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    Home»Top Story»जनमत संग्रह का नहीं, ब्रेक्जिट का है अफसोस: कैमरन
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    जनमत संग्रह का नहीं, ब्रेक्जिट का है अफसोस: कैमरन

    आजाद सिपाहीBy आजाद सिपाहीDecember 3, 2016No Comments2 Mins Read
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    नई दिल्ली:  ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने यूरोपियन संघ से बाहर निकलने के लिए जनमत संग्रह कराने के अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि कुछ मुद्दे संसद से ऊपर चले जाते हैं और इन मुद्दों पर जनता की राय नहीं लेना ‘‘बड़ी समस्या’’ है। पूर्व प्रधानमंत्री ने अपने कार्यकाल में तीन जनमत संग्रह कराये। उन्होंने कहा कि हालांकि उन्हें ब्रेक्जिट का दुख है लेकिन फिर भी वह ऐसी प्रक्रिया का समर्थन करते हैं, जिसमें ऐसे बड़े फैसले पर पहुंचने से पहले जनता की भागीदारी पर विचार करना जरूरी होता है।

    जनमत संग्रह में आए ब्रेक्जिट के स्तब्ध कर देने वाले परिणाम के बाद कैमरन ने प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। कैमरन ने स्कॉटलैंड की स्वतंत्रता पर भी जनमत संग्रह कराया था। इस जनमत संग्रह का भी बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि अगर वह इस कदम को नहीं मानते तो यह स्कॉटलैंड की स्वतंत्रता के मुद्दे में मददगार हो सकता था। कैमरन ने एचटी लीडरशिप समिट में कहा, ‘‘मैंने जो भी जनमत संग्रह कराए, वह पूरी तरह से सही थे। चुनावी प्रक्रिया में हम प्रतिनिधि चुनने के लिए वोट करते हैं, जो सबसे ज्यादा जरूरी है और मैं मानता हूं कि संसद लोगों की मर्जी के बगैर जो नियम लाती है, वह बड़ी समस्या है। मैं सोचता हूं कि आपको संसद से आगे निकलने की जरूरत है।’’ देश के 52 फीसदी लोगों ने जून में 28 सदस्य वाले यूरोपिय संघ से बाहर निकलने के सर्मथन में वोट किया था।

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