पूर्वी चंपारण। महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय (एमजीसीयू) के अंग्रेज़ी विभाग द्वारा मार्जिनल साहित्य पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन: हरियाणवी और भोजपुरी भाषा के लोक लेखन” का आयोजन किया गया। सम्मेलन में देशभर के प्रतिष्ठित साहित्यकारों, शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं ने भाग लिया।सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. उज्जवल जना, हरियाणा साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता प्रो. राजेंद्र बडगुजर, प्रसिद्ध भोजपुरी कवि डॉ. गोरख मस्ताना, मगध विश्वविद्यालय की प्रो. निभा सिंह, जेएनवी विश्वविद्यालय, जोधपुर की प्रो. कल्पना पुरोहित, और दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर राजेंद्र गौतम शामिल थे।
इनके साथ-साथ एमजीसीयू के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. अंजनी श्रीवास्तव, अंग्रेज़ी विभागाध्यक्ष डॉ. बिमलेश के. सिंह, डॉ. दीपक, डॉ. उमेश पात्रा, बलांडे चंदोबा नरसिंग, और डॉ. कल्याणी हज़री भी इस आयोजन में मौजूद रहे। सम्मेलन में मार्जिनल साहित्य, भाषाओं और संस्कृतियों के ऐतिहासिक, सामाजिक और राजनीतिक पहलुओं पर गहन चर्चा की गई। प्रो. राजेंद्र बडगुजर ने हरियाणवी लोक संस्कृति और उसकी उभरती प्रवृत्तियों पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि हरियाणवी साहित्य को मुख्यधारा में समाहित करने के लिए और अधिक प्रयास किए जाने चाहिए। वहीं, डॉ. गोरख मस्ताना ने भोजपुरी भाषा और साहित्य की चुनौतियों पर चर्चा करते बताया कि भोजपुरी भाषा की व्यापकता के बावजूद इसे अकादमिक और साहित्यिक मान्यता नहीं मिल पाई है। सम्मेलन को ऑफ़लाइन और ऑनलाइन दोनों प्रारूपों में आयोजित किया गया। ऑफ़लाइन सत्र में 20 से अधिक शोधकर्ताओं ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए, जबकि ऑनलाइन सत्र में 10 शोधार्थियों ने भाग लिया और अपने अध्ययन साझा किए।
दोनों सत्रों में विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श हुआ, जिससे सम्मेलन की विद्वतापूर्ण गहराई स्पष्ट हुई। सम्मेलन 60 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें प्रतिनिधि, प्रोफेसर, शोधार्थी और स्नातकोत्तर छात्र शामिल थे। सम्मेलन ने मार्जिनल साहित्य और लोक भाषाओं की प्रासंगिकता को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रतिभागियों ने इस आयोजन को ज्ञानवर्धक और शोधपरक दृष्टिकोण से समृद्ध बताया।