाव प्रचार अभियान के दौरान नरेंद्र मोदी एक तरफ सबको अपनी ऊर्जा से टक्कर देते नजर आये।
पूरे आत्मविश्वास में नजर आये पीएम मोदी
चुनाव प्रचार अभियान के दौरान एक बात साफ तौर पर नजर आयी और वह यह थी कि इस बार पीएम मोदी सत्ता में वापसी के प्रति लगभग आश्वस्त दिखे। हर चुनावी रैली में उनका आत्मविश्वास बढ़ता नजर आया और यही कारण रहा कि इस बार अपने नये कार्यकाल के रोड मैप की घोषणा के लिए उन्होंने 15 अगस्त तक का इंतजार नहीं किया। पीएम मोदी ने झारखंड की रैलियों में अपने नये कार्यकाल के दौरान तय की जानेवाली नीतियों और उनके परिणामों का संकेत तो दिया ही, साथ ही पूरे देश के साथ झारखंड के विकास का ब्लूप्रिंट भी बताया। चुनाव प्रचार अभियान की शुरूआत में भाजपा की पराजय का नैरेटिव सेट करने की कोशिश जरूर की गयी, लेकिन मतदान के चरण संपन्न होने के साथ यह नैरेटिव भी बुलबुले की तरह बिखर गया।
4 जून को होगी मतगणना
इस धुआंधार चुनाव प्रचार अभियान के दौरान की गयी मेहनत और उठाये गये मुद्दों से मतदाता कितने प्रभावित हुए हैं, इसका पता 4 जून को लगेगा, जब मतगणना होगी। कुल मिला कर कहा जा सकता है कि इस बार का चुनाव प्रचार अभियान बेहद आक्रामक और रोमांचक रहा।