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    Home»Top Story»आदिवासियों और मूलवासियों की एकता की पहचान है करमा का त्योहार: कोचे मुंडा
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    आदिवासियों और मूलवासियों की एकता की पहचान है करमा का त्योहार: कोचे मुंडा

    shivam kumarBy shivam kumarSeptember 14, 2024No Comments1 Min Read
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    -तोरपा के विधायक ने विभिन्न गांवों के लोगों के बीच किया मांदर का वितरण
    खूंटी। करमा का त्योहार झारखंड के आदिवासियों और मूलवासियों की एकता की पहचान और झारखंडी संस्कृति का प्रतीक है। सदियों से यहां के आदिवासी और मूलवासी मिलजुल करमा का त्यौहार मनाते आ रहे है। ये बातें तोरपा के विधायक कोचे मुंडा ने कही। विधायक शनिवार को ममरला स्थित आवास में विभिन्न गांवों के लोगों के बीच मांदर का वितरण करने के बाद उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे।

    विधायक ने कहा कि करमा न सिर्फ भाई-बहन के अटूट प्रेम का पर्व है, बल्कि यह मानव जीवन का प्रकृति के साथ जुड़ाव को भी दिखाता है। विधायक ने कहा कि हमें किसी भी हाल में अपनी संस्कृति को नहीं छोड़ना चाहिए। सरहुल, करमा, जितिया आदि त्योहार यहां के आदिवासियों की सांस्कृतिक पहचान है। हमें इस संस्कृति और परंपरा को अक्षुण्ण बनाकर रखने की जरूरत है। मौकें पर करमा महोत्सव का भी आयोंजन किया गया, जिसमें ग्रामीणों के साथ विधाायक भी मांदर की थाप पर जमकर झूमे। इस अवसर पर सावना उरांव, बोयला उरांव, सुकरा मुंडा, हिनुवा पाहन, गादू उरांव, मारकुस लकड़ा, बुधु पाहन, घसिया पाहन, बादू पाहन सहित काफी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे।

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    shivam kumar

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