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    Home»झारखंड»करो या मरो का नारा ने दी स्वतंत्रता आंदोलन को नयी दिशा : केशव महतो कमलेश
    झारखंड

    करो या मरो का नारा ने दी स्वतंत्रता आंदोलन को नयी दिशा : केशव महतो कमलेश

    shivam kumarBy shivam kumarAugust 9, 2025No Comments3 Mins Read
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    रांची। अगस्त क्रांति दिवस और विश्व आदिवासी दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो कमलेश की अध्यक्षता में प्रदेश मुख्यालय कांग्रेस भवन में शनिवार को किया गया। इस क्रम में अगस्त क्रांति दिवस का भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भूमिका पर प्रकाश डाला गया और स्वतंत्रता आंदोलन के विभूतियों के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। साथ ही साथ आदिवासी समुदाय को विश्व आदिवासी दिवस की शुभकामनाएं दी गई।

    इस अवसर पर कमलेश ने कहा कि करो या मरो का नारा आज ही के दिन दिया गया था जिसने लोगों में ऊर्जा का संचार करते हुए स्वतंत्रता आंदोलन को नयी दशा और दिशा दी थी, एक नया रास्ता दिखाने का काम किया था। उसके बाद आंदोलन ने जोर पकड़ा। स्वतंत्रता आंदोलन की वेदी ने हमारे कई महान विभूतियों की बलि ली, आज का दिन उन विभूतियों को याद करने का दिन है। उन्होंने कहा कि देश की आजादी में स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान की तुलना कभी नहीं की जा सकती। आज ही के दिन महात्मा गांधी ने करो या मरो का नारा देकर आजादी की दिशा में एक निर्णायक आंदोलन तय किया था।

    विश्व आदिवासी दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कमलेश ने कहा कि आज पूरे विश्व में आदिवासी समुदाय अपने हक अधिकार अस्मिता और पहचान अपनी परंपरा और संस्कृति को बचाने के लिए जो लड़ाई लड़ रहा है वह स्वागत योग्य है। आदिवासी समाज आज एक जागरूक समाज है। सामाजिक परिवेश में आज उनकी अहम भूमिका है। प्रकृति और मनुष्य के बीच की एक अहम कड़ी आदिवासी समुदाय है जिसने जल, जंगल और जमीन की रक्षा का संकल्प सदियों पहले लिया था जिसे वह आज तक निभा रहे हैं। समाज में समुदाय की भूमिका को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1994 में समुदाय को अपनी विशिष्ट पहचान के साथ रहने और उसकी सुरक्षा के लिए विश्व आदिवासी दिवस की घोषणा की थी।

    पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय ने कहा कि भारत छोड़ो आंदोलन ने आजादी में मिल के पत्थर की भूमिका अदा की थी जिसमें समाज के हर तबके जाति, धर्म, युवा, बुजुर्ग महिलाओं ने सर्वस्व बलिदान कर आंदोलन को गति प्रदान की जिसका परिणाम अंग्रेजी हुकूमत की हार और भारत की आजादी के रूप में सामने आया।

    उन्होंने आदिवासी समुदाय को बधाई देते हुए कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर झारखंड के निर्माण तक आदिवासी समुदाय ने अपनी भूमिका पुरजोर तरीके से अदा की थी। आदिवासी समाज के बिरसा मुंडा सिद्धू कान्हू, चांद भैरव, फूलो झानो सहित कई वीरों ने आजादी के लिए अपना बलिदान दिया।

    कार्यक्रम में अनादी ब्रह्म राकेश सिन्हा,विनय सिन्हा दीपू,सोनाल शांति,अभिलाष साहू,गजेंद्र सिंह,जगदीश साहू राजन वर्मा,राज वर्मा,अइनुल हक अंसारी, चंद्र रश्मि पिंगुआ सहित अन्य उपस्थित थे।

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