Close Menu
Azad SipahiAzad Sipahi
    Facebook X (Twitter) YouTube WhatsApp
    Saturday, October 11
    • Jharkhand Top News
    • Azad Sipahi Digital
    • रांची
    • हाई-टेक्नो
      • विज्ञान
      • गैजेट्स
      • मोबाइल
      • ऑटोमुविट
    • राज्य
      • झारखंड
      • बिहार
      • उत्तर प्रदेश
    • रोचक पोस्ट
    • स्पेशल रिपोर्ट
    • e-Paper
    • Top Story
    • DMCA
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Azad SipahiAzad Sipahi
    • होम
    • झारखंड
      • कोडरमा
      • खलारी
      • खूंटी
      • गढ़वा
      • गिरिडीह
      • गुमला
      • गोड्डा
      • चतरा
      • चाईबासा
      • जमशेदपुर
      • जामताड़ा
      • दुमका
      • देवघर
      • धनबाद
      • पलामू
      • पाकुर
      • बोकारो
      • रांची
      • रामगढ़
      • लातेहार
      • लोहरदगा
      • सरायकेला-खरसावाँ
      • साहिबगंज
      • सिमडेगा
      • हजारीबाग
    • विशेष
    • बिहार
    • उत्तर प्रदेश
    • देश
    • दुनिया
    • राजनीति
    • राज्य
      • मध्य प्रदेश
    • स्पोर्ट्स
      • हॉकी
      • क्रिकेट
      • टेनिस
      • फुटबॉल
      • अन्य खेल
    • YouTube
    • ई-पेपर
    Azad SipahiAzad Sipahi
    Home»विशेष»बिहार में इस बार धार खो चुका है विशेष राज्य के दर्जे का हथियार
    विशेष

    बिहार में इस बार धार खो चुका है विशेष राज्य के दर्जे का हथियार

    shivam kumarBy shivam kumarAugust 21, 2025Updated:August 23, 2025No Comments7 Mins Read
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter WhatsApp Telegram LinkedIn Pinterest Email

    विशेष
    सत्ता पक्ष के साथ पूरे विपक्षी दलों को भी नहीं है इस मांग की कोई चिंता
    नीतीश कुमार को विकास के दावे लगने लगे कारगर, विपक्ष है उलझन में
    नमस्कार। आजाद सिपाही विशेष में आपका स्वागत है। मैं हूं राकेश सिंह।
    बिहार में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव हैं, लेकिन इस बार चर्चा से खास मुद्दा ‘विशेष राज्य का दर्जा’ गायब है। पिछले कई चुनावों में यह मुद्दा प्रमुख था, लेकिन अब सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों इसे नजरअंदाज कर रहे हैं। राजनीतिक दल लोकलुभावन योजनाओं पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, क्योंकि खास दर्जा से वोट बैंक पर ज्यादा असर नहीं दिख रहा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्षों तक इसे लेकर अभियान चलाया, रैलियां की और केंद्र सरकार पर दबाव बनाया। विपक्षी दल भी इस मुद्दे को लेकर लगातार केंद्र को निशाने पर लेते रहे। 2025 के विधानसभा चुनाव में यह मुद्दा लगभग पूरी तरह से गायब है। न सत्ता पक्ष और न ही विपक्ष इसे प्रमुखता से उठाने में दिलचस्पी दिखा रहा है। इसलिए बिहार की सियासत में सालों तक गूंजता रहा ‘विशेष राज्य का दर्जा’ का नारा इस बार चुनावी मैदान से रहस्यमय तरीके से गायब है। जो मुद्दा कभी सत्ता और विपक्ष दोनों के लिए सियासी हथियार था, आज उसकी कोई चर्चा नहीं कर रहा। नीतीश कुमार के लंबे अभियानों और विधानसभा प्रस्तावों के बावजूद अब इस पर सन्नाटा है। सिर्फ सत्ता पक्ष ही नहीं, अब विपक्ष भी विशेष राज्य के दर्जे के मुद्दे से पीछे हटता दिख रहा है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव कभी इस मुद्दे पर नीतीश कुमार और बीजेपी को लगातार घेरते रहे, लेकिन अब उनके राजनीतिक भाषणों से भी यह मसला गायब है। विपक्ष को लगता है कि इस मुद्दे को लंबे समय तक उठाकर चुनावी लाभ नहीं मिलेगा। वहीं सत्ता पक्ष यह तर्क दे रहा है कि बिहार को विशेष पैकेज मिल रहा है और वह केंद्र सरकार को असहज नहीं करना चाहते। क्या है विशेष राज्य के दर्जे का मुद्दा और इस बार के चुनाव में यह मुद्दा क्यों गायब है, बता रहे हैं आजाद सिपाही के विशेष संवाददाता राकेश सिंह।

    बिहार का विशेष राज्य का दर्जा एक बहुत बड़ा मुद्दा रहा है, लेकिन इस विधानसभा चुनाव में अब तक इस मुद्दे पर न तो एनडीए, न ही विपक्षी महागठबंधन कोई बात कर रहा है। बिहार की पिछली सरकार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनडीए का हिस्सा रहते हुए इस मुद्दे को हमेशा मंचों पर उठाते रहे। जब उन्होंने आरजेडी से गठबंधन खत्म करके वापस एनडीए का हिस्सा बनकर सरकार बनायी तो उन्होंने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का मुद्दा उठाना बंद कर दिया। बिहार के लोग राज्य के विकास के लिए इसको विशेष राज्य का दर्जा चाहते हैं। उनमें यह महत्वाकांक्षा यहां के क्षेत्रीय दलों ने ही जगायी है, लेकिन अब वे खुद इस पर चुप्पी साध कर बैठ गये हैं।

    विकास हो गया, तो विशेष राज्य का दर्जा क्यों
    नीतीश कुमार अब विशेष राज्य के दर्जे का मुद्दा क्यों नहीं उठा रहे हैं, यह सवाल आज हर बिहारी के मन में है। वे सोच रहे हैं कि कहीं ऐसा तो नहीं कि अब यह मुद्दा उनके बिहार को विकसित राज्यों की श्रेणी में ला खड़ा करने के दावे पर विरोधाभासी होगा। बिहार में नीतीश कुमार सरकार लगातार राज्य के विकसित होने का प्रचार कर रही है। वह अपने विधानसभा चुनाव प्रचार अभियान में बिहार का अभूतपूर्व विकास करने का ढिंढोरा जमकर पीट रही है। ऐसे में यदि वह विशेष राज्य के दर्जे की मांग भी उठाती है, तो यह उसके विकसित राज्य के दावे को झूठा साबित करने वाली बात होगी। देश की सीमाओं पर स्थित ऐसे राज्य, जो विपरीत भौगोलिक परिस्थितियों के साथ अस्थिरता का सामना कर रहे हैं और इस कारण विकास में पिछड़ गये हैं, को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाता है। इन राज्यों को अधिक केंद्रीय सहायता और कर रियायत दी जाती है। बिहार को इस श्रेणी में शामिल करना क्या न्यायसंगत हो सकता है।

    नीतीश कुमार पिछले कई सालों से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने की मांग जोर-शोर से उठाते रहे हैं। नीतीश कुमार ने साल 2023 में केंद्र सरकार को चेतावनी दी थी कि यदि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलता है, तो आंदोलन किया जायेगा। उनका यह तेवर साल 2024 में एक बार फिर एनडीए का हिस्सा बनने के बाद ठंडा पड़ गया। विपक्ष की पार्टियां भी इस मुद्दे को लेकर नीतीश सरकार को घेरने के साथ-साथ केंद्र की एनडीए सरकार को निशाना बनाती रही हैं। लेकिन आने वाले विधानसभा चुनाव में यह मुद्दा प्रचार से गायब है। इस मुद्दे पर नीतीश कुमार भले ही शांत हों, लेकिन सवाल यह है कि विपक्षी पार्टियां भी क्यों अब खामोश हैं।

    गरीबी से उबर गये बिहार के 93 लाख परिवार
    मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब एनडीए से बाहर चले गये थे, तब वे विशेष राज्य के दर्जे के साथ बिहार को केंद्रीय करों में राहत देने की मांग कर रहे थे। उनका तर्क था कि यदि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाये, तो राज्य के 93 लाख गरीब परिवारों को दो साल में गरीबी से उबारा जा सकता है। लेकिन नीतीश के एनडीए गठबंधन में लौटने के साथ यह मुद्दा गायब हो गया। अब नीतीश सरकार कह रही है कि उसे जो केंद्र से मदद चाहिए थी, वह मिल रही है। वह यह साबित करने की कोशिश कर रही है कि बिहार में राज्य सरकार के इंजन के साथ अब केंद्र का इंजन भी चल रहा है और डबल इंजन की सरकार बिहार का विकास कर रही है। यानी अब विशेष राज्य के दर्जे की जरूरत नहीं है। अब नीतीश कुमार अपने रिपोर्ट कार्ड में ‘विकास को तरसता बिहार’ कैसे लिखें।

    विशेष राज्य के दर्जे की मांग पर आरजेडी भी खामोश
    नीतीश कुमार तो खैर एनडीए के खेमे में हैं और वे अपनी सीमाओं को पहचानते हुए ही कदम उठा रहे हैं, लेकिन राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) क्यों खामोश है, यह सवाल भी अहम है। आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव पहले इस मुद्दे को लेकर नीतीश कुमार और एनडीए को निशाना बनाते रहते थे, लेकिन अब वे इसका कहीं कोई जिक्र नहीं कर रहे हैं।

    विपक्ष का ध्यान एसआइआर और 65 लाख वोटर पर
    बिहार में फिलहाल विपक्ष का ध्यान उन 65 लाख वोटरों पर है, जो मतदाता सूची से हटा दिये गये हैं। इससे सबसे ज्यादा नुकसान आरजेडी को झेलना पड़ सकता है और उसके लिए अभी इस उलझन को सुलझाना ही सबसे बड़ी चुनौती है। हो सकता है कि इस कारण आरजेडी बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग भुलाये बैठा हो। हालांकि वह यह मांग उठाने का दबाव बनाने की बात ही कह सकता है, वोटरों से यह वादा नहीं कर सकता। नीतीश कुमार एनडीए का हिस्सा होने के कारण यह वादा कर सकते हैं, लेकिन उनके लिए अब यह मुद्दा उठाना उन्हीं के दावों के विपरीत होगा।

    क्या है विशेष राज्य का दर्जा
    सन 1969 में देश के चुनिंदा राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा देने की व्यवस्था शुरू की गयी थी। यह दर्जा उन राज्यों को दिया जाता है, जो आर्थिक, सामाजिक और भौगोलिक आधार पर पिछड़े हुए हैं। इस श्रेणी में वे राज्य हैं, जो कम जनसंख्या घनत्व वाले हैं या आदिवासी बहुल हैं, या फिर ऐसे राज्य, जिनकी सीमाएं पड़ोसी देशों से सटी हैं, पर जो देश के लिए रणनीतिक इलाके हैं। इसके अलावा आर्थिक रूप से कमजोर और इन्फ्रास्ट्रक्च की दृष्टि से पिछड़े हुए राज्य भी विशेष राज्य का दर्जा पाने के लिए पात्र हो सकते हैं।

    विशेष राज्य का दर्जा मिलने पर कई फायदे
    देश में विशेष राज्य का दर्जा असम, नगालैंड, हिमाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और उत्तराखंड को हासिल है। विशेष राज्यों को केंद्र सरकार से करीब 90 प्रतिशत अनुदान और 10 प्रतिशत ब्याज रहित कर्ज उपलब्ध कराया जाता है। इन राज्यों को आयकर, जीएसटी, सीमा और उत्पाद शुल्क और कॉरपोरेट टैक्स वगैरह में भी छूट दी जाती है। यही नहीं, ये राज्य यदि उपलब्ध कराये गये फंड का पूरा उपयोग नहीं कर पाते, तो शेष बची हुई राशि उन्हें अगले वित्तीय वर्ष में मिल जाती है।

    Share. Facebook Twitter WhatsApp Telegram Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleऐतिहासिक एवं अभूतपूर्व होगा वोटर अधिकार यात्रा : अरूण यादव
    Next Article झारखंड के 12 जिलों में सर्वाधिक 12 हजार मिमी बारिश रिकॉर्ड
    shivam kumar

      Related Posts

      जीवन रक्षा के साधनों में जब नैतिकता का अभाव हो जाता है, तब प्रगति की समूची इमारत ध्वस्त हो जाती है

      October 10, 2025

      बिहार में इस बार भी दलों की टेंशन बढ़ायेंगे बागी

      October 4, 2025

      बिहार में एनडीए ने दिया ‘ट्रिपल एम’ का फार्मूला

      September 28, 2025
      Add A Comment

      Comments are closed.

      Recent Posts
      • 1948 लंदन ओलंपिक का गोल्ड मेडल भारतीय हॉकी के लिए हमेशा खास रहेगा : हरमनप्रीत सिंह
      • नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप: हिमांशु जाखड़ ने नीरज चोपड़ा का मीट रिकॉर्ड तोड़ा
      • प्रतियोगी परीक्षा संबंधी जांच आयोग ने मुख्यमंत्री धामी को सौंपी अंतरिम रिपोर्ट
      • बलोच लिबरेशन आर्मी ने जामरान में पाकिस्तानी सेना को रसद पहुंचाने पर पाबंदी लगाई
      • पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में पुलिस प्रशिक्षण केंद्र पर टीटीपी का हमला, भीषण गोलीबारी में कम से कम सात की मौत
      Read ePaper

      City Edition

      Follow up on twitter
      Tweets by azad_sipahi
      Facebook X (Twitter) Instagram Pinterest
      © 2025 AzadSipahi. Designed by Microvalley Infotech Pvt Ltd.

      Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.

      Go to mobile version