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    Home»Jharkhand Top News»“जीवन के सबसे कठिन दिनों से गुजर रहा हूं”, पिता की याद में हेमंत सोरेन ने शेयर की भावुक पोस्ट
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    “जीवन के सबसे कठिन दिनों से गुजर रहा हूं”, पिता की याद में हेमंत सोरेन ने शेयर की भावुक पोस्ट

    shivam kumarBy shivam kumarAugust 5, 2025No Comments3 Mins Read
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    रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन ने दुनिया को अलविदा कह दिया है। उनके निधन से पूरे झारखंड में शोक की लहर है। आज उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। पिता की अंतिम यात्रा से पहले उनके बेटे एवं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उन्हें याद करते हुए सोशल मीडिया पर एक भावुक पोस्ट साझा किया है।

    उन्होंने एक्स पर लिखा, ”मैं अपने जीवन के सबसे कठिन दिनों से गुजर रहा हूं। मेरे सिर से सिर्फ पिता का साया नहीं गया, झारखंड की आत्मा का स्तंभ चला गया। मैं उन्हें सिर्फ ‘बाबा’ नहीं कहता था। वे मेरे पथ प्रदर्शक थे, मेरे विचारों की जड़ें थे और उस जंगल जैसी छाया थे, जिसने हजारों-लाखों झारखंडियों को धूप और अन्याय से बचाया।” उन्होंने आगे लिखा कि मेरे बाबा की शुरुआत बहुत साधारण थी। नेमरा गांव के उस छोटे से घर में जन्मे,जहां गरीबी थी, भूख थी, पर हिम्मत थी। बचपन में ही उन्होंने अपने पिता को खो दिया। जमींदारी के शोषण ने उन्हें एक ऐसी आग दी, जिसने उन्हें पूरी जिंदगी संघर्षशील बना दिया। मैंने उन्हें देखा है हल चलाते हुए, लोगों के बीच बैठते हुए, सिर्फ भाषण नहीं देते थे, लोगों का दुःख जीते थे।

    हेमंत सोरेन ने लिखा कि बचपन में जब मैं उनसे पूछता था, “बाबा, आपको लोग दिशोम गुरु क्यों कहते हैं?” तो वे मुस्कुराकर कहते- “क्योंकि बेटा, मैंने सिर्फ उनका दुख समझा और उनकी लड़ाई अपनी बना ली।” वो उपाधि न किसी किताब में लिखी गई थी, न संसद ने दी- झारखंड की जनता के दिलों से निकली थी। ‘दिशोम’ मतलब समाज, ‘गुरु’ मतलब जो रास्ता दिखाए। सच कहूं तो बाबा ने हमें सिर्फ रास्ता नहीं दिखाया, हमें चलना सिखाया। बचपन में मैंने उन्हें सिर्फ़ संघर्ष करते देखा, बड़े बड़ों से टक्कर लेते देखा, मैं डरता था पर बाबा कभी नहीं डरे। वे कहते थे “अगर अन्याय के खिलाफ खड़ा होना अपराध है, तो मैं बार-बार दोषी बनूंगा।” बाबा का संघर्ष कोई किताब नहीं समझा सकती। वो उनके पसीने में, उनकी आवाज़ में, और उनकी चप्पल से ढकी फटी एड़ी में था। जब झारखंड राज्य बना, तो उनका सपना साकार हुआ पर उन्होंने कभी सत्ता को उपलब्धि नहीं माना। उन्होंने कहा, “ये राज्य मेरे लिए कुर्सी नहीं यह मेरे लोगों की पहचान है।” आज बाबा नहीं हैं, पर उनकी आवाज़ मेरे भीतर गूंज रही है। मैंने आपसे लड़ना सीखा बाबा, झुकना नहीं। मैंने आपसे झारखंड से प्रेम करना सीखा, बिना किसी स्वार्थ के। अब आप हमारे बीच नहीं हो, पर झारखंड की हर पगडंडी में आप हो। हर मांदर की थाप में, हर खेत की मिट्टी में, हर गरीब की आंखों में आप झांकते हो। आपने जो सपना देखा, अब वो मेरा वादा है।

    सोरेन ने कहा कि मैं झारखंड को झुकने नहीं दूंगा, आपके नाम को मिटने नहीं दूंगा। आपका संघर्ष अधूरा नहीं रहेगा। बाबा, अब आप आराम कीजिए। आपने अपना धर्म निभा दिया। अब हमें चलना है आपके नक्शे-कदम पर। झारखंड आपका कर्ज़दार रहेगा। मैं, आपका बेटा, आपका वचन निभाऊंगा। वीर शिबू जिंदाबाद – ज़िन्दाबाद, जिंदाबाद दिशोम गुरु अमर रहें। जय झारखंड, जय जय झारखंड।

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