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    Home»विशेष»सिर्फ कूटनीतिक स्ट्राइक नहीं, भारत मांगे खून का बदला खून
    विशेष

    सिर्फ कूटनीतिक स्ट्राइक नहीं, भारत मांगे खून का बदला खून

    shivam kumarBy shivam kumarApril 25, 2025No Comments14 Mins Read
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    विशेष
    जिन्होंने मेरे भाई को मारा, उन्हें मुर्दा देखना है: लेफ्टिनेंट विनय की बहन
    नीरज की पार्थिव देह के पास हाथ जोड़कर बिलखती रही पत्नी आयुषी
    पत्नी एशान्या लगातार अपने पति की फोटो देख उस पर हाथ फेरती रही
    मां ने कहा आतंकियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाये, तड़पा कर मारा जाये
    बेटे शौर्य ने दी मुखाग्नि, पत्नी बेहोश, पाकिस्तानी झंडे पर थूक रहे लोग
    सुशील का अंतिम संस्कार, पत्नी ताबूत से लिपट कर रोती रही
    अंतिम वक्त तक मनीष ने पत्नी और बच्चों की जान बचाने की कोशिश की
    जिंदगी में पहली बार काम छुट्टी मनाने बाहर गये, आखिरी हो गया
    पिता-पुत्र की अंतिम यात्रा एक साथ निकली तो हर आंख नम हो गयी
    हर तरफ चीखें, आंसू और गुस्से में लोग, कह रहे भारत मांगे खून का बदला खून

    नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
    कश्मीर के पहलगाम में मुस्लिम आतंकियों की बर्बरता के शिकार सैलानियों का अंतिम संस्कार तो हो गया है, लेकिन उनकी चिताओं की आग और कब्र की लपट तब तक ठंडी नहीं होगी, जब तक इस नरसंहार के दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा नहीं मिल जायेगी। भारत ने आतंकवादियों को पाल-पोस रहे पड़ोसी पाकिस्तान को कूटनीतिक स्ट्राइक कर जवाब तो दिया है, लेकिन भारत के 140 करोड़ लोगों को इस जवाब से संतोष नहीं हुआ है। वे पहलगाम की घाटी में बहे निर्दोष हिंदुओं के खून की हर बूंद के बदले मुस्लिम आतंकवादियों का खून मांग रहे हैं, उनका सिर मांग रहे हैं, उन्हें मुर्दा देखने की मांग कर रहे हैं। भारत के लोग चाहते हैं कि आतंक का पोषक देश बन चुके पाकिस्तान के खिलाफ उसी तरह की कार्रवाई हो, जिस तरह इस्राइल ने इस्लामी आतंकी संगठन हमास के खिलाफ किया और अब भी कर रहा है। वास्तव में पाकिस्तान को कूटनीतिक स्ट्राइक से कोई अंतर पड़नेवाला नहीं है, क्योंकि वह इतना बेशर्म और बेगैरत मुल्क है कि उसे इस सबकी परवाह नहीं है। उसे उसी की भाषा में जवाब देना पड़ेगा। कहते हैं न लातों के भूत बातों से नहीं मानते। इसलिए भारत को अब उसके वजूद को मिटा देने के रास्ते पर ही आगे बढ़ना चाहिए, ताकि आतंकवाद की इस त्रासदी से हमेशा के लिए मुक्ति मिल सके। पहलगाम में हुए नरसंहार के बाद भारत में गम और गुस्से का क्या माहौल है, यह बात नरंसहार में मारे गये लोगों की अंत्येष्टि के समय सामने आयी। गम और गुस्से के इसी माहौल को सामने ला रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

    हमास पैटर्न अपना रहा पाकिस्तान
    पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद और पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए सिर्फ भारत द्वारा डिप्लोमेटिक स्ट्राइक ही काफी नहीं है, खून का बदला खून से जब तक भारत नहीं लेगा, मुस्लिम आतंकियों द्वारा मारे गये हिंदुओं की चिताओं की अग्नि शांत नहीं होगी। भारत को सात अक्तूबर 2023 का दिन नहीं भूलना चाहिए। उस दिन हमास ने इस्राइल पर हमला किया था। वह हमला खास तौर पर यहूदियों के खिलाफ था और सिर्फ यहूदियों के खिलाफ ही नहीं, बल्कि उन सबसे उदार यहूदियों के खिलाफ था, जो गाजा पट्टी के साथ, शांति और सामान्य स्थिति चाहते थे। पहलगाम हमला का पैटर्न भी ठीक वैसा ही है। छुट्टी मनाने वाले रिसॉर्ट पर मध्यम वर्ग के हिंदुओं को निशाना बनाने से साफ है कि पाकिस्तानी अब वही रणनीति अपना रहे हैं। ऐसे में अब भारत का कर्तव्य है कि वह पाकिस्तान और पाकिस्तान की आइएसआइ के साथ वैसा ही करे, जैसा इस्राइल ने हमास के साथ किया था। अब समय आ गया है कि आइएसआइ के नेतृत्व को खत्म कर दिया जाये और उसे एक नामित आतंकवादी समूह के रूप में माना जाये और मांग की जाये कि भारत का सहयोगी हर देश, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का सहयोगी हर देश ऐसा ही करे।

    पाकिस्तान का सेना प्रमुख असीम मुनीर ने उगले थे जहरीले बोल
    पाकिस्तान का सेना प्रमुख असीम मुनीर का भाषण चर्चा में है। उसने अपने भाषण में कहा था, कश्मीर पर हमारा रुख एकदम साफ है। यह हमारी गर्दन की नस थी, यह हमारी गर्दन की नस रहेगी। हम इसे नहीं भूलेंगे। हम अपने कश्मीरी भाइयों को उनके संघर्ष में अकेला नहीं छोड़ेंगे। हमले से कुछ ही दिन पहले 16 अप्रैल को पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने इस्लामाबाद में एक कार्यक्रम के दौरान ये बातें कही थीं। उस कार्यक्रम में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी मौजूद थे। असीम मुनीर ने कहा था कि हमारी आजादी के वक्त हमारे लोगों ने पाकिस्तान का निर्माण यह मान कर किया था कि हम हिंदुओं से हर तरह से अलग हैं। हमारी परंपराएं, धर्म, रीति-रिवाज, सोच सब कुछ अलग है। उसने दो-राष्ट्र सिद्धांत का समर्थन करते हुए हिंदुओं और मुसलमानों को अलग बताया और भारत-पाकिस्तान विभाजन को सही ठहराया। उसने कहा था कि वह कश्मीरी भाइयों और बहनों को अकेले नहीं रहने देगा। लेकिन भारत ने अपने कूटनीतिक स्ट्राइक से पाकिस्तान की उस गर्दन की नस को काट दिया है। पाकिस्तान को पता ही नहीं कि उसकी गर्दन कि नस कश्मीर नहीं, सिंधु जल संधि है, जिसे भारत ने स्क्रैप तो नहीं किया, लेकिन इसे रोक जरूर दिया है। अब पाकिस्तान जल बिन मछली बन तड़पने को मजबूर होगा। पाकिस्तान का अस्तित्व सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर है। 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता के तहत हस्ताक्षरित यह संधि हिमालय की छह नदियों के पानी का बंटवारा करती है। पूर्वी नदियां (रावी, ब्यास, सतलज) भारत को और पश्चिमी नदियां (सिंधु, झेलम, चिनाब) मुख्य रूप से पाकिस्तान को आवंटित हैं। पाकिस्तान की खेती, पीने का पानी और बिजली उत्पादन का बड़ा हिस्सा इसी पानी पर निर्भर है। दोनों देशों के बीच तीन जंग के बावजूद भारत ने यह समझौता बरकरार रखा था। भारत सिंधु संधि तोड़कर पश्चिमी नदियों का प्रवाह रोक दे, तो पाकिस्तान अभूतपूर्व आपदा का सामना कर सकता है। पाकिस्तान में खेती की 90% जमीन यानी 4.7 करोड़ एकड़ एरिया में सिंचाई के लिए पानी सिंधु नदी प्रणाली से मिलता है। पाकिस्तान की राष्ट्रीय आय में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी 23% है और इससे 68% ग्रामीण पाकिस्तानियों की जीविका चलती है। ऐसे में पाकिस्तान में आम लोगों के साथ-साथ वहां की बेहाल अर्थव्यवस्था और बदतर हो सकती है। पाकिस्तान के मंगल और तारबेला हाइड्रोपावर डैम को पानी नहीं मिल पायेगा। इससे पाकिस्तान के बिजली उत्पादन में 30% से 50% तक की कमी आ सकती है। साथ ही औद्योगिक उत्पादन और रोजगार पर असर पड़ेगा।

    चिता की अग्नि तभी ठंडी होगी जब पाकिस्तान समर्थित आतंकियों को मृत्युदंड मिलेगा
    -विनय ने सिर्फ इतना बोला था वह मुसलमान नहीं है और आतंकी ने 3 बार उन्हें गोली मारी
    जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले में मारे गये करनाल के नेवी लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की बहन सृष्टि का हरियाणा के सीएम नायब सैनी के सामने गुस्सा फूट पड़ा। सृष्टि ने सीएम को कहा कि डेढ़ घंटे तक कोई वहां नहीं आया। अगर आर्मी आसपास होती, तो विनय बच सकता था। मुझे इंसाफ चाहिए। सृष्टि ने सीएम सैनी का हाथ पकड़कर कहा कि विनय ने सिर्फ इतना बोला था वह मुसलमान नहीं है और आतंकी ने 3 बार उन्हें गोली मारी। आइ वांट जस्टिस। जिन्होंने मेरे भाई को मारा, मुझे उन्हें मुर्दा देखना है। मुझे बदला चाहिए। सृष्टि को बिलखते देख सीएम का भी गला भर आया। उन्होंने रुंधे हुए गले से सृष्टि को दिलासा दिया और बोले- जिसने मारा, वो मरेगा। वहीं लेफ्टिनेंट विनय की पत्नी हिमांशी की भी एक फोटो सामने आयी है, जिसमें करनाल में अंतिम दर्शन के वक्त वह पति के चेहरे को एकटक निहार रही हैं।

    पत्नी आयुषी पति के शव को मुड़-मुड़कर देखती रही
    जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के शिकार 33 साल के जयपुर के नीरज उधवानी का गुरुवार को अंतिम संस्कार किया गया। बड़े भाई किशोर उधवानी ने मुखाग्नि दी। झालना स्थित मोक्षधाम में पत्नी आयुषी नीरज की पार्थिव देह के पास हाथ जोड़कर बिलखती रही। परिवार वालों के बार-बार संभालने के बावजूद उसकी आंखों के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। सीएम भजनलाल शर्मा गुरुवार सुबह मॉडल टाउन (मालवीय नगर) स्थित फॉरेस्ट व्यू अपार्टमेंट पहुंचे और नीरज को श्रद्धांजलि दी। सीएम नीरज की मां ज्योति से भी मिले। सीएम को देखते ही ज्योति फूट-फूटकर रोने लगीं। सीएम ने उनके आंसू पोंछे और सांत्वना दी। इससे पहले घर के बाहर नीरज के अंतिम दर्शन के बाद उनकी पत्नी आयुषी मुड़-मुड़कर देखती रही। वह शव के पास से हटने को तैयार नहीं थी। बमुश्किल परिवार वाले आयुषी को नीरज के शव से दूर ले गए। 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में जयपुर के नीरज उधवानी की हत्या कर दी गयी। आतंकियों ने पत्नी आयुषी के सामने ही नीरज को गोली मारी थी। बुधवार की रात 8:15 बजे इंडिगो फ्लाइट से उनका शव जयपुर लाया गया था।

    मुस्लिम आतंकवादी ने पूछा, हिंदू हो या मुसलमान, मैंने कहा हिंदू, फिर उसने मेरे पति को गोली मार दी
    पहलगाम आतंकी हमले में मारे गये कानपुर के शुभम द्विवेदी का अंतिम संस्कार हो गया। जैसे ही घर से ड्योढ़ी घाट के लिए शव यात्रा निकली, पत्नी चीख पड़ीं। पत्नी ने 2 दिन से अपने पति की शर्ट पहन रखी थी। उन्होंने वह शर्ट उतारी। उसे सीने से लगाया, फिर फूट-फूटकर रोने लगीं। यह देखकर वहां मौजूद लोगों की आंखें नम हो गयीं। पत्नी एशान्या लगातार अपने पति की फोटो देख रही हैं और बार-बार उस पर हाथ फेर रही हैं। मां रो-रोकर बेसुध थी। वह बीच-बीच में चीख पड़ती हैं। मां का कहना था आतंकियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाये, तड़पा-तड़पा कर उन्हें मारा जाये। इससे पहले, सीएम योगी ने शुभम को श्रद्धांजलि दी और घरवालों से बातचीत कर उन्हें ढांढस बंधाया। इस दौरान शुभम की पत्नी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कहा कि आतंकियों ने मेरे सामने ही मेरे पति को गोली मारी, योगी जी हमें कड़ा बदला चाहिए। आप इसका बदला लो। यह कहते हुए वह रोने लगीं। सीएम योगी ने कहा आतंकवादियों द्वारा यह हमला ताबूत पर आखिरी कील होगा। पत्नी एशान्या ने रोते हुए आतंकी हमले की आंखों देखी सुनायी। उन्होंने कहा मैं और शुभम मैगी खाने जा रहे थे। इसी दौरान एक आदमी पीछे से आया। उसने बंदूक साइड में रखकर शुभम से पूछा-हिंदू हो या मुसलमान? फिर कहा- अगर मुसलमान हो तो पहले कलमा पढ़कर दिखाओ। मैंने हंसते हुए उससे पूछा- क्या हुआ भइया? तब उसने मुझसे भी पूछा- हिंदू हो या मुसलमान? मैंने कहा- हिंदू हूं। इसके बाद उसने मेरे पति को गोली मार दी। पहले शुभम को मारा, फिर बाकी लोगों को भी गोली मार दी। पिता संजय द्विवेदी ने कहा- दो टके के आतंकवादी भारत सरकार को चुनौती देकर चले गये। सरकार को अब सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।

    पहलगाम हमले में मारे गए छत्तीसगढ़ के दिनेश का अंतिम संस्कार, बेटे शौर्य ने दी मुखाग्नि, पत्नी बेहोश, पाकिस्तानी झंडे पर थूक रहे लोग
    जम्मू कश्मीर के पहलगाम में मारे गये छत्तीसगढ़ के कारोबारी दिनेश मिरानिया का रायपुर में अंतिम संस्कार किया गया। बेटे शौर्य ने उन्हें मुखाग्नि दी। अंतिम यात्रा में राज्यपाल रामेन डेका, सीएम साय और स्पीकर रमन सिंह भी मौजूद रहे। आतंकी हमले को लेकर शहर में आक्रोश है। सड़कों पर पाकिस्तान के झंडे चिपका दिए हैं, आतंकियों की तस्वीरें लगा दी गयी हैं, उसके ऊपर से लोग गुजर रहे हैं, थूक रहे हैं, गाली दे रहे हैं। अंतिम यात्रा निकलने से पहले कारोबारी की पत्नी नेहा बेहोश हो गयी थीं, उन्हें परिजन घर के अंदर लेकर गये। जानकारी के मुताबिक, 45 साल के दिनेश मिरानिया को जिस दिन गोली मारी गई, उसी दिन उनकी शादी की सालगिरह थी। वह परिवार के साथ खुशियां मनाने बैसरन घाटी गए थे। वहां पत्नी नेहा, बेटा शौर्य और बेटी लक्षिता के साथ सेलिब्रेट कर रहे थे, तभी आतंकियों ने उन्हें गोलियों से भून डाला।

    सुशील का अंतिम संस्कार, इंदौर में पत्नी ताबूत से लिपटकर रोयी, बुआ बोलीं मैं अब किसका इंतजार करूंगी
    पहलगाम आतंकी हमले में जान गंवाने वाले इंदौर के सुशील नथानियल का अंतिम संस्कार जूनी इंदौर कब्रिस्तान में इसाई रीति रिवाज से किया गया। यहां परिजन, रिश्तेदार और दोस्तों के अलावा मंत्री तुलसी सिलावट, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, जिला अध्यक्ष सदाशिव यादव समेत कई लोग मौजूद रहे। इससे पहले सुशील की अंतिम यात्रा वीणा नगर स्थित उनके घर बी 68 से शुरू हुई। पार्थिव शरीर विशेष वाहन में नंदा नगर चर्च पहुंचाया गया। यहां प्रार्थना के बाद कब्रिस्तान के लिए रवाना हुआ। अंतिम यात्रा से पहले सुशील के घर पर उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी। पत्नी जेनिफर उनके ताबूत से लिपटकर रोयीं। पिता बदहवास नजर आए। सुशील की छोटी बुआ इंदु डावर की आंखों से आंसू रुक नहीं रहे थे। कांपती आवाज में बस एक ही सवाल बार-बार पूछ रही थीं, अब किसका इंतजार करूंगी मैं, बता मुझे।

    पहलगाम में मारे गये बिहार के आईबी अफसर को रांची में दी गयी श्रद्धांजलि, आतंकियों ने पत्नी-बच्चों के सामने मारी थी गोली
    जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले में 28 लोगों की मौत हो गयी। हमले में बिहार के रहने वाले मनीष रंजन भी मारे गये। मनीष पिछले 2 सालों से आइबी के हैदराबाद आॅफिस में सेक्शन आॅफिसर के पद पर पोस्टेड थे। परिवार का कहना है कि उनकी पहली नौकरी एक्साइज इंस्पेक्टर के तौर पर थी। बाद में आइबी अफसर बने। हालांकि, सरकार की लिस्ट में उन्हें एक्साइज इंस्पेक्टर बताया गया है। मनीष का पार्थिव शरीर गुरुवार सुबह नौ बजे रांची एयरपोर्ट पहुंचा। एयरपोर्ट पर पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने मनीष को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद पार्थिव शरीर सीआरपीएफ कैंप लाया गया, जहां जवानों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। उसके बाद परिवार एंबुलेंस से पार्थिव शरीर को लेकर पश्चिम बंगाल स्थित झालदा के लिए निकल गया। मनीष के चाचा आलोक प्रियदर्शी ने बताया कि घटना की जानकारी के बाद मुश्किल से बहू जया से बात हुई। वह कुछ बोल पाने की स्थिति में नहीं थी। बताया कि, अंतिम वक्त तक मनीष ने उसकी और बच्चों की जान बचाने की कोशिश की। फायरिंग की आवाज सुनते ही कहा कि तुमलोग जल्दी कहीं छिप जाओ। उसके बाद आतंकियों ने नाम पूछा और मनीष को गोली मार दी। पूरा परिवार कश्मीर घूमने गया था।

    गुजरात के भावनगर में पिता-पुत्र का अंतिम संस्कार हुआ, पुणे में बेटी ने पिता को मुखाग्नि दी
    जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में जान गंवाने वाले मृतकों का गुरुवार को अंतिम संस्कार किया गया। गुजरात के भावनगर में मृतक पिता यतीशभाई सुधीरभाई परमार और बेटे स्मित यतीशभाई परमार का अंतिम संस्कार हो गया है। वहीं, सूरत में मृतक शैलेशभाई कलथिया को बेटे ने मुखाग्नि दी। वहीं, पुणे में मृतक संतोष जगदाले का बेटी असावरी ने अंतिम संस्कार किया। ओडिशा के प्रशांत सतपथी की अंतिम यात्रा में हजारों की संख्या में भीड़ जुटी। आंध्र प्रदेश के नेल्लोर में मृतक मधुसूदन राव का अंतिम संस्कार हुआ।

    सोचा न था जिंदगी का पहला सफर, आखिरी होगा
    पहलगाम हमले में मारे गये पुणे के कौस्तुभ गणबोटे के जीवन का पहला सफर ही आखिरी बन गया। स्नैक्स कारोबारी गणबोटे अपने दोस्त संतोष जगदाले के परिवार के साथ जम्मू-कश्मीर गये थे। उनके पड़ोसी सुनील मोरे ने बताया कि पूरी जिंदगी कौस्तुभ गणबोटे अपने कारोबार को बढ़ाने में व्यस्त रहे। यह पहली बार था, जब उन्होंने और उनकी पत्नी संगीता ने शहर से बाहर यात्रा करने का फैसला किया था। उन्होंने अपने करीबी दोस्त संतोष और उसके परिवार के साथ मिलकर इस यात्रा की योजना बनायी थी। सिर्फ आठ दिन पहले ही उन्होंने कश्मीर की योजना के बारे में बताया था। वे वाकई बहुत उत्साहित थे। मोरे ने बताया कि गणबोटे ने अपना पूरा जीवन रास्ता पेठ की एक संकरी गली में गुजारा और हाल ही में उन्होंने कोंढवा-सासवाड़ रोड पर एक मकान बनवाया। वे हाल ही में दादा बने थे। संतोष जगदाले गणबोटे के घनिष्ठ मित्र थे। जगदाले और गणबोटे का शव गुरुवार सुबह पुणे पहुंचा। संतोष जगदाले को उनकी बेटी असावरी ने मुखाग्नि दी।

    मोरारी बापू की कथा सुनने गये पिता-पुत्र भी आतंकियों की गोलियों के शिकार
    हमले में मारे गये भावनगर के यतीश परमार और उनके बेटे स्मित श्रीनगर में मोरारी बापू के प्रवचन में भाग लेने के लिए 16 अप्रैल को कश्मीर गये थे। प्रवचन में भाग लेने के बाद वे मंगलवार को पहलगाम जा रहे थे। यहां आतंकियों ने उनकी हत्या कर दी। यतीश परमार और उनके बेटे के पार्थिव शरीर को मुंबई से एक विमान से अहमदाबाद हवाई अड्डे पर लाया गया। उनकी पिता-पुत्र की अंतिम यात्रा एक साथ निकली तो हर आंख नम हो गयी। गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल ने पिता-पुत्र को श्रद्धांजलि अर्पित की।

    पहलगाम के दोषियों को मिट्टी में मिलाने का समय आ गया है: पीएम
    पहलगाम अटैक के बाद गुरुवार को बिहार के मधुबनी पहुंचे पीएम मोदी ने कहा- ‘पहलगाम के दोषियों को मिट्टी में मिलाने का समय आ गया है। आतंकियों को कल्पना से भी बड़ी सजा मिलकर रहेगी।’ ‘आतंकी हमले में किसी ने अपना बेटा खोया, किसी ने भाई, किसी ने जीवन साथी खोया। इनमें से कोई बांग्ला बोलता था, कोई कन्नड़, कोई गुजराती था, कोई बिहार का लाल था। आज सभी की मृत्यु पर कारगिल से कन्याकुमारी तक हमारा आक्रोश एक जैसा है।’

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