रांची। मंगलवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही नीलकंठ सिंह मुंडा ने सवाल उठाया कि बच्चों को अब तक किताबें नहीं मिली हैं। सेशन भी समाप्त हो रहा है। राज्य परियोजना निदेशक आदित्य रंजन ने 2 जुलाई को चिट्ठी जारी की थी, जिसमें कहा था कि किताब बीआरसी ब्लॉक में रख दी गयी है। अब टीचर को पुस्तक ले जाने को कहा जा रहा है। अब तक 42 लाख किताबें उपलब्ध नहीं करायी गयी हैं। इसमें कहीं न कहीं वित्तीय अनियमितता या घोटाला हुआ है। इस पर शिक्षा मंत्री बैजनाथ राम ने कहा कि पुस्तक वितरण का काम आचार संहिता के कारण बाधित हुआ, एक सप्ताह में शत-प्रतिशत पुस्तक वितरण का काम पूरा हो जायेगा।
सदन को गुमराह कर रहे हैं शिक्षा मंत्री
सीपी सिंह ने पुस्तक वितरण को लेकर कहा कि शिक्षा मंत्री सदन को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग का आदेश बतायें। फिर कहा कि जो कार्य योजना चालू रहती है, उस पर चुनाव आयोग कोई रोक नहीं लगाता। नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी ने कहा कि अब किताबों को जिला से स्कूल तक ले जाने के लिए कोई दर का निर्धारण ही नहीं हुआ है। सेशन भी खत्म हो रहा है। सरकार का न शिक्षक पर और न ही शिक्षा पर ध्यान है।
सरकारी नौकरी के विज्ञापन में एससी कैटेगरी की सीट नहीं होने का मुद्दा
सदन में झामुमो विधायक मथुरा महतो ने कहा कि 24 साल बाद वन क्षेत्र पदाधिकारी के लिए वेकेंसी आयी है। इसमें अनुसूचित जाति के लिए एक भी सीट नहीं है। दलित छात्र इससे वंचित हो जायेंगे। वहीं विधायक केदार हाजरा ने भी सरकारी नौकरियों के विज्ञापन में एससी कैटेगरी के लिए सीट नहीं होने का मुद्दा उठाया। सूचना के माध्यम से उन्होंने कहा कि सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए। नीलकंठ सिंह मुंडा ने भी केदार हाजरा के द्वारा उठाये गये मुद्दे पर सहमति जतायी। इस पर स्पीकर रबिंद्रनाथ महतो ने संसदीय कार्य मंत्री रामेश्वर उरांव से कहा कि इस मुद्दे पर सरकार ध्यान दे। वहीं शून्य काल के दौरान विधायक विनोद कुमार सिंह ने पोषण सखियों को समायोजित करने की मांग की। रामगढ़ विधायक सुनीता चौधरी ने भैरवा नदी के दोनों ओर नगर बनाने की मांग की। उमाशंकर अकेला ने रसोइया का मानदेय बढ़ाने की मांग की। लंबोदर महतो ने सहिया, पंचायत स्वयं सेवक संघ, मनरेगा कर्मियों के स्थायीकरण की मांग की।