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    Home»विशेष»राहुल-खड़गे के हलके बयानों से कांग्रेस की हो रही फजीहत
    विशेष

    राहुल-खड़गे के हलके बयानों से कांग्रेस की हो रही फजीहत

    shivam kumarBy shivam kumarFebruary 5, 2025No Comments7 Mins Read
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    महाकुंभ सिर्फ योगी और मोदी का तो नहीं, कांग्रेस नेता क्यों नहीं कर रहे सहयोग
    महाकुंभ देश का पर्व है, इसे राजनीतिक दलों को सफल बनाने के लिए जिम्मेदारी लेनी होगी
    आंकड़ा तो ऐसे बता रहे हैं, जैसे कोई पहाड़ा, फिर वर्ष 1954 पर खामोशी क्यों छा जाती है

    नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
    देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के दो शीर्ष नेता एक बार फिर विवादों में हैं। यह विवाद संसद में उनके द्वारा दिये गये गैर-जिम्मेदाराना बयान से पैदा हुआ है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने राज्यसभा में कह दिया कि महाकुंभ में मची भगदड़ में हजारों लोग मारे गये हैं। उधर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कूटनीति, विदेश नीति और अन्य संवेदनशील मुद्दों पर अपुष्ट और निराधार बयान देकर नया बखेड़ा खड़ा कर दिया है। कांग्रेस के ये दो जिम्मेदार नेता किस तरह गैर-जिम्मेदाराना बयान देने में माहिर हो गये हैं, यह इस बार पूरी तरह साबित हो गया है। लोकसभा में राहुल गांधी ने कह दिया कि विदेश मंत्री एस जयशंकर इसलिए बार-बार अमेरिका जा रहे थे, ताकि भारतीय प्रधानमंत्री को डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में बुलाया जाये। इस पर हैरानी नहीं कि न केवल लोकसभा में संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने राहुल गांधी की इस विचित्र बात पर आपत्ति जतायी, बल्कि विदेश मंत्री जयशंकर ने भी नाराजगी प्रकट करते हुए कहा कि वह ऐसी बात कह कर भारत की छवि खराब कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि राहुल गांधी के झूठ का उद्देश्य राजनीतिक हो सकता है, लेकिन वह विदेश में देश को नुकसान पहुंचाने वाला है। इसमें संदेह है कि विदेशी मंत्री के प्रतिवाद का राहुल गांधी की सेहत पर कोई असर पड़ेगा और वह मिथ्या बातें करने से बचेंगे। संदेह का कारण यह है कि वह प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी को कोई महत्व नहीं देते। आखिर यह किसी से छिपा नहीं कि वह उनके खिलाफ तू-तड़ाक वाली भाषा का उपयोग करते रहे हैं। विडंबना यह है कि इस आदत का परित्याग वह नेता प्रतिपक्ष का पद हासिल करने के बाद भी नहीं कर पा रहे हैं। समस्या केवल यह नहीं कि वह प्रधानमंत्री पद की गरिमा की परवाह नहीं करते। समस्या यह भी है कि वह प्राय: ऐसी बचकानी बातें कर जाते हैं, जो राष्ट्रीय हितों के प्रतिकूल होती हैं या दूसरे देशों से संबंधों पर बुरा असर डालती हैं। उधर खड़गे ने महाकुंभ हादसे पर बयान देते समय यह याद नहीं रखा कि पंडित नेहरू के समय में कुंभ में मची भगदड़ में एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। यह पहली बार नहीं है, जब कांग्रेस नेताओं ने अपने बेतुके और गैर-जिम्मेदाराना बयान देकर अपनी ही नहीं, पूरी पार्टी की किरकिरी करायी है। चाहे राहुल गांधी हों, मल्लिकार्जुन खड़गे हों, सैम पित्रोदा हों या फिर कोई सामान्य कांग्रेस नेता, बेतुका बयान देकर कभी न कभी विवादों में फंसे जरूर हैं और इससे कांग्रेस का ही नुकसान हुआ है। क्या है राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे के ताजा बयानों से पैदा हुआ विवाद और कैसे इससे कांग्रेस को नुकसान हुआ है, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

    देश में राजनीति की मुख्यधारा में वापसी की कोशिश कर रहे कांग्रेस के नेता अक्सर ऐसे बयान दे जाते हैं, जो विवाद की वजह बन जाते हैं। कई बार इनकी टिप्पणियां कांग्रेस को काफी नुकसान पहुंचाती रही हैं। इस बार पार्टी के दो शीर्ष नेताओं, अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने संसद में ऐसे बयान दे दिये हैं, जिस पर सफाई देते नहीं बन रहा।

    क्या कहा मल्लिकार्जुन खड़गे ने
    संसद के बजट सत्र के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कह दिया कि महाकुंभ में भगदड़ के कारण हजारों लोगों की मौत हो गयी है और सरकार इस आंकड़े को छिपा रही है। इस पर हंगामा मचा, तो उन्होंने कहा कि सरकार मृतकों का आंकड़ा बताये, तो वह माफी मांग लेंगे। इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह के महाकुंभ में स्नान करने की तस्वीरें सोशल मीडिया में वायरल हुईं, तो कांग्रेस अध्यक्ष उन पर निशाना साधते-साधते ऐसी बात कह गये, जिसके लिए वे खुद घिर गये और बाद में उन्हें माफी भी मांगनी पड़ी। खड़गे ने कटाक्ष किया कि भाजपा के नेताओं में कैमरे के सामने डुबकी लगाने की होड़ मची है। भाजपा नेता तब तक डुबकी लगाते रहते हैं, जब तक कि यह कैमरे पर अच्छा न लगे। क्या गंगा में डुबकी लगाने से गरीबी समाप्त हो जायेगी? क्या इससे आपका पेट भर जाता है? हालांकि थोड़ी देर बाद जब उन्हें लगा कि गलत बोल गये हैं, तो खुद माफी भी मांग ली।

    महाकुंभ से कांग्रेस नेताओं को तकलीफ क्यों
    यहां बड़ा सवाल है कि कांग्रेस के नेताओं को महाकुंभ से इतना कष्ट क्यों है। वे बार-बार इस आयोजन की सार्थकता पर सवाल उठा रहे हैं। लेकिन यही कांग्रेसी किसी राहत और बचाव अभियान में हिस्सा नहीं लेते। आज तक कांग्रेस का कोई भी नेता किसी पीड़ित के घर नहीं गया। कांग्रेस नेताओं के हिसाब से तो महाकुंभ केवल भाजपा या योगी आदित्यनाथ का आयोजन है। ऐसी ओछी मानसिकता से केवल नेताओं का ही नहीं, पार्टी का भी नुकसान होता है।

    कांग्रेसी भूल जाते हैं 1954 का हादसा
    महाकुंभ की व्यवस्था पर टिप्पणी करते हुए कांग्रेसी 1954 का हादसा भूल जाते हैं। बता दें कि 3 फरवरी, 1954 सुबह करीब आठ बजे के आसपास का वक्त रहा होगा, जब प्रयागराज में लगे कुंभ मेले में मौनी अमावस्या के लिए लाखों की भीड़ उमड़ पड़ी थी। अचानक कुछ अफवाहें पैदा हुईं, जिससे स्नान पर्व पर भगदड़ मच गयी। 45 मिनट तक चले मौत के तांडव में एक हजार से अधिक श्रद्धालुओं की मौत हो गयी। उस कुंभ में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी आये थे। बताया जाता है कि 2 और 3 फरवरी की दरमियानी रात को गंगा में अचानक बहुत पानी बढ़ गया। संगम किनारे साधु-संतों के आश्रम में पानी पहुंचने लगा। इस घटना से लोग घबरा गये। इससे अफरा-तफरी में भगदड़ मच गयी। 1954 के कुंभ में पंडित जवाहरलाल नेहरू भी शामिल हुए थे। अमावस्या के एक दिन पहले नेहरू आये थे और उन्होंने संगम में स्नान भी किया था, लेकिन उसी दिन वह तैयारियों से संतुष्ट होकर वापस लौट गये थे। हादसे के बाद नेहरू ने न्यायमूर्ति कमलाकांत वर्मा की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनायी। हादसे के बाद नेहरू ने नेताओं और अति विशिष्ट लोगों से स्नान पर्वों पर कुंभ न जाने की अपील की थी। उस घटना के बाद से अरसे तक कुंभ में भगदड़ नहीं मची थी। भगदड़ यानी मौत का यह तांडव करीब 45 मिनट तक चलता रहा। इसके कुछ ही समय बाद भीड़ खुद ही नियंत्रित हो गयी। विभिन्न स्रोतों के अनुसार त्रासदी के आंकड़े अलग-अलग थे।

    क्या कहा राहुल गांधी ने
    खड़गे के बयान पर विवाद अभी थमा भी नहीं था कि कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा शुरू करते हुए कई बार बेतुके बयान दिये। राहुल गांधी ने अपने भाषण में कई ऐसी बातें कहीं, जिनका कोई आधार नहीं है। भाषण के दौरान राहुल गांधी को टोकते हुए लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि आप जो बात बोल रहे हैं, उनको सत्यापित कीजिए। राहुल ने कहा कि विदेश विदेश मंत्री एस जयशंकर इसलिए बार-बार अमेरिका जा रहे थे, ताकि भारतीय प्रधानमंत्री को डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में बुलाया जाये। इस पर संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू ने आपत्ति जतायी और विदेश मंत्री जयशंकर ने इसे भारत की छवि खराब करने वाला काम बताया। इसके बाद राहुल गांधी ने चीन द्वारा भारतीय इलाके में कब्जा करने का आरोप लगाया, जिस पर खूब विवाद हुआ। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राहुल के बयान को झूठा और गैर-जिम्मेदाराना करार दिया है। भाजपा ने राहुल गांधी के भाषण के ऐसे छह मुद्दे गिनाये हैं, जो तथ्यात्मक तौर पर सही नहीं हैं। पार्टी ने कहा कि चार बार सांसद रहे राहुल गांधी देश को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। पार्टी ने कहा कि राहुल गांधी को झूठ बोलने की आदत है।

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    shivam kumar

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