पलामू। झारखंड में पलामू जिले के मनातू और तरहसी के सीमावर्ती जंगल में पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा गया तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी (टीएसपीसी) का कमांडर मुखदेव यादव के खिलाफ 24 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं। वह लंबे समय से सुरक्षा बलों के निशाने पर था। पलामू पुलिस ने रविवार को इसकी जानकारी दी है।
पुलिस के अनुसार मुखदेव यादव बिहार और झारखंड में आतंक का पर्याय बना हुआ था। उसके खिलाफ दर्ज मामलों को देखकर और पलामू पुलिस की अनुशंसा पर इसी वर्ष मार्च 2025 में झारखंड सरकार ने 5 लाख का इनाम घोषित किया था। टीएसपीसी के मुखिया शशिकांत दस्ते के लिए वह लेवी वसूलने का काम करता था और हथियार की डील करता था। शशिकांत का वह काफी करीबी माना जाता था।
3 सितंबर को मनातू थाना क्षेत्र के केदल गांव में पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में मुखदेव यादव भी शामिल था। पहली गोली उसी ने ही चलाई थी। इस घटना में जिला पुलिस के दो जवान संतन मेहता और सुनील राम बलिदान हो गए थे, जबकि एक जवान रोहित कुमार जख्मी हुए थे। संतन और सुनील का श्राद्ध कर्म अभी चल रहा है। इसी बीच पलामू पुलिस ने अपने दोनों जवानों के शहादत का बदला ले लिया।
पुलिस की कार्रवाई यही तक नहीं रुकी है। टीएसपीसी के कमांडर शशिकांत को घेरने के लिए 200 से अधिक जवानों को लगाया गया है, जिसमें जगुआर, कोबरा 209 के अलावा झारखंड पुलिस के जवान शामिल हैं।
इस बीच घटना की सूचना मिलने पर जिला मुख्यालय मेदिनीनगर से पुलिस अधीक्षक रिष्मा रमेशन, एसडीपीओ के साथ घटनास्थल पर पहुंची। ढेर किए गए नक्सली के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजने के लिए जरूरी प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है।
पुलिस के अनुसार 3 सितंबर की मुठभेड़ के बाद मनातू और तरहसी के सुदूरवर्ती जंगली क्षेत्र में पुलिस का अभियान जारी था, इसी क्रम में जब पुलिस रविवार की सुबह भीतडीहा और कसमार के जंगल में पहुंची, तो उग्रवादियों की ओर से फायरिंग शुरू कर दी गई। पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए एक उग्रवादी को मार गिराया। मौके से एक इंसास राइफल बरामद की गई है। जिस क्षेत्र में मुखदेव यादव मारा गया वह उसके गढ़ के रूप में चर्चित है और उसी इलाके में वह सक्रिय था।
मूल रूप से मनातू के मिटार का रहने वाला मुखदेव पहले भाकपा माओवादी कासदस्य था, बाद में वह टीएसपीसी में शामिल हो गया। उस पर पलामू, गढ़वा, चतरा और लातेहार में कई बड़े नक्सल हमले को अंजाम देने का आरोप है। मुखदेव हर वक्त अपने साथ इंसास राइफल रखता था। छह से अधिक बार पुलिस के साथ मुठभेड़ में भी शामिल रहा है। दो मुठभेड़ में चार जवान शहीद हुए हैं, जबकि एक हमले में आदि जनजाति परिवार के पिता और पुत्र की भी मौत हुई थी।