Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Sunday, June 8
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»विशेष»झारखंड की अबुआ सरकार का समय शुरू होता है अब
    विशेष

    झारखंड की अबुआ सरकार का समय शुरू होता है अब

    shivam kumarBy shivam kumarDecember 7, 2024No Comments7 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    विशेष
    हेमंत सोरेन नयी पारी के लिए तैयार और सक्षम भी
    हेमंत का लक्ष्य अबुआ राज का संपूर्ण विकास

    नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
    विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करने और लगातार दूसरी बार झारखंड के मुख्यमंत्री का पद संभाल कर इतिहास रचनेवाले हेमंत सोरेन ने अपने मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा कर नयी सरकार के स्वरूप को पूर्णता प्रदान कर दी है। अब झारखंड की यह अबुआ सरकार अगले पांच साल तक झारखंड के विकास की पटकथा भी लिखेगी और उस रास्ते पर राज्य की साढ़े तीन करोड़ आबादी को साथ लेकर चलेगी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जिस राजनीतिक कौशल का परिचय देते हुए अपनी कैबिनेट बनायी और फिर मंत्रियों के बीच जिस विजन को लेकर विभागों का बंटवारा किया है, उससे साफ होता है कि इस बार हेमंत सोरेन के सामने केवल और केवल ह्यझारखंडह्ण है। उनके मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद से अब तक झारखंड में जो कुछ हुआ है, उससे तो यही लगता है कि इस बार हेमंत सोरेन सचमुच कुछ ऐसा करनेवाले हैं, जिसका अंदाजा शायद किसी को नहीं है। पिछले चार दिनों में उन्होंने अपनी प्रशासनिक क्षमता का प्रदर्शन करते हुए जिस तरह से अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श किया है, उससे तो यही लगता है कि हेमंत सोरेन की यह सरकार वाकई ह्यअबुआ सरकारह्ण, यानी अपनी सरकार है। लेकिन इसके बावजूद हेमंत सोरेन और उनकी कैबिनेट को एक बात का ध्यान रखना होगा कि जनता की आकांक्षाएं इस बार कुछ अधिक हैं। इन आकांक्षाओं को पूरा करना ही इस नयी सरकार के सामने सबसे बड़ा चैलेंज है। क्या हैं हेमंत सोरेन सरकार के सामने चुनौतियां और कैसे इनसे निबटेगी हेमंत सोरेन की यह सरकार, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

    विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल कर झारखंड के 14वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने वाले हेमंत सोरेन ने अपनी नयी सरकार के गठन का काम पूरा कर लिया है। विधानसभा चुनाव के दौरान और परिणाम घोषित होने के बाद हेमंत सोरेन उत्साह और आत्मविश्वास से लबरेज नजर आ रहे हैं। हेमंत सोरेन ने अपनी इस नयी पारी को ह्यअबुआ सरकारह्ण यानी ह्यअपनी सरकारह्ण बताया है। उन्होंने कहा है कि सरकार तेज गति से काम करेगी। झारखंड के लोगों को यह उम्मीद भी है, क्योंकि पिछले पांच साल के दौरान हेमंत सोरेन की कार्यशैली के केंद्र में केवल झारखंड था और इस बार भी कुछ ऐसा ही दिख रहा है।

    29 दिसंबर, 2019 और 28 नवंबर, 2024 के बीच करीब चार साल 11 महीने का अंतराल है और इस 1796 दिन की अवधि के बीच स्वर्णरेखा और दामोदर में बहुत पानी बह चुका है। झारखंड की आबोहवा ने हेमंत सोरेन को कुछ अधिक परिपक्व और कुशल बना दिया है। इन पांच सालों में हेमंत सोरेन ने जो एक चीज हासिल की, वह है झारखंड के प्रति अपने नजरिये में एक बड़ा बदलाव। उन्हें इस बात का इल्म है कि विधानसभा चुनाव में जनता में उन्हें जो समर्थन दिया है, उसके बदले उन्हें क्या करना है और कैसे करना है। लेकिन हेमंत सोरेन के सामने सबसे बड़ी चुनौती ह्यअबुआ सरकारह्ण की छवि को स्थापित करने की है।

    सरकार का इकबाल कायम करने की चुनौती
    हेमंत सोरेन की इस सरकार के सामने पहली चुनौती शासन का इकबाल कायम करने की है। झारखंड के बारे में आम धारणा है कि अलग राज्य गठन के 24 साल होने के बावजूद राज्य का संतुलित, सम्यक विकास और भविष्य का ताना-बाना कहीं पीछे छूट गया। 2019 में हेमंत सोरेन के सत्ता संभालने के बाद से शासन के इकबाल और पारदर्शिता को लेकर सवाल उठते रहे थे। इनमें कानून-व्यवस्था से लेकर अवैध खनन और भ्रष्टाचार रोकने के साथ सरकारी कर्मियों को जवाबदेह बनाने का मुद्दा प्रमुख था। हेमंत सोरेन ने इनमें से कुछ मुद्दों पर शानदार काम किया, लेकिन इस बार उनके सामने चुनौती बड़ी है, क्योंकि हेमंत सोरेन के इरादों और वादों पर सबकी नजरें हैं। हेमंत सोरेन एक बेहतर शासन स्थापित करने की कोशिशों में चाहेंगे कि सिस्टम को चुस्त रखें, जिससे जनता का भरोसा जीता जा सके। चौथी बार मुख्यमंत्री बने हेमंत सोरेन शासन-प्रशासन की हर कमजोर कड़ी को करीब से जानने-समझने लगे हैं। राज्य की बड़ी आबादी की जरूरतों और जनाकांक्षाओं से भी वह वाकिफ हैं। पिछले कार्यकाल में कई मोर्चे पर उन्होंने राज्य हित में अहम फैसले लिये, कई बड़ी योजनाओं को धरातल पर उतारा, कई योजनाएं भी शुरू की। नौकरशाही के कथित कॉकस को सत्ता पर हावी होने से रोकने और तेज- तर्रार अफसरों को प्रमुख जिम्मेदारियों के साथ उन्हें अगली कतार में लाने के लिए हेमंत सोरेन कौन से प्रभावी कदम उठाते हैं, इस ओर सबकी निगाहें टिकी हैं। इसके साथ ही अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञों के साथ रायशुमारी के बाद विजन और समयबद्ध काम की चुनौती भी सरकार के सामने है।

    वित्तीय प्रबंधन की चुनौती
    हेमंत सरकार के लिए वित्तीय प्रबंधन के मोर्चे पर राज्य को मजबूत बनाने की अहम चुनौती है। सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना के तहत 50 लाख महिलाओं को उनके खाते में हर महीने एक हजार रुपये की राशि भेजी जा रही है। चुनावी वादे के अनुरूप इसी महीने से महिलाओं के खाते में ढाई हजार रुपये भेजे जाने की तैयारी है। सरकार ने पहले ही बिजली उपभोक्ताओं का बकाया बिल माफ कर दिया है। दो सौ यूनिट बिजली भी मुफ्त कर दी गयी है। इधर इंडिया ब्लॉक ने लोगों से 15 लाख तक पारिवारिक स्वास्थ्य बीमा का लाभ देने का वादा किया है। जाहिर तौर पर इन सबका खजाने पर बड़ा बोझ पड़ेगा। इस बीच झारखंड में बिजली दर बढ़ाने का मसौदा तैयार किया गया है। सरकार को जनता पर बोझ दिये बिना राजस्व संग्रह को बढ़ाने के लिए गंभीरता से प्रयास करना होगा। हेमंत सोरेन की इस ओर सीधी नजर है। उन्होंने राजस्व संग्रहण बढ़ाने के लिए सभी विभागों को एक्शन प्लान बनाने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही स्थापना व्यय को नियंत्रित करने को कहा है। उन्होंने अधिकारियों से यह भी कहा है कि विभिन्न कंपनियों और उद्योग समूहों से बातचीत कर राजस्व राजस्व बढ़ोत्तरी की संभावनाएं तलाशी जायें।

    किसान कल्याण, खाद्य सुरक्षा और शिक्षा की गारंटी
    इंडिया ब्लॉक की गारंटी में प्रति व्यक्ति सात किलो राशन देने और हर गरीब परिवार को साढ़े चार सौ रुपये में गैस सिलेंडर देने का वादा किया गया है। इनके अलावा धान की एमएसपी को 2400 रुपये से बढ़ाकर 3200 रुपये करने का वादा है। राज्य की 75 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। कृषि उत्पादन को बढ़ाने और बाजार मुहैया करने के लिए सरकान को नवाचार प्रयोग करने होंगे। नीति आयोग ने बहुआयामी गरीबी सूचकांक द्वारा झारखंड को भारत के दूसरे सबसे गरीब राज्य के रूप में वगीर्कृत किया है। अभी भी इसकी अधिकांश ग्रामीण आबादी स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच के बिना रह रही है। नीति आयोग के अनुसार, बहुआयामी ग्रामीण गरीबी दर 2015-16 में 50.92 प्रतिशत से घटकर 2019-21 में 34.93 प्रतिशत हो गयी है, फिर भी कई परिवार अभी भी आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर हैं और सरकारी योजनाओं और लाभों तक उनकी पहुंच नहीं है। लिहाजा इन सेक्टर में आमूलचूल बदलाव और प्रतिबद्धता के साथ काम करना झारखंड की नयी सरकार की चुनौती होगी।

    नौकरी, रोजगार और पारदर्शी परीक्षाएं
    इंडिया ब्ल़ॉक ने चुनाव से पहले ह्यएक वोट सात गांरटीह्ण के नाम से जारी अपने घोषणा पत्र में झारखंड में 10 लाख युवाओं को नौकरी, रोजगार देने का वादा किया है। 2019 में भी हेमंत सोरेन ने नौकरी, रोजगार के सवाल पर युवाओं से कई अहम वादे किये थे, लेकिन नियुक्तियों, रोजगार, वेकैंसी और पारदर्शी प्रतियोगिता परीक्षाओं को लेकर युवाओं के बीच हताशा और निराशा के स्वर सुनाई पड़ते रहे हैं। राज्य में सरकारी विभागों में करीब तीन लाख पद खाली हैं। इन पदों को भरे जाने की बड़ी चुनौती सरकार के सामने है। इनके अलावा झारखंड लोकसेवा आयोग और झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग को प्रभावी बनाने के लिए भी सरकार को सख्त कदम उठाने होंगे।
    इन सबके बीच हेमंत सोरेन की नयी सरकार के फैसलों और उसकी कार्यशैली पर जनता की पैनी नजर है। इसलिए ही कहा जा रहा है कि हेमंत सोरेन की ह्यअबुआ सरकारह्ण का समय शुरू होता है अब।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleमनी लॉन्ड्रिंग केस में पूर्व मंत्री आलमगीर आलम समेत 12 आरोपियों के खिलाफ आरोप गठित
    Next Article पश्चिम बंगाल में लगातार बदल रहा है मौसम, तापमान में गिरावट जारी
    shivam kumar

      Related Posts

      ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद अब ऑपरेशन घुसपैठिया भगाओ

      June 4, 2025

      झारखंड की स्कूली शिक्षा व्यवस्था पर रिजल्ट ने उठाये सवाल

      June 3, 2025

      अमित शाह की नीति ने तोड़ दी है नक्सलवाद की कमर

      June 1, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • झारखंड में आदिवासी लड़कियों के साथ छेड़छाड़, बाबूलाल ने उठाए सवाल
      • पूर्व मुख्यमंत्री ने दुमका में राज्य सरकार पर साधा निशाना, झारखंड को नागालैंड-मिजोरम बनने में देर नहीं : रघुवर दास
      • गुरुजी से गुरूर, हेमंत से हिम्मत, बसंत से बहार- झामुमो के पोस्टर में दिखी नयी ऊर्जा
      • अब गरीब कैदियों को केंद्रीय कोष से जमानत या रिहाई पाने में मिलेगी मदद
      • विकसित खेती और समृद्ध किसान ही हमारा संकल्प : शिवराज सिंह
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version