बड़ा तालाब की साफ-सफाई और संरक्षण के संबंध में लिये गये स्वत: संज्ञान पर सुनवाई हुई
रांची। झारखंड हाइकोर्ट ने जल स्रोतों, नदी, रांची के बड़ा तालाब की साफ-सफाई और संरक्षण के संबंध में लिये गये स्वत: संज्ञान पर सुनवाई की। मामले में चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने बुधवार को राज्य सरकार से रांची के बड़ा तालाब और हरमू नदी की साफ-सफाई पर जवाब मांगा है। अगली सुनवाई नौ जून को होगी।
इससे पहले रांची नगर निगम की ओर से अधिवक्ता एलसीएन शाहदेव ने कोर्ट को बताया कि बीते 10-11 अप्रैल को निगम की ओर से हरमू नदी की सफाई करायी गयी है। निगम की ओर से समय-समय पर हरमू नदी की सफाई का कार्य किया जा रहा है। इस संदर्भ में उनकी ओर से हरमू नदी की सफाई से संबंधित फोटोग्राफ प्रस्तुत किया गया। कोर्ट ने निगम को मौखिक रूप से कही गयी इन बातों को शपथ पत्र के माध्यम से दाखिल करने का निर्देश दिया। वहीं हस्तक्षेपकर्ता झारखंड सिविल सोसायटी की ओर से अधिवक्ता खुशबू कटारुका ने कोर्ट को बताया कि बड़ा तालाब में जब तक इसकी गहराई में जमे गाद को नहीं हटाया जायेगा, तब तक पूरी तरह से बड़ा तालाब की सफाई नहीं हो सकेगी। उनकी ओर से यह भी बताया गया कि हरमू नदी में लोगों के घर से निकला हुआ सॉलिड कचरा जा रहा है। ऐसे में हरमू नदी की सफाई भी जरूरी है। इस पर सरकार की ओर से बताया गया कि बड़ा तालाब में वर्षों से जमे गाद को निकालने के लिए नगर विकास विभाग ने जुडको से संपर्क किया था लेकिन जुडको ने इसमें विशेषज्ञता नहीं होने की बात कहते हुए असमर्थता जतायी है। इसके बाद नगर विकास विभाग की ओर से जल संसाधन विभाग को बड़ा तालाब से गाद निकालने के संबंध में पत्र लिखा गया है। कोर्ट ने इस संदर्भ में भी राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि राज्य के सभी जिलों से जल स्रोतों से अतिक्रमण हटाने के संबंध में गठित टास्क फोर्स की रिपोर्ट अब तक नहीं आयी है, कुछ जिलों से अभी रिपोर्ट आनी बची है।
उल्लेखनीय है कि रांची के जलस्रोतों के अतिक्रमण और साफ-सफाई से संबंधित प्रकाशित एक खबर को झारखंड हाई कोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था। पूर्व में कोर्ट ने सरकार को राज्य के सभी जिलों में जलस्रोतों के संरक्षण, अतिक्रमण, जल की स्थिति के बारे में अद्यतन जानकारी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।