उच्च सुरक्षा वाले श्रीनगर हवाई अड्डे के समीप बीएसएफ के शिविर में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने मंगलवार को हमला किया, जिसमें हमारे सुरक्षा बलों ने तत्काल कार्रवाई कर हमलावर तीनों आतंकवादियों को मार गिराया, लेकिन इस मुठभेड़ के दौरान हमारा एक अधिकारी स्तर का जवान शहीद हो गया।
यह तो समझ में आता है कि पिछले कुछ दिनों से जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पास आतंकवादियों और घुसपैठियों के खिलाफ चल रही सेना और अर्ध सैनिक बलों की सख्त कार्रवाई से सीमा पार के आतंकवादी संगठन बौखलाए हुए हैं और यह हमला उसी बौखलाहट का नतीजा है, लेकिन सवाल यह है कि इंटरनेशनल एयरपोर्ट के नजदीक स्थित सुरक्षा बलों के शिविर और इतने संवेदनशील इलाके तक आतंकवादियों की घुसपैठ कैसे सफल हो गई? शिविर चार स्तरों की सुरक्षा घेरे से घिरा हुआ है और पास में ही बीएसएफ का प्रशासनिक भवन भी है।
घटनाक्रम से जुड़े अधिकारियों ने बताया है कि हमले की पूर्व में खुफिया सूचना थी कि जैश-ए-मोहम्मद का आतंकी शहर में फिदाई दस्ता लेकर आया है और आतंकवादी की पहचान नूरा त्राली के रूप में हुई है। पूर्व सूचना थी तो हमारे जवान चौक्कने थे, लेकिन आतंकवादियों की वहां पहुंच बड़ा सवाल है और इससे जाहिर होता है कि सुरक्षा व्यवस्था में कहीं न कहीं चूक अवश्य रही है। और चूक को खुद गृह राज्यमंत्री हंसराज अहीर ने स्वीकार की है और गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने दिल्ली में एक उच्च स्तरीय बैठक की, जिससे हमले की गंभीरता व चूक का पता चलता है।
इस ताजा हमले से जाहिर होता है कि आतंकी संगठनों पर अभी पूरी तरह काबू पाना संभव नहीं हो सका है। शिविर पर हमले के लिए आतंकियों ने उरी की तरह ही तड़के सुबह का समय चुना। शायद उन्हें अंदाज रहा होगा कि इतनी सुबह अधिकांश जवान सो रहे होंगे और हमला कामयाब हो सकता है। उरी में ऐसे हमले में सत्रह जवान शहीद हो गए थे और तीस घायल हुए थे। और हमले के समय ज्यादातर जवान नींद में ही थे। लेकिन बीएसएफ के जवान सतर्क थे और आतंकियों को कोई विशेष कामयाबी हाथ नहीं लगी।
यह सही है कि उरी के हमले के बाद हमारे जवानों व खुफिया एजेंसियों ने सबक लिया है। अब अलग-अलग खुफिया एजेंसियों के बीच तालमेल बेहतर हुआ है और जवानों को समय पर पूर्व जानकारियां भी मिल रही है, लेकिन सतर्कता बढ़ने के बावजूद शिविर पर हमला करने का दुस्साहस आतंकियों ने दिखाया है। इसका कारण एक यह भी हो सकता है कि उन्होंने यह जताने की कोशिश की हो कि उनके हौसले अभी पस्त नहीं हुए हैं और वह हमले करने में अभी भी सक्षम है। उनका ऐसा दुस्साहस गौरतलब है और चिंतनीय भी।
इससे यह भी जाहिर होता है कि चौकसी और सुरक्षा के साथ-साथ खुफिया तंत्र के मोर्चे पर अभी और ज्यादा सजगता की जरूरत है। अब खबरें ऐसी भी हैं कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई आतंकी संगठनों के साथ मिलकर भारत पर बड़े हमले की तैयारी कर रही है। यदि यह सही है तो फिर लगता है कि अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर तमाम तरह की फजीहत और चारों ओर की चेतावनियों के बावजूद पाकिस्तान ने कोई सबक नहीं सीखा है। ऐसे में भारत को और सतर्क रहना होगा और सुरक्षा में चूक के सवाल पर भी गंभीर होकर नई रणनीति बनानी होगी।