विपक्ष के किसी भी बाउंसर को डक नहीं किया, हर गेंद को बाउंड्री पार पहुंचाया
-गठबंधन के कप्तान के रूप में किया शानदार प्रदर्शन, विपक्ष को कर दिया क्लीन बोल्ड
-कल्पना सोरेन के रूप में मजबूत जोड़ीदार के साथ दे दिया हर रणनीति का मुहतोड़ जवाब
नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
झारखंड की राजनीति के लिए साल 2024 बेहद उथल-पुथल वाला रहा। जनवरी से लेकर दिसंबर तक कोई भी महीना ऐसा नहीं रहा, जब झारखंड की सियासत में नया रंग नहीं आया। लेकिन इन तमाम सियासी घटनाओं और उथल-पुथल के केंद्र में केवल एक ही व्यक्ति रहा और उसका नाम है हेमंत सोरेन। इस साल हेमंत सोरेन ने झारखंड की सियासी पिच पर ऐसी धुआंधार बैटिंग की कि विपक्षी टीम पूरी ताकत लगाने के बावजूद उनसे पार नहीं पा सकी। हेमंत सोरेन की इस बैटिंग की सबसे खास बात यह रही कि उन्होंने किसी भी बाउंसर को डक नहीं किया, बल्कि हुक कर बाउंड्री के पार पहुंचाया। इतना ही नहीं, हेमंत सोरेन ने अकेले दम पर अपनी टीम को न केवल शानदार जीत दिलायी, बल्कि विपक्षी टीम को मुकाबले के हर क्षेत्र में जबरदस्त ढंग से पराजित किया। हेमंत सोरेन को कल्पना सोरेन के रूप में ऐसा जोड़ीदार मिला, जिसने न केवल सियासत के पथरीले रास्ते पर बेधड़क अपनी पारी जारी रखी, बल्कि हेमंत के रिटायर्ड हर्ट होने के दौरान दोनों छोर से अकेले मोर्चा को संभाला। घोटाले का आरोप, गिरफ्तारी, जेल में बिताये पांच महीने, परिवार और पार्टी को तोड़े जाने के बावजूद हेमंत सोरेन ने कभी झुकना स्वीकार नहीं किया। लोग डायलाग भी मारने लगे थे कि हेमंत झुकेगा नहीं। हेमंत सोरेन ने अकेले दम पर पूरी टीम को अपराजेय बना कर दिखा दिया कि झारखंड की राजनीति के वह सबसे चतुर और काबिल खिलाड़ी हैं। ममता बनर्जी के बाद हेमंत सोरेन विपक्ष के दूसरे ऐसे नेता हैं, जिन्होंने लगातार दूसरी बार सत्ता संभाली है। कैसा रहा झारखंड की सियासत के लिए साल 2024 और कैसे हेमंत सोरेन ने इस साल को अपने नाम किया, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।
साल 2024 झारखंड की राजनीति के लिए काफी उथल-पुथल वाला रहा। इस साल तीन बार मुख्यमंत्री पद के लिए शपथ ग्रहण हुआ, वहीं 31 जनवरी का दिन भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए यादगार बन गया। पहली बार किसी केंद्रीय जांच एजेंसी ने किसी मुख्यमंत्री को पद पर रहते हुए गिरफ्तार करने का फैसला लिया। आनन-फानन में हेमंत सोरेन को अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ा। वहीं 2024 का साल बीजेपी के लिए निराशाजनक रहा। बीजेपी को लोकसभा चुनाव में अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी, जबकि विधानसभा चुनाव में भी उसे पराजय का सामना करना पड़ा।
इस पूरे साल झारखंड की राजनीति में यदि किसी एक शख्सियत का चौतरफा असर रहा, तो वह हैं हेमंत सोरेन, जिन्होंने झारखंड की सियासी पिच पर ऐसी धुआंधार बैटिंग की कि उन पर किया जाने वाला हर प्रहार उनके लिए वरदान बनता चला गया।
जनवरी: आरोपों में घिरते गये हेमंत
साल की शुरूआत से ही हेमंत सोरेन आरोपों में घिरते गये। 2023 में पत्थर खदान लीज के मामले में आरोपों से बाहर निकलने के बाद उनके खिलाफ जमीन घोटाले के आरोप लगने लगे। साल 2024 के पहले महीने के आखिरी दिन, यानी 31 जनवरी की रात को हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी वाले दिन सुबह से ही राजधानी रांची में चहल-पहल थी। 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह और 27 जनवरी को राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने के बाद हेमंत सोरेन दिल्ली चले गये। लेकिन 28-29 जनवरी को कथित तौर पर लापता रहने वाले हेमंत सोरेन को इडी, दिल्ली पुलिस और अन्य जांच एजेंसियां ढूंढ़ती रही। लेकिन वह 30 जनवरी को रांची में इंडी गठबंधन के विधायकों के साथ बैठक में सार्वजनिक मंच पर दिखे। इससे पहले 29 जनवरी को इडी ने दिल्ली के शांति निकेतन स्थित उनके आवास, झारखंड भवन और सांसद शिबू सोरेन के आवास पर छापेमारी की, लेकिन हेमंत सोरेन नहीं मिले। इडी की ओर से छापेमारी के दौरान शांति निकेतन से बड़ी संख्या में दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस जब्त किये जाने और एक बीएमडब्ल्यू कार मिलने की खबर फैली। हालांकि बाद में ये सारी सूचनाएं गलत साबित हुईं। इस दौरान यह भी बताया गया था कि 29 जनवरी को ही हेमंत सोरेन के दोपहर में रांची लौटने का कार्यक्रम था। उनका चार्टर्ड प्लेन दिल्ली एयरपोर्ट पर मौजूद भी था। लेकिन हेमंत सोरेन को इडी की टीम खोज नहीं पायी। 29 जनवरी को इडी की टीम हेमंत सोरेन को खोजती रही, लेकिन 30 जनवरी को सूचना मिली कि हेमंत सोरेन रांची पहुंच गये हैं। उसी दिन हेमंत सोरेन ने रांची में इंडी गठबंधन के विधायकों के साथ बैठक की। अपनी संभावित गिरफ्तारी को देखते हुए हेमंत सोरेन ने बैठक में उपस्थित सभी विधायकों से समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर करा कर रख लिया। उस दिन दोपहर में हेमंत सोरेन जनता के सामने भी आये। हेमंत सोरेन ने गठबंधन के विधायकों के साथ उस दिन दो महत्वपूर्ण बैठक की। पहली बैठक में पत्नी कल्पना सोरेन भी साथ थीं। सत्तापक्ष के सभी विधायकों ने अंतिम निर्णय लेने के लिए हेमंत सोरेन को अधिकृत कर दिया। वहीं एक अन्य समर्थन पत्र पर भी सभी विधायकों ने हस्ताक्षर कर दिया। लेकिन उस समर्थन पत्र में नेता पद के स्थान को खाली रखा गया था।
31 जनवरी को हेमंत सोरेन गिरफ्तार हुए
31 जनवरी को रांची स्थित सीएम आवास में सुबह से ही गहमागहमी का माहौल था। हेमंत सोरेन ने सुबह में सत्तापक्ष के सभी विधायकों के साथ बैठक की। इस बैठक में सभी मंत्री और गठबंधन में शामिल दलों के वरिष्ठ नेता भी पहुंचे। वहीं दोपहर एक बजकर 18 मिनट पर इडी के अधिकारियों की टीम सीएम आवास पहुंची। करीब सात घंटे से अधिक समय तक इडी के अधिकारी हेमंत सोरेन से पूछताछ करते रहे। रात साढ़े आठ बजे हेमंत सोरेन अपने आवास से राजभवन के लिए निकले। पांच मिनट बाद हेमंत सोरेन राजभवन पहुंचे और अपना त्यागपत्र राज्यपाल को सौंप दिया। इसके बाद चंपाई सोरेन के नेतृत्व में गठबंधन के नेता राजभवन पहुंचे और नयी सरकार बनाने का दावा पेश किया। इडी के अधिकारी राजभवन से ही हेमंत सोरेन को साथ लेकर एयरपोर्ट रोड स्थित जोनल आॅफिस पहुंचे, जहां मेडिकल टीम ने हेमंत सोरेन के स्वास्थ्य की जांच की। इसके साथ ही हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी का औपचारिक एलान कर दिया गया। रात 10.05 बजे हेमंत सोरेन से मिलने कल्पना सोरेन इडी आॅफिस पहुंचीं। कुछ देर मुलाकात के बाद कल्पना सोरेन वापस लौट गयीं। हेमंत सोरेन को रिमांड पर लेकर 14 दिनों तक इडी अधिकारियों ने जमीन घोटाले मामले में पूछताछ की। फिर उन्हें बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल भेज दिया गया।
मार्च की शुरूआत में कल्पना सोरेन आयीं मैदान में
हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद कल्पना सोरेन के सामने बड़ी चुनौती थी। उन्हें एक तरफ अपने परिवार को देखना था, तो दूसरी तरफ पार्टी को भी संबल देना था। ऐसे में चार मार्च को कल्पना सोरेन ने राजनीति के मैदान में उतरने का फैसला किया और गिरिडीह में पहली बार किसी राजनीतिक कार्यक्रम में हिस्सा लिया। मंच पर बहे उनके आंसुओं के सैलाब ने झारखंड में सियासी तूफान खड़ा कर दिया, जिसका असर दो महीने बाद हुए लोकसभा चुनाव और फिर नवंबर में विधानसभा चुनाव में देखने को मिला। शिबू सोरेन का परिवार बिखर रहा था, क्योंकि उनकी बड़ी बहू सीता सोरेन बगावत पर उतर गयी थीं। बाद में उन्होंने झामुमो छोड़ कर भाजपा का दामन थाम लिया। लोकसभा चुनाव सिर पर था, तो पार्टी हेमंत सोरेन की अनुपस्थिति में हताश दिख रही थी। कल्पना सोरेन ने अकेले दम पर पार्टी को संभाला और परिवार को भी। उन्होंने हेमंत सोरेन की अनुपस्थिति में पार्टी का नेतृत्व किया और रांची में इंडी गठबंधन की रैली तक आयोजित कर अपनी नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया।
जून के अंत में हेमंत सोरेन को मिली जमानत
हेमंत सोरेन करीब पांच महीने तक जेल में रहे। लोकसभा चुनाव बीत जाने के बाद हेमंत सोरेन को 28 जून को झारखंड हाइकोर्ट से जमीन घोटाले से जुड़े मामले में जमानत मिल गयी। सुबह 11.35 बजे हाइकोर्ट से जमानत मिलने के बाद तुरंत आनन-फानन में सारी प्रक्रिया पूरी की गयी। इसके बाद दोपहर सवा तीन बजे इडी कोर्ट से उन्हें जमानत पर रिहा करने का आदेश जारी किया गया। शाम 4.01 बजे हेमंत सोरेन जेल से बाहर आ गये। हेमंत सोरेन जब जेल से बाहर निकले, तो वह नये रूप में नजर आये। वह अब अपने पिता शिबू सोरेन की तरह बढ़े हुए बाल और दाढ़ी के साथ नये लुक में दिख रहे थे। जेल से रिहाई के वक्त उनकी पत्नी कल्पना सोरेन भी मौजूद थीं, लेकिन सीएम चंपाई सोरेन वहां नजर नहीं आये।
जुलाई में हेमंत सोरेन ने तीसरी बार सीएम के रूप में शपथ ली
28 जून को जेल से बाहर आने के साथ ही मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन पर कुर्सी छोड़ने का दबाव बढ़ने लगा। चंपाई सोरेन के सारे सरकारी कार्यक्रमों को पार्टी नेतृत्व की ओर से स्थगित करने की घोषणा कर दी गयी। .ीन जुलाई को जेएमएम-कांग्रेस-आरजेडी विधायकों की बैठक हुई। इसके बाद चार जुलाई को हेमंत सोरेन के नेतृत्व में गठबंधन दल के नेताओं ने राजभवन जाकर राज्यपाल से मुलाकात की। चार जुलाई को दोपहर 12.30 बजे हेमंत सोरेन राज्यपाल से मिलने पहुंचे। उनसे पूछा गया कि वह कब शपथ लेंगे। इसके बाद दोपहर दो बजे सूचना दी गयी कि हेमंत सोरेन उसी दिन शाम 4.45 बजे शपथ लेंगे और हेमंत सोरेन ने तीसरी बार सीएम के रूप में शपथ ली।
चंपाई-लोबिन के साथ छोड़ने से भी नहीं झुके हेमंत
अपनी तीसरी पारी में हेमंत सोरेन को कई झटके लगे। सबसे पहले पार्टी के कद्दावर नेता चंपाई सोरेन ने साथ छोड़ दिया। फिर लोबिन हेंब्रम ने भी अलग राह पकड़ ली। हेमंत सोरेन इसके बावजूद नहीं झुके। उन्होंने मंईयां सम्मान योजना का ब्रह्मास्त्र चला, जिसने उन्हें अपराजेय बना दिया। राज्य की 43 लाख महिलाओं के खाते में एक-एक हजार रुपये भेजे जाने लगे। चंपाई सोरेन और लोबिन हेंब्रम के इस्तीफे का शोर इस योजना की आंधी में खो गया।
विधानसभा चुनाव में गठबंधन को मिली बड़ी जीत, हेमंत फिर सीएम बने
फिर आया विधानसभा चुनाव। हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन ने कमान संभाली और धुआंधार प्रचार किया। विपक्ष की तरफ से बड़े-बड़े योद्धा झारखंड में उतारे गये, लेकिन हेमंत सोरेन ने अपनी जोड़ीदार कल्पना के साथ मिल कर उन सभी का पूरी हिम्मत से सामना किया और अंत में सभी को पराजित भी किया। विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से हेमंत सोरेन के नेतृत्व में जेएमएम-कांग्रेस-आरजेडी और सीपीआइ-एमएल को बड़ी जीत मिली। इंडी गठबंधन के 56 विधायक चुनाव में विजयी रहे। इसके बाद हेमंत सोरेन ने 28 नवंबर को चौथी बार सीएम के रूप में शपथ ली।