-कोर्ट में दलित विधायक को माफिया डॉन कहने के मामले पर सुनवाई हुई
आजाद सिपाही संवाददाता
नयी दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर किसी अनुसूचित जाति-जनजाति के व्यक्ति को उसकी जाति का नाम लिए बगैर अपमानित किया गया है, तो यह मामला एसटी-एससी (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत अपराध नहीं होगा। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने एक ऑनलाइन मलयालम न्यूज चैनल के एडिटर शाजन स्कारिया को अग्रिम जमानत देते हुए यह फैसला सुनाया। स्कारिया पर 1989 एक्ट की धारा 3(1)(फ) और 3(1)(व) के तहत केस दर्ज हुआ था।
उन पर आरोप था कि उन्होंने एससी समुदाय से आने वाले कुन्नाथुनाड के सीपीएम विधायक पीवी श्रीनिजन को माफिया डॉन कहा था। इस मामले में ट्रायल कोर्ट और केरल हाइकोर्ट ने उन्हें गिरफ्तारी से पहले जमानत देने से इनकार कर दिया था। आरोपी स्कारिया की तरफ से एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा और गौरव अग्रवाल ने दलीलें रखीं। जिसे मानते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एससी-एसटी समुदाय के किसी सदस्य का जानबूझकर किया गया हर अपमान और उसे दी गयी धमकी जाति आधारित अपमान नहीं माना जायेगा। हमें ऐसा कुछ नहीं मिला जो साबित करे कि स्कारिया ने यूट्यूब वीडियो में एससी-एसटी समुदाय के खिलाफ दुश्मनी या नफरत को बढ़ावा देने की कोशिश की है।